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Sunday, 22 December, 2024
होमविदेशचीन की कम्युनिस्ट पार्टी की आक्रमकता से निपटने के लिए भारत और अमरीका को साथ काम करने की जरूरत- पोम्पियो

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की आक्रमकता से निपटने के लिए भारत और अमरीका को साथ काम करने की जरूरत- पोम्पियो

पोम्पियो ने स्वीकार किया कि भारत की सुरक्षा के लिए अमेरिका कभी भी ज्यादा सहयोगात्मक नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि नयी दिल्ली एक महत्वपूर्ण साझेदार है और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की विदेश नीति का मुख्य स्तंभ है.

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वॉशिंगटन: अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में हाल ही में भारत के खिलाफ चीन की सेना द्वारा ‘शुरू की गई’ झड़पें चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के ‘अस्वीकार्य व्यवहार’ का नवीनतम उदाहरण है.

उन्होंने टिकटॉक सहित 59 चीनी ऐप को प्रतिबंधित करने के भारत के निर्णय की प्रशंसा की और कहा कि ये भारत के लोगों के लिए ‘सुरक्षा खतरा’ हैं.

पोम्पियो ने कहा, ‘यह महत्वपूर्ण है कि हमारे जैसा लोकतंत्र मिलकर काम करे, खासकर तब जब चीनी कम्युनिस्ट पार्टी स्पष्ट रूप से चुनौतियां पेश कर रही है.’

उन्होंने भारत को विश्वास की कसौटी पर खरा उतरे गिने चुने देशों में एक बताते हुए कहा कि नयी दिल्ली एक महत्वपूर्ण साझेदार है और राष्ट्रपति ट्रंप की विदेश नीति में एक अहम स्तंभ है.

उन्होंने कहा, ‘उन्हें इस बात का जिक्र करते हुए खुशी हो रही है कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में और वैश्विक स्तर पर अमेरिका के रक्षा एवं सुरक्षा साझेदार के रूप में उभर रहा है.’

पोम्पियो ने कहा, ‘हमारी आधारभूत परियोजनाएं, हमारी आपूर्ति श्रृंखला, हमारी संप्रभुता और हमारे लोगों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा सभी कुछ खतरे में हैं. काश हम इसे झुठला सकते.’ उन्होंने अमेरिका भारत व्यावसायिक परिषद् की वार्षिक ‘इंडिया आइडियाज समिट’ के मुख्य सत्र को संबोधित करते हुए यह कहा.

उन्होंने कहा, ‘पीएलए द्वारा हाल में शुरू की गई झड़पें सीसीपी के अस्वीकार्य व्यवहार के नवीनतम उदाहरण हैं. भारतीय सेना के 20 जवानों की इसमें मौत होने पर हमें गहरा दुख है. मुझे विश्वास है कि अपने लगातार प्रयास से हम अपने हितों की रक्षा कर सकते हैं.’

पूर्वी लद्दाख में पांच मई से वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास भारत और चीन की सेना के बीच कई इलाकों में गतिरोध जारी है. स्थिति पिछले महीने और खराब हो गई, जब गलवान घाटी में संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक मारे गए.

पोम्पियो को टिप्पणी अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर के उस बयान के एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि क्षेत्र में चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की आक्रामक गतिविधियां अस्थिरता पैदा करने जैसी हैं.


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पोम्पियो ने हाल में 59 चीनी मोबाइल ऐप को प्रतिबंधित करने के भारत के निर्णय की सराहना की जिसमें टिकटॉक भी शामिल है. उन्होंने कहा कि ये भारत के लोगों के लिए गंभीर सुरक्षा खतरा हैं.

उन्होंने कहा कि उन्हें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि ‘हिंद-प्रशांत और पूरी दुनिया में भारत, अमेरिका का उभरता रक्षा सहयोगी है.’

उन्होंने स्वीकार किया कि भारत की सुरक्षा के लिए अमेरिका कभी भी ज्यादा सहयोगात्मक नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि नयी दिल्ली एक महत्वपूर्ण साझेदार है और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की विदेश नीति का मुख्य स्तंभ है.

उन्होंने कहा , ‘हम यह सुनिश्चत करने के लिये मिल कर काम करेंगे कि विश्व बौद्धिक संपदा संगठन का चुनाव कोई ऐसा देश जीते जो संपदा अधिकारों का सम्मान करता है. यही मूल बात है. ’

पोम्पियो ने इस बात का जिक्र किया कि अमेरिका, भारत, जापान और आस्ट्रेलिया की सदस्यता वाले तथाकथित समूह को पुनर्जीवित किया गया है.

उल्लेखनीय है कि दक्षिण चीन सागर में चीन के वर्चस्व स्थापित करने की कोशिशों को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तकरार चल रही है.

पोम्पियो ने इस बात का भी जिक्र किया कि अमेरिका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले जी-7 सम्मेलन में आमंत्रित किया है जहां आर्थिक समृद्धि नेटवर्क को आगे बढ़ाने पर विचार किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि भारत के पास मौका है कि वह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को अपनी ओर आकर्षित करे और चीनी कंपनियों पर दूरसंचार, मेडिकल आपूर्ति तथा अन्य क्षेत्रों में उनकी निर्भरता को घटाए.

उन्होंने कहा, ‘भारत इस स्थिति में है क्योंकि इसने अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों का विश्वास जीता है.’

उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत के साथ अपने संबंधों के एक नये युग की आकांक्षा रखता है.

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