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Monday, 23 December, 2024
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चीन ने जापान के संवेदनशील रक्षा नेटवर्क हैक किए, रूस की भी जासूसी की : रिपोर्ट 

रिपोर्ट के मुताबिक, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साइबर जासूसों ने जापान के सबसे संवेदनशील कंप्यूटर सिस्टम में चुपके से सेंधमारी की.

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टोक्यो (जापान) : चीनी सेना ने 2020 की सर्दी में, जापान के क्लासीफाइड रक्षा नेटवर्क को परेशानी में डाला, बुधवार को द वाशिंगटन पोस्ट ने यह खबर दी है.

रिपोर्ट के मुताबिक, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साइबर जासूसों ने जापान के सबसे संवेदनशील कंप्यूटर सिस्टम में चुपके से सेंधमारी की.

वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, अमेरिका के तीन पूर्व वरिष्ठ अधिकारियोंं, जिनका साक्षात्कार लिया गया था, वे दर्जनों वर्तमान और पूर्व अमेरिकी और जापानी अधिकारियों में से थे, ने कहा कि हैकर्स के पास गहरी, लगातार पहुंच थी और ऐसा प्रतीत होता है कि योजनाए, क्षमताएं और सैन्य कमियों का आकलन करने में किसी चीज़ के पीछे लगे हुए थे.

एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी, जिनको घटना की जानकारी दी गई, याद किया कि यह “यह बुरा था- चौंकाने वाला बुरा.” जिसे पहले रिपोर्ट नहीं किया गया.

वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, जापान अपने नेटवर्क को मजबूत करने का प्रयास कर रहा है. लेकिन उन्हें अभी भी बीजिंग की जासूसी नजरों से पर्याप्त रूप से सुरक्षित नहीं माना जा रहा है, इन अधिकारियों का कहना है, जो कि पेंटागन और बीजिंग के रक्षा मंत्रालय के बीच अधिक खुफिया जानकारी साझा करने में बाधा पैदा कर सकती है.

वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया है कि 2020 की पैठ इतनी परेशान करने वाली थी कि नासा और यूएस साइबर कमांड के प्रमुख जनरल पॉल नाकासोन, और मैथ्यू पॉटिंगर, जो कि उस समय व्हाइट हाउस के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे, टोक्यो के दौरे पर गए थे, यह जानकारी रक्षामंत्री को दी, जो इतने चिंतित थे कि उन्होंने खुद से प्रधानमंत्री को सचेत किया.

जापानी अचंभित रह गए, लेकिन उन्होंने संकेत दिया कि वे इस मामले पर गौर करेंगे, जब यह सब हुआ तब वॉशिंगटन राष्ट्रपति जो बाइडेन की जीत का गवाह बन रहा था.

बाइडेन प्रशासन स्थापित होने पर, साइबर सुरक्षा और रक्षा अधिकारियों को एहसास हुआ कि समस्या बढ़ गई है. चीनी अभी भी टोक्यो के नेटवर्क में सेंध लगाने में लगे हुए थे.

अमेरिकी जांच पर, जापानियों ने कहा है कि वे नेटवर्क की सुरक्षा बढ़ा रहे हैं, अगले 5 वर्षों के लिए साइबर सुरक्षा के बजट को 10 गुना बढ़ाने और अपने सैन्य साइबर सुरक्षा बल को चार गुना बढ़ाकर 4,000 कर रहे हैं, वाशिंगटन पोस्ट ने यह रिपोर्ट दी है.

इससे पहले, पिछले साल चीनी हैकरों ने कथित तौर पर वैज्ञानिकों को और इस देश की सुरक्षा प्रणालियों पर कथित तौर पर महत्वपूर्ण डेटा पाने के लिए 23 मार्च को रूस के कई सैन्य अनुसंधान और विकास संस्थानों में इंजीनियरों को मैलवेयर लिंक वाले ईमेल भेजे.

ये ईमेल, जो कथित तौर पर रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजे गए थे और इसमें “यूक्रेन पर हमला करने के लिए अमेरिकी प्रतिबंधों के तहत व्यक्तियों की सूची” के बारे में स्पष्ट जानकारी थी, जो कि वास्तव में चीन में राज्य-प्रायोजित हैकरों द्वारा रूसी टारगेट्स को डाउनलोड करने और मैलवेयर के जरिए दस्तावेजों को खोलने व ललचाने के लिए भेजा गया था. न्यूयॉर्क टाइम्स ने इजरायली-अमेरिकी साइबर सुरक्षा फर्म चेक प्वाइंट की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्वाइंट के रिसर्च से पता चला है कि देशों के गहरे संबंधों के बावजूद, चीन संवेदनशील सैन्य तकनीकी जानकारी की चोरी के लिए रूस को एक वाजिब टारगेट के रूप में देखता है.

रिपोर्ट रूस पर जासूसी करने के चीनी प्रयासों के नए सबूत देती है, जो कि अमेरिका के खिलाफ एकजुटता के साथ करीब आए दोनों देशों के बीच संबंधों की जटिलता की ओर इशारा करती है.

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह चीन के साइबर जासूसों की लगातार बढ़ रही टारगेट्स की जानकारी जुटाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बड़े स्तर पर और तेजी से परिष्कृत रणनीति को भी दिखाता है, जिसमें रूस जैसे वे देश भी शामिल हैं, जिन्हें वह मित्र मानता है.

चेक प्वाइंट की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी जासूसी अभियान रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के पहले जुलाई 2021 की शुरुआत में हुआ. मार्च के ईमेल दिखाते हैं कि चीनी हैकरों ने यूक्रेन में युद्ध को लेकर अपने मकसद वाले नैरेटिव का तेजी से फायदा उठाया.


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