नई दिल्ली: श्रीलंका ने भारत से पूछा है कि क्या वह बतौर गारंटर अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और आसियान जैसे अपने कुछ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय भागीदारों से कोलंबो की आर्थिक सहायता का आग्रह कर सकता है. दिप्रिंट को सूत्रों से यह जानकारी मिली है.
शीर्ष सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रही राजपक्षे सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से आर्थिक पैकेज को लेकर किसी निष्कर्ष पर पहुंचने तक ब्रिज फाइनेंसिंग के जरिए पिछले क्रेडिट लाइन का विस्तार करने में नई दिल्ली की मदद मांगी है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारत से 120,000 टन डीजल और 35,000 टन पेट्रोल की मदद मिलने के बाद श्रीलंका अप्रैल के अंत तक 500 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन से बाहर हो जाएगा.
एक सूत्र ने कहा कि श्रीलंका सरकार का मानना कि अगर वह इन देशों से मदद का आग्रह करेगा तो वो शायद उसकी बात न सुने. सूत्रों ने आगे कहा, लेकिन दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी शक्ति के रूप में अगर भारत उन तक पहुंचता है और गारंटर बनने के लिए तैयार हो जाता है तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय श्रीलंका की आर्थिक मदद करने के लिए आगे आ सकता है.
सूत्रों ने यह भी कहा कि श्रीलंका बड़े पैमाने पर आईएमएफ से आर्थिक सहायता लेने में जुटा है. वह आईएमएफ के सामने ऋण पुनर्गठन की प्रक्रिया को अपनाकर, अपने मामले को मजबूती के साथ रखेगा. आईएमएफ कुछ शर्तों के साथ उसके लिए एक बेल आउट पैकेज भी पेश कर सकता है. श्रीलंका ने भारत से ब्रिज फाइनेंसिंग को तब तक जारी रखने के लिए कहा है जब तक उसे आईएमएफ से मदद नहीं मिल जाती.
ब्रिज फाइनेंसिंग एक प्रकार का अल्पकालिक कर्ज है जो उधारकर्ता को निर्धारित अवधि के तहत जरूरतों को पूरा करने के लिए दिया जाता है, जब तक कि उसे कोई बड़ा कर्ज नहीं मिल जाता.
ब्रिज फाइनेंसिंग के जरिए श्रीलंका की मदद करने वाला भारत पहला देश है.
उनके नए वित्त मंत्री अली साबरी के अनुसार, श्रीलंका ने आर्थिक संकट से निपटने के लिए आईएमएफ से 4 बिलियन डॉलर का पैकेज मांगा है.
ब्लूमबर्ग टेलीविजन को दिए गए अपने एक इंटरव्यू में साबरी ने कहा कि उनके देश ने चीन से भी ब्रिज फाइनेंसिंग विकल्प मांगे हैं.
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एक और आर्थिक पैकेज
एक अन्य सूत्र ने कहा कि भारत मुद्रा विनिमय व्यवस्था और क्रेडिट लाइन के जरिए श्रीलंका के लिए एक और आर्थिक पैकेज तैयार करने की योजना बना रहा है. सूत्र के अनुसार, दोनों सरकारें लगातार एक-दूसरे के संपर्क में हैं.
इस पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और भारत में श्रीलंका के उच्चायुक्त मिलिंडा मोरागोडा के बीच हुई बैठक के दौरान भी चर्चा हुई थी.
नई दिल्ली से पहले ही श्रीलंका को लगभग 2.5 बिलियन डॉलर की आर्थिक मदद मिल चुकी है.
भारत में श्रीलंका के उच्चायोग ने एक बयान जारी करते हुए कहा था, ‘सीतारमण के साथ अपनी बैठक के दौरान श्रीलंकाई दूत ने उनसे पूछा था कि क्या नई दिल्ली क्रेडिट के रूप पहले से दी जा रही जरूरी चीजों और ईंधन के साथ-साथ बैलेंस ऑफ पेमेंट सहायता में ‘वृद्धि और पुनर्गठन’ कर सकती है.
भारत ने श्रीलंका को एक अरब डॉलर की सहायता का वादा किया है. इस हफ्ते की शुरुआत में भारत ने इसी के तहत श्रीलंका को 11,000 मीट्रिक टन चावल की मदद पहुंचाई थी. इसके साथ, भारत से श्रीलंका के स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन द्वारा आयात किए जाने वाले 40,000 मीट्रिक टन चावल में से कुल 16,000 मीट्रिक टन चावल पहुंचाया जा चुका है.
भारत और श्रीलंका अब सहयोग के लिए एक रूपरेखा और मौजूदा दौर में दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग की प्रगति की निगरानी के लिए चर्चा भी कर रहे हैं.
मल्टीलेटरल एंगेजमेंट एंड डेट सस्टेनेबिलिटी पर श्रीलंका के राष्ट्रपति सलाहकार समूह, सेंट्रल बैंक के गवर्नर और ट्रेजरी के सचिव, मुख्य आर्थिक सलाहकार और वित्त मंत्रालय के सचिव (आर्थिक मामलों) के साथ इन चर्चाओं में लगे हुए हैं.
दोनों देशों के मौजूद उच्चायोग भी इन चर्चाओं में भाग ले रहे हैं.
उम्मीद है कि अगले सप्ताह वाशिंगटन डीसी में वार्षिक आईएमएफ के साथ बैठक के दौरान वित्त मंत्री सीतारमण और श्रीलंका के वित्त मंत्री सेबरी की मुलाकात हो सकती है.
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