ओस्लो: फिलीपींस की पत्रकार मारिया रसा और रूसी पत्रकार दमित्री मुरातोव को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है. यह पुरस्कार उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए उनके संघर्ष को लेकर दिया गया है.
विजेताओं की घोषणा शुक्रवार को नॉर्वेजियन नोबेल समिति के अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडरसन ने की.
यह पुरस्कार किसी उस संगठन या व्यक्ति को दिया जाता है, जिसने राष्ट्रों के बीच भाइचारे और बंधुत्व को बढ़ाने के लिए सर्वश्रेष्ठ काम किया हो.
पिछले साल यह पुरस्कार विश्व खाद्य कार्यक्रम को दिया गया था, जिसकी स्थापना 1961 में विश्व भर में भूख से निपटने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ड्वाइट आइजनहावर के निर्देश पर किया गया था.
रोम से काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी को वैश्विक स्तर पर भूख से लड़ने और खाद्य सुरक्षा के प्रयासों के लिए यह पुरस्कार दिया गया.
इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के तहत एक स्वर्ण पदक और एक करोड़ स्वीडिश क्रोनर (11.4 लाख डॉलर से अधिक राशि) दिये जाते हैं.
पत्रकार मारिया रेसा और दमित्री मुरातोव को शांति का नोबेल प्राइस दिए जाने का स्वागत देश की राजधानी स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने भी किया है. प्रेस क्लब ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर बधाई देते हुए लिखास ‘ बधाई हो मारिया रेसा और दमित्री मुरोतोव. सत्तावाद के सामने सच्चाई की पत्रकारिता ही सच्चा साहस है.’
Congratulations to @mariaressa and Dmitry Muratov for winning the Nobel Peace Prize 2021
Journalism of truth, in the face of authoritarianism, is true courage https://t.co/6YFL9lGVHQ
— Press Club of India (@PCITweets) October 8, 2021
यह भी पढ़ें: अणुओं को बनाने का नया तरीका विकसित करने के वास्ते लिस्ट, मैकमिलन को केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार
मारिया और दमित्री ने सत्ता के खिलाफ आवाज़ बुलंद की
मारिया रसा अपने मूल देश फिलीपींस में सत्ता के दुरुपयोग, बढ़ती हिंसा और अधिनायकवाद को उजागर करने के लिए फ्रीडम ऑफ प्रेस का उपयोग करती रही हैं. 2012 में, उन्होंने खोजी पत्रकारिता के लिए एक डिजिटल मीडिया कंपनी Rappler की सह-स्थापना की, जिसकी वह अभी भी प्रमुख हैं.
एक पत्रकार और रैपर के सीईओ के रूप में, रसा फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन की रक्षक की तरह काम करती हैं. रैपर ने दुतेर्ते शासन के विवादास्पद, जानलेवा ड्रग-विरोधी अभियान पर ध्यान केंद्रित किया. रसा और रैपर ने बेबाकी से यह भी लिखा कि कैसे सोशल मीडिया का उपयोग फेक न्यूज फैलाने, विरोधियों को परेशान करने और पब्लिक डिस्कोर्स में हेरफेर करने के लिए किया जा रहा है.
मारिया को पहले भी कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.
वहीं रूस के पत्रकार दमित्री मुरातोव भी फ्रीडम और एक्सप्रेशन को लेकर खूब आवाज बुलंद की है. दमित्री रूसी अखबार नोवाया गजेटा के संपादक हैं. नोवाया गजेटा फैक्ट पर आधारित पत्रकारिता करता रहा है. 1993 में जबसे नोवाया गजेटा की शुरुआत हुई है वह सरकार और पावर के खिलाफ आवाज उठाता रहा है. जबसे अखबार की शुरुआत हुई है इसके छह पत्रकारों की हत्या कर दी गई है जिसमें अन्ना पोलितकोवसाका भी शामिल हैं जिन्होंने चेचन्या में चल रहे युद्ध पर एक लेख लिखा था.
हत्याओं और धमकियों के बावजूद, प्रधान संपादक मुरातोव ने अखबार की स्वतंत्र नीति को छोड़ने से इनकार कर दिया और वो लगातार पत्रकारों और पत्रकारिता के अधिकारों के हवाले से आवाज बुलंद करते रहे हैं. वे पत्रकारिता के पेशेवर और नैतिक मानकों का पालन करते हैं, उन्होंने पत्रकार जो कुछ भी लिखना चाहते हैं और लिखने के अधिकार का लगातार बचाव किया है.
यह भी पढ़ें: 2 अमेरिकी साइंटिस्ट को मेडिसिन में तापमान और टच ‘रिसेप्टर्स’ के लिए मिला नोबेल