scorecardresearch
Saturday, 26 October, 2024
होमविदेशराजपक्षे के वंशज नमल श्रीलंका के राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल — ‘चुनौतियों का सामना करना चाहिए’

राजपक्षे के वंशज नमल श्रीलंका के राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल — ‘चुनौतियों का सामना करना चाहिए’

सितंबर में होने वाले चुनावों को रानिल विक्रमसिंघे, सजित प्रेमदासा और अनुरा दिसानायके के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखा जाएगा, लेकिन महिंदा राजपक्षे के बेटे के आने से काम में अड़चन आ सकती है.

Text Size:

नई दिल्ली: राजपक्षे परिवार के वंशज और श्रीलंका पीपुल्स फ्रंट (एसएलपीपी) के राष्ट्रीय आयोजक नमल राजपक्षे ने आगामी श्रीलंकाई राष्ट्रपति चुनावों की दौड़ में आधिकारिक रूप से कदम रख दिया है.

नमल को पार्टी के उम्मीदवार चुना गया, जब “कैसीनो किंग” धम्मिका परेरा ने एसएलपीपी के आधिकारिक नामांकन को स्वीकार नहीं करने का फैसला किया.

नमल ने दिप्रिंट से कहा, “हमें चुनौतियों का सामना तब करना चाहिए, जब इसकी ज़रूरत हो, न कि तब, जब हर कोई इसके लिए तैयार हो.”

सूत्रों ने कहा कि यह फैसला अप्रत्याशित था जिसे पार्टी ने मंगलवार को जल्दबाज़ी में लिया. राजपक्षे की प्रेस टीम ने उम्मीदवार के चित्रों का एक नया सेट भेजा और बुधवार सुबह 9 बजे औपचारिक घोषणा की गई.

38-वर्षीय राजपक्षे इस कठिन चुनाव में सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे, जिसमें संसद के कई मौजूदा सदस्य अलग-अलग पार्टी संबद्धता के बावजूद राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को अपना समर्थन दे रहे हैं और एक ही पार्टी के कई उम्मीदवार पद के लिए दावेदारी कर रहे हैं.

राजपक्षे पूर्व राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के बेटे और पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के भतीजे हैं, जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को ठीक से न संभाल पाने के खिलाफ देशव्यापी विद्रोह के बाद पद छोड़ दिया था. गोटाबाया भी जुलाई 2022 में देश छोड़कर भाग गए थे.

महिंदा राजपक्षे और उनके दूसरे भाई बेसिल राजपक्षे द्वारा स्थापित एसएलपीपी के पास वर्तमान में संसद में सबसे अधिक सीटें हैं.

एक चौंकाने वाले कदम में, पार्टी के पोलित ब्यूरो ने जुलाई के अंत में फैसला किया कि वह विक्रमसिंघे का समर्थन नहीं करेगा.

हालांकि, 92 सांसदों ने 30 जुलाई को विक्रमसिंघे से मुलाकात कर समर्थन जताया, जिनमें कई एसएलपीपी सांसद भी शामिल थे. विश्लेषकों का मानना ​​है कि राजपक्षे के आधिकारिक रूप से टिकट पर होने के बाद वे एसएलपीपी के पाले में वापस आ जाएंगे.

इस बीच, नमल ने दिप्रिंट से कहा कि उन्हें एसएलपीपी में विभाजन की चिंता नहीं है.

21 सितंबर को होने वाला यह चुनाव 2022 के आर्थिक संकट के बाद पहला चुनाव होगा, जिसके कारण राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के नेतृत्व में नई सरकार बनी. इसे व्यापक रूप से इस बात पर वोट के रूप में देखा जा रहा है कि क्या उन्होंने देश को आर्थिक स्थिरता की ओर प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाया है.

संसद ने उन्हें जुलाई 2022 में चुना — जबकि उनकी पार्टी, यूनाइटेड नेशनल पार्टी के पास सदन में केवल एक सीट थी — गोटाबाया राजपक्षे द्वारा खाली किए गए पांच साल के कार्यकाल के शेष समय के लिए, जिन्हें नवंबर 2019 में चुना गया था.

उम्मीदवारों के पास चुनाव आयोग को नॉन-रिफंडेबल योग्य जमा राशि जमा करने और एक दिन बाद नामांकन जमा करने के लिए 14 अगस्त तक का समय है. अब तक, 18 उम्मीदवारों ने मैदान में अपनी किस्मत आजमाई है — जिसमें विपक्ष के नेता सजित प्रेमदासा और फील्ड मार्शल सरथ फोंसेका (सेवानिवृत्त) शामिल हैं, जो दोनों एक ही पार्टी, समागी जना बालवेगया के सदस्य हैं.

मार्क्सवादी जेवीपी सहित गठबंधन, नेशनल पीपुल्स पावर के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके भी मैदान में हैं.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि चुनाव विक्रमसिंघे, प्रेमदासा और दिसानायके के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होगा — लेकिन राजपक्षे का नामांकन काम में बाधा डाल सकता है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: बांग्लादेश से गैर-जरूरी स्टाफ लौटे भारत; राजनयिक वहीं रहेंगे, उच्चायोग काम करता रहेगा


 

share & View comments