scorecardresearch
Monday, 23 December, 2024
होमविदेशरूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत को 'प्रतिभाशाली' कहकर प्रशंसा की

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत को ‘प्रतिभाशाली’ कहकर प्रशंसा की

नई दिल्ली ने अभी तक यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा भी नहीं की है और वह अपने इस रुख पर कायम रहा है कि संकट का समाधान कूटनीति और बातचीत के माध्यम से किया जाना चाहिए.

Text Size:

मॉस्को: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करने के एक हफ्ते बाद अपने नागरिकों को संबोधित करते हुए भारत को ‘प्रतिभाशाली’ और ‘प्रेरित’ बताकर तारीफ की है. शुक्रवार को रूस के एकता दिवस के अवसर पर बोलते हुए, पुतिन ने कहा, ‘भारत अपने विकास के मामले में उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करेगा. इसमें कोई संदेह नहीं है.’

रूस के राष्ट्रपति ने शुक्रवार को बीते एक सप्ताह में दूसरी बार भारत की विकास गाथा की तारीफ की. उन्होंने कहा कि भारत के लोग ‘बहुत प्रतिभाशाली’ और ‘उद्देश्यपरक’ हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि वे विकास के मामले में उत्कृष्ट परिणाम हासिल करने में अपने देश की मदद करेंगे.

पुतिन की यह टिप्पणी विदेश मंत्री एस जयशंकर की मॉस्को यात्रा से कुछ दिन पहले आई है. जयशंकर सात और आठ नवंबर को मॉस्को के दो दिवसीय दौरे पर होंगे.

शुक्रवार को राष्ट्रीय एकता दिवस पर रशियन हिस्टॉरिकल सोसाइटी की 10वीं वर्षगांठ से संबंधित कार्यक्रम में पुतिन ने कहा, ‘आइए, भारत पर नजर डालें. उसके लोग बहुत ही प्रतिभाशाली और उद्देश्यपरक हैं, जिनमें आंतरिक विकास के लिए ऐसी ललक है कि वे नि:संदेह उत्कृष्ट परिणाम हासिल करेंगे. भारत विकास के मामले में उत्कृष्ट नतीजे प्राप्त करेगा.’

क्रेमलिन की ओर से जारी प्रेस रिलीज के अनुसार, पुतिन ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत के लगभग 1.5 अरब लोग विकास के मामले में निश्चित रूप से शानदार परिणाम हासिल करेंगे.

कार्यक्रम में पुतिन ने उपनिवेशवाद और रूस की सभ्यता एवं संस्कृति के बारे में भी बात की.

उन्होंने पिछले गुरुवार को भी भारत के साथ रूस के विशेष संबंधों का जिक्र किया था.

रूसी राष्ट्रपति ने कहा था, ‘भारत के साथ हमारे विशेष संबंध हैं, जो दशकों से हमारे बीच मौजूद घनिष्ठ रिश्तों की नींव पर बने हैं. भारत के साथ हमारा कभी कोई विवाद नहीं रहा, हमने हमेशा एक-दूसरे का समर्थन किया है और मैं सकारात्मक हूं कि यह संबंध भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा.’

उन्होंने देश के हित में ‘स्वतंत्र विदेश नीति’ का पालन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भी तारीफ की थी.

पुतिन ने कहा था कि भारत ब्रिटिश उपनिवेश से आधुनिक राष्ट्र बनने तक एक महान विकास पथ पर चला है.

उन्होंने कहा था कि रूस भारत के लिए समय की कसौटी पर खरा उतरने वाला एक भागीदार रहा है और मॉस्को नई दिल्ली की विदेश नीति का एक प्रमुख स्तंभ रहा है.

भारत ने पश्चिमी देशों की आपत्ति के बावजूद पिछले कुछ महीनों में रूस से रियायती दरों पर कच्चे तेल का आयात बढ़ाया है.

नई दिल्ली ने अभी तक यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा भी नहीं की है और वह अपने इस रुख पर कायम रहा है कि संकट का समाधान कूटनीति और बातचीत के माध्यम से किया जाना चाहिए.

मोदी ने 16 सितंबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद शहर में पुतिन के साथ हुई द्विपक्षीय बैठक में उनसे कहा था कि ‘आज का युग युद्ध का युग नहीं है.’

भाषा के इनपुट से


यह भी पढ़ेंः कैसे गुजरात पिटाई मामले ने भारतीय राजनीति की ‘सेकुलर’ चुप्पी को सामने ला दिया


share & View comments