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Monday, 16 December, 2024
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द्विपक्षीय सैन्य संबंधों की बहाली और ताइवान – US में हुई महत्वपूर्ण बैठक में बाइडेन और शी ने क्या बात की

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनके चीनी समकक्ष शी जिनपिंग ने ट्रेड वॉर और दशकों में दोनों देशों के बीच संबंधों के निचले स्तर पर पहुंचने की पृष्ठभूमि के बीच शिखर सम्मेलन में 'सबसे रचनात्मक चर्चा' की.

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नई दिल्ली: इसे दोनों देशों के बीच ठंडे पड़े संबंधों में गरमाहट लाने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार को कैलिफोर्निया के वुडसाइड में अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से मुलाकात की और कई विषयों पर चर्चा की, जिसमें द्विपक्षीय सैन्य संबंधों को फिर से शुरू करना और ताइवान का मुद्दा भी शामिल है.

व्हाइट हाउस के अनुसार, अमेरिका और चीन उच्च स्तरीय सैन्य-से-सैन्य संचार, रक्षा नीति समन्वय वार्ता, समुद्री सलाहकार समझौते की बैठकें और थिएटर कमांडरों के बीच टेलीफोन बातचीत फिर से शुरू करने पर सहमत हुए हैं.

शिखर सम्मेलन के बाद एक्स पर एक पोस्ट में, बाइडेन ने कहा कि “गलत अनुमान” से बचने और “संघर्ष को रोकने” के लिए सैन्य-से-सैन्य संचार को फिर से शुरू करना “महत्वपूर्ण” है.

शी के साथ चर्चा से बाहर आने के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए उन्होंने इस बातचीत को “हमारी अब तक की सबसे रचनात्मक और उत्पादक चर्चाओं में से कुछ” करार दिया.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने वैश्विक अवैध दवा निर्माण और तस्करी विशेष रूप से सिंथेटिक दवाओं जैसे फेंटेनाइल और जिन केमिकल्स से यह बनता है उन केमिकल्स व टेबलेट्स को बनाने वाली मशीनों व ड्रग कार्टेल से निपटने के लिए द्विपक्षीय सहयोग की बहाली की भी सराहना की.

बाइडन और शी की मुलाकात सैन फ्रांसिस्को में अमेरिका की अध्यक्षता में हो रहे एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपीईसी) इकोनॉमिक लीडर्स सप्ताह सम्मेलन के दौरान हुई.

APEC की वेबसाइट के अनुसार यह एक क्षेत्रीय मंच जिसकी स्थापना 1989 में हुई, इसमें 21 अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं जो वैश्विक आबादी का 40 प्रतिशत है, और वैश्विक व्यापार में इसकी हिस्सेदारी लगभग 50 प्रतिशत व अमेरिकी माल निर्यात में यह 60 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है.

APEC में शामिल कुछ अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका, चीन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, थाईलैंड, मलेशिया और रूस हैं.

बुधवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में, बाइडेन ने अपनी बात दोहराई कि “शी एक तानाशाह हैं”, उन्होंने कहा: “हां, वह हैं. मेरा मतलब है कि वह तानाशाह इस अर्थ में है कि वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जो एक ऐसी सरकार के आधार पर देश चलाते हैं जो हमारी सरकार से बिल्कुल अलग है.”

दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं – अमेरिका और चीन के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं, खासकर इस साल जासूसी गुब्बारे की घटना के बाद से, जब कथित तौर पर चीन से आने वाला एक काफी ऊंचाई पर उड़ने वाला गुब्बारा अमेरिका के ऊपर से उड़ता हुआ पाया गया था.

दोनों पक्षों ने ट्रेड वॉर को भी बढ़ा दिया है, चीन ने पिछले महीने महत्वपूर्ण खनिजों पर नए निर्यात प्रतिबंध लगाए हैं.

अमेरिका, अपने सहयोगियों के साथ, चीन से “डी-रिस्किंग” की धारणा को आगे बढ़ा रहा है, खनिज सुरक्षा साझेदारी की स्थापना कर रहा है और बीजिंग के साथ प्रतिस्पर्धा करने के प्रयास में अपने हालिया विदेशी विकास कार्यक्रमों जैसे- भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे को बढ़ावा दे रहा है व कोलंबो बंदरगाह का विस्तार करने के लिए $553 मिलियन का वित्तपोषण कर रहा है.


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‘दुनिया दो महाशक्तियों के लिए काफी बड़ी’

बाइडेन के साथ अपने शिखर सम्मेलन से पहले बोलते हुए, शी ने घोषणा की कि दुनिया काफी बड़ी है जिसमें अमेरिका और चीन दोनों साथ-साथ सफल हो सकते हैं और एक देश की सफलता दूसरे के लिए एक अवसर है.

“मैं अभी भी इस विचार पर कायम हूं कि खास देशों के बीच प्रतिस्पर्धा का होना वर्तमान समय की प्रचलित प्रवृत्ति नहीं है और यह चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका या दुनिया भर में बड़े पैमाने पर आने वाली समस्याओं का समाधान नहीं कर सकती है. व्हाइट हाउस के एक बयान के अनुसार, शी ने कहा, “दुनिया दोनों देशों की सफलता के लिए काफी बड़ी है और एक देश की सफलता दूसरे देश के लिए एक अवसर है.”

“चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे दो बड़े देशों के लिए, एक-दूसरे से मुंह मोड़ना कोई विकल्प नहीं है. शी ने कहा, “एक पक्ष के लिए दूसरे को नया रूप देना अवास्तविक है और संघर्ष व टकराव के दोनों पक्षों के लिए असहनीय परिणाम होते हैं.”

मानवाधिकार और ताइवान

व्हाइट हाउस ने पुष्टि की कि शिखर सम्मेलन के बाद प्रकाशित एक रीडआउट में जलवायु परिवर्तन, मानवाधिकार और ताइवान सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई.

बाइडेन ने एक-चीन नीति के लिए अपना समर्थन दोहराया, साथ ही यह भी कहा कि अमेरिका यथास्थिति में किसी भी एकतरफा बदलाव के खिलाफ होगा.

रीडआउट में कहा गया, “ताइवान पर, राष्ट्रपति बाइडेन ने जोर दिया कि हमारी एक-चीन नीति नहीं बदली है और दशकों तक और प्रशासनों में सुसंगत रही है. उन्होंने दोहराया कि संयुक्त राज्य अमेरिका किसी भी पक्ष की ओर से यथास्थिति में किसी भी एकतरफा बदलाव का विरोध करता है, हम उम्मीद करते हैं कि क्रॉस-स्ट्रेट मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीकों से हल किया जाएगा, और दुनिया को ताइवान स्ट्रेट में शांति और स्थिरता में रुचि है.”

बाइडेन ने जोर देकर कहा कि अमेरिका अपने हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए उन्नत अमेरिकी प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल को रोकने के लिए कार्रवाई करना जारी रखेगा. व्हाइट हाउस रीडआउट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति ने शिनजियांग, तिब्बत और हांगकांग प्रांत में मानवाधिकारों के हनन पर भी अपनी चिंताएं साझा कीं.

बाइडेन को इज़रायल-हमास संघर्ष के संबंध में प्रेस के कई सवालों का सामना करना पड़ा, जहां उन्होंने इज़रायल के “खुद की रक्षा करने के अधिकार” के लिए अमेरिकी समर्थन दोहराया और हमास द्वारा पकड़े गए बंधकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने पर काम करने का वादा किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि संघर्ष का एकमात्र समाधान “दो-राज्य समाधान” है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाइडेन ने कहा, “मैं आपको नहीं बता सकता कि यह कितने समय तक चलेगा… लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि मुझे नहीं लगता कि यह अंततः तब तक समाप्त होगा जब तक कि दो-राज्य समाधान न हो.” बाइडेन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “मैंने इजरायलियों को स्पष्ट कर दिया है, मुझे लगता है कि यह सोचना उनके लिए एक बड़ी गलती है कि वे गाजा पर कब्जा करने जा रहे हैं.”

(संपादनः शिव पाण्डेय)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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