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Friday, 22 November, 2024
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रूसी अदालत ने मानवाधिकार संगठन पर लगाई रोक, 2016 में घोषित किया था ‘विदेशी एजेंट’

मेमोरियल और उसके समर्थकों ने सरकार के आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया. संगठन के नेताओं ने अदालत के रोक लगाने के आदेश के बाद भी अपनी गतिविधियां जारी रखने की बात कही है.

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मास्को: रूस के सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश के सबसे पुराने और प्रमुख मानवाधिकार संगठन पर रोक लगाने का आदेश दिया. जनता में इस आदेश को लेकर नाराजगी है और इसे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, स्वतंत्र मीडिया और विपक्षी समर्थकों के विरूद्ध महीनों से की जा रही दमनात्मक कार्रवाई की अगली कड़ी बताया जा रहा है.

महाभियोजक कार्यालय ने मानवाधिकार संगठन ‘मेमोरियल’ का कानूनी दर्जा निरस्त करने के लिए पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट याचिका दायर की थी. मेमोरियल एक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन है जिसने सोवियत संघ के दौर में राजनीतिक दमन पर अपने अध्ययन को लेकर ख्याति पाई थी. फिलहाल देश-विदेश में उसके अंतर्गत 50 से अधिक छोटे संगठन आते हैं.

अदालत ने मंगलवार को अभियोजन के पक्ष में व्यवस्था दी. अभियोजन पक्ष ने सुनवाई के दौरान आरोप लगाया था कि मेमोरियल ‘सोवियत संघ की आतंकवादी राज्य की गलत छवि गढ़ता है और नाजी अपराधियों की करतूतों पर पर्दा डालकर कर उनका पुनर्वास करता है.’

मेमोरियल को 2016 में ‘विदेशी एजेंट’ घोषित किया गया था. अगर किसी संस्था को विदेशी एजेंट घोषित कर दिया जाता है तो सरकार उस पर कड़ी निगाह रखती है और उसके कामकाज की अतिरिक्त समीक्षा की जाती है जिससे संबंधित संगठन की साख गिरती है. अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि इस संगठन ने नियमों का उल्लंघन किया जो विदेशी एजेंट घोषित होने के बाद किसी संगठनों को पालन करने चाहिए और इस संबंध में अपनी इस पहचान को भी छिपाया.

मेमोरियल और उसके समर्थकों ने सरकार के आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया. संगठन के नेताओं ने अदालत के रोक लगाने के आदेश के बाद भी अपनी गतिविधियां जारी रखने की बात कही है.


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