इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व प्रधान न्यायाधीश साकिब निसार ने उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश को पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज को 2018 के आम चुनाव से पहले किसी भी कीमत पर जमानत पर रिहा नहीं करने का निर्देश दिया था. मीडिया में सोमवार को आई एक खबर में यह दावा किया गया.
पाकिस्तान में भ्रष्टाचार के दो मामलों में दोषी करार दिए गए 71 वर्षीय शरीफ नवंबर 2019 से लंदन में रह रहे हैं. लाहौर उच्च न्यायालय ने शरीफ को उपचार को लेकर चार सप्ताह के लिए विदेश जाने की अनुमति दी थी.
‘द न्यूज इंटरनेशनल’ ने एक खबर में कहा है कि गिलगित बाल्टिस्तान की शीर्ष अदालत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राणा एम शमीम ने एक नोटरीकृत हलफनामे में कहा है कि वह इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अमीर फारूक को पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश निसार द्वारा दिए गए निर्देश के गवाह हैं.
गिलगित बाल्टिस्तान के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के हलफनामे के मुताबिक निर्देश दिया गया था कि नवाज शरीफ और मरियम नवाज शरीफ को आम चुनाव खत्म होने तक जेल में ही रखना चाहिए.
दस्तावेज के अनुसार शमीम का बयान 10 नवंबर को शपथ आयुक्त के समक्ष हलफनामे के तहत दिया गया था. हलफनामे पर गिलगित बाल्टिस्तान के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के हस्ताक्षर के साथ-साथ उनके राष्ट्रीय पहचान पत्र की एक तस्वीर भी शामिल है.
एक जवाबदेही अदालत ने 25 जुलाई 2018 के आम चुनाव से पहले शरीफ और मरियम दोनों को एवेनफील्ड मामले में दोषी ठहराया था. उनके वकीलों ने दोषसिद्धि के निलंबन के लिए एक अदालत का रुख किया था, लेकिन प्रारंभिक सुनवाई के बाद मामला जुलाई के अंतिम सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दिया गया था.
पूर्व प्रधान न्यायाधीश निसार ने इनकार किया है कि उन्होंने अपने किसी भी अधीनस्थ न्यायाधीश को शरीफ, शहबाज शरीफ, मरियम नवाज या किसी अन्य को लेकर संबंधित न्यायिक आदेश के संबंध में निर्देश दिया था.
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