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Thursday, 18 December, 2025
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चमगादड़ की कुछ प्रजातियां जंगलों को परागित करती है, इन शोर मचाने वाले जीवों के साथ शांति कैसे बनाएं

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(नोएल डी. प्रीस, जेम्स कुक यूनिवर्सिटी)

टाउंसविल (ऑस्ट्रेलिया), 26 जनवरी (द कन्वरसेशन) फ्लाइंग फॉक्स कहें, मेगाबैट्स या फिर फ्रूट बैट्स। आप जो भी नाम चुनें, ये लोमड़ी के चेहरे वाले जीव अर्थात चमगादड़ उल्लेखनीय हैं। इनकी चार प्रजातियाँ पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में यूकेलिप्टस के पेड़ों को परागित करने, वर्षावन के पेड़ों के बीज फैलाने और हमारी गर्मियों के आसमान को शानदार बनाने में मदद करती हैं।

वे दुनिया के सबसे बड़े चमगादड़ों में से कुछ हैं।

उदाहरण के लिए, लुप्तप्राय चश्मे वाली उड़ने वाली लोमड़ी (पेरोपस कॉन्स्पिसिलैटस) उत्तरी क्वींसलैंड के उष्णकटिबंधीय वर्षावनों के साथ-साथ वैट ट्रॉपिक्स में विकसित हुई। वे किसी भी अन्य प्रजाति – यहां तक ​​​​कि कैसोवेरी – की तुलना में वर्षावन के फल अधिक तेजी से ले जाते हैं और एक रात में 100 किलोमीटर तक उड़ते हैं। कई पेड़ हमारे एकमात्र रात्रि परागणकों को आकर्षित करने के लिए रात में ताजा पराग और ढेर सारा रस पैदा करते हैं।

अफसोस की बात है कि लोमड़ियों जैसी शक्ल के यह उड़ने वाले जीव भय और घृणा पैदा कर सकते हैं। एशिया-प्रशांत में कहीं और, शिकार और अन्य मानवीय दबाव के कारण फ्लाइंग फॉक्स की छह प्रजातियाँ पहले ही विलुप्त हो चुकी हैं। यदि ऑस्ट्रेलिया की प्रजातियाँ विलुप्त हो जाती हैं, तो हमारे कुछ पेड़ भी उनके साथ विलुप्त हो सकते हैं।

लेकिन जैसा कि मेरे शोध से पता चलता है, हम रात के इन कोमल प्राणियों के साथ रहना ऐसे सीख सकते हैं।

उड़ने वाली लोमड़ियों से डरना क्यों?

उड़ने वाली लोमड़ियों को मगरमच्छ, डिंगो, सांप और शार्क की तरह ही एक ‘‘शत्रु प्रजाति’’ माना जाता है। यानी इन प्रजातियों के प्रति हमारा डर हमें उनके खिलाफ घातक कार्रवाई करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

चमगादड़ आसान लक्ष्य हो सकते हैं

इस शीर्षक पर विचार करें: ‘‘चेतावनी के रूप में चमगादड़ के 23 हमलों के बारे में जानकारी’’ अक्टूबर में केर्न्स पोस्ट में एक समाचार प्रकाशित हुआ। कहानी को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया था – चमगादड़ जानबूझकर लोगों पर हमला नहीं कर रहे थे। उनके साथ छेड़छाड़ की जा रही थी और वे डर गए। लेकिन इस तरह की सुर्खियां आम हैं।

हमारी धारणाएँ वास्तविकता को आकार देती हैं। इसका मतलब है कि प्राचीन डर पर काबू पाने के लिए कुछ काम करना पड़ता है, भले ही वह अतार्किक हो, जैसे कि खून चूसने वाले पिशाच चमगादड़। लेकिन अन्य चिंताएँ भी हैं: बीमारी का डर या चमगादड़ के मल से कपड़े खराब होने या स्विमिंग पूल में गिरने पर झुंझलाहट। यही नहीं चमगादड़ों के एक ठिकाने से आने वाली उनकी कर्कश आवाजें हमें परेशान करती हैं।

1930 के दशक में, कॉमनवेल्थ सरकार द्वारा सर फ्रांसिस रैटक्लिफ को फ्लाइंग फॉक्स की ‘‘समस्या’’ को सुलझाने के लिए अनुबंधित किया गया था – अनिवार्य रूप से, उन्हें मारने के लिए। दुख की बात है कि यह प्रतिक्रिया आम है। पिछली शताब्दी से, हमने इन बड़े चमगादड़ों को कीड़ों की तरह मरते देखा है। हम उन्हें खदेड़ देते हैं या सामूहिक रूप से मार देते हैं।

1990 के दशक में कई चश्माधारी फ्लाइंग फॉक्स को लीची खाने से रोकने के लिए उन्हें मारने के लिए बिजली के तारों का इस्तेमाल किया जाता था, जब तक कि यह अवैध नहीं हो गया। एक कुख्यात मामले में, केर्न्स के दक्षिण में एक बाग में 18,000 चमगादड़ मार दिए गए थे। इस घटना के बाद अदालत में मामला चला और फ्लाइंग फॉक्स को बिजली के झटके से मारना अवैध हो गया।

अब भी, क्वींसलैंड कानून के तहत कुछ प्रजातियों की हत्या की अनुमति दी जा सकती है, हालांकि 2026 से सभी प्रजातियों की हत्या अवैध हो जाएगी।

चश्मे वाली फ्लाइंग फॉक्स की हालत कुछ ठीक नहीं है। जनसंख्या 2004 में लगभग 320,000 से तेजी से गिरकर 2018 में केवल 78,000 रह गई। ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ी अत्यधिक गर्मी की घटना के दौरान 2018 में केर्न्स में अन्य 23,000 की मृत्यु हो गई।

वैज्ञानिक जानते हैं कि प्रजातियों को उनके शिविरों और खाद्य संसाधनों की रक्षा करके और शिशुओं की जीवित रहने की दर में सुधार करके कैसे मदद की जाए।

दुर्भाग्य से, उनके मानव पड़ोसियों की ओर से पिछवाड़े और पार्कों में मौजूद चमगादड़ों के बारे में ‘‘कुछ करने’’ के लिए लगातार दबाव रहता है। यह दबाव हमारे लिए प्रजातियों को उबरने में मदद करना कठिन बना देता है। अब भी, कुछ राजनेता उन्हें ख़त्म करना चाहते हैं।

तो हम क्या कर सकते हैं?

कई वर्षों तक, अधिकारियों ने फ्लाइंग फॉक्स शिविरों को किसी उपनगर से दूर अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित करने का प्रयास किया। लेकिन फैलाव तकनीक शायद ही कभी काम करती है, इसमें बहुत पैसा खर्च होता है, और आमतौर पर समस्या का समाधान नहीं हो पाता है।

अब हम जानते हैं कि मनुष्यों और इन मेगाबेट्स के बीच संघर्ष को कम करने के बेहतर तरीके हैं। एक तरीका यह है कि शिविरों के पास के पेड़ों को काट दिया जाए, ऊपर लटकती शाखाओं को हटा दिया जाए ताकि चमगादड़ इनपर बसेरा न करें।

यदि इन कार्रवाइयों से समस्या का समाधान नहीं होता है, तो उड़ने वाली लोमड़ी के बसेरों और निवासियों के बीच बफर के रूप में झाड़ियाँ लगाने या अवरोधक बाड़ लगाने से मदद मिल सकती है।

अंत में, यदि बफ़र्स काम नहीं करते हैं, तो परिषद या वन्यजीव प्राधिकरण शिविरों को स्थानांतरित करने का प्रयास कर सकते हैं।

कुछ क्षेत्रों में, राज्य सरकारें और परिषदें स्विमिंग पूल को ढकने, रास्तों को प्रेशर से साफ करने और फसलों को जाल से ढकने के लिए सब्सिडी प्रदान करती हैं – जो अभी भी चमगादड़ों को शिविरों से दूर ले जाने की कोशिश से सस्ता है। इस प्रकार की कार्रवाइयां जनता के नजरिए को बदलने में काफी मदद कर सकती हैं।

चमगादड़ और बीमारी

हम सभी के लिए फ्लाइंग फॉक्स के महत्व और हमारे प्राकृतिक वातावरण को बेहतर बनाने में उनके योगदान की कहानियाँ मदद कर सकती हैं। अमेरिकी संरक्षण वैज्ञानिक ऐनी टूमी ने देखा है कि वैज्ञानिकों के लिए प्रजातियों की रक्षा में मदद के लिए कथाओं का उपयोग करना कितना महत्वपूर्ण है।

चलिए बीमारी की बात करते हैं। इसपर खूब बात होती है। अन्य चमगादड़ों की तरह फ्लाइंग फॉक्स चमगादड़ में भी उल्लेखनीय प्रतिरक्षा प्रणाली होती है। वे वायरस के साथ पूरी तरह से खुशी से रह सकते हैं जो हमें हफ्तों तक – या इससे भी ज्यादा समय तक बीमार कर सकते हैं।

यह सच है। लेकिन हम अक्सर इसके साथ एक कहानी जोड़ते हैं – अर्थात, चमगादड़ खतरनाक होते हैं। हम बिल्लियों के साथ तो ऐसी कहानी नहीं जोड़ते हैं, भले ही ये प्यारे पालतू जानवर अक्सर टोक्सोप्लाज़मोसिज़, एक प्रोटोजोआ परजीवी, जो बीमारी का कारण बन सकता है, अपने साथ लाते हैं।

यदि आप एक अनुभवी चमगादड़ संचालक या देखभालकर्ता नहीं हैं, तो कहानी यह होनी चाहिए: आपको यदि कोई चमगादड़ मिले तो उसे न छुएं। इसके बजाय, चमगादड़ और वन्यजीव देखभालकर्ताओं जैसे वन्यजीव बचाव सेवा से संपर्क करें या, यदि आप सुदूर उत्तर क्वींसलैंड में हैं, तो टोल्गा बैट अस्पताल जैसी जगहों से संपर्क करें।

चमगादड़ों का डर 12 साल पहले और गहरा हो गया था, जब हेंड्रा वायरस ने घोड़ों का इलाज करने वाले कई पशु चिकित्सकों को इस वायरस से संक्रमित किया और मार डाला। हालाँकि चमगादड़ वायरस ले जा सकते हैं, लेकिन वे इसे सीधे मनुष्यों तक नहीं पहुंचा सकते। और इससे भी बेहतर, अब हमारे पास घोड़ों में हेंड्रा वायरस को रोकने वाला एक टीका है।

ऑस्ट्रेलियाई बैट लाइसावायरस जैसे अन्य रोगजनकों से बचना आसान है – जिन लोगों को चमगादड़ों को संभालना होता है उन्हें लाइसावायरस से बचाव का टीका लगाया जाता है। दस्ताने जैसे सुरक्षात्मक उपकरण पहनने से भी बीमारियों के संचरण को रोका जा सकता है।

यदि हम इन राजसी रात्रि-उड़ानों के महत्व के बारे में अधिक जानते हैं – और यदि हम मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के बेहतर तरीके ढूंढते हैं – तो हम अभी भी इन प्राणियों को बचा सकते हैं। आख़िरकार, उनके लिए सबसे बड़ा ख़तरा हम ही हैं।

द कन्वरसेशन एकता एकता

एकता

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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