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Thursday, 25 April, 2024
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अगर 3 साल पहले तक पता चल जाए अग्नाशय का कैंसर तो हो सकता है ठीक: न्यू स्टडी

अग्नाशय का कैंसर एक खामोश बीमारी है. कई लोगों के लिए, इसके कोई लक्षण नहीं होते हैं जब तक कि यह बहुत बढ़ न जाए.

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लंदन (द कन्वरसेशन): यूके में हर साल 10,000 से अधिक लोगों को अग्नाशय का कैंसर होने का पता चलता है. दुर्भाग्य से, उन लोगों में से अधिकांश में, रोग का पता इतनी देर से चलता है कि रोगी के ठीक होने की संभावना खत्म हो जाती है. निदान के बाद 10% से कम लोग पांच साल तक जीवित रहते हैं.

अग्नाशय का कैंसर एक खामोश बीमारी है. कई लोगों के लिए, इसके कोई लक्षण नहीं होते हैं जब तक कि यह बहुत बढ़ न जाए. वजन कम होना और रक्त शर्करा का बढ़ा हुआ स्तर ज्ञात संकेत हैं, लेकिन अब तक यह अज्ञात है कि ये परिवर्तन कब और किस हद तक होते हैं.

यदि हम यह बेहतर ढंग से समझ सकें कि अग्नाशय के कैंसर के निदान से पहले ये परिवर्तन कैसे और कब होते हैं, तो हम इस ज्ञान का उपयोग रोग के निदान के लिए पहले और संभावित रूप से, भविष्य में, इस घातक बीमारी से प्रभावित कुछ लोगों के जीवन को बचाने के लिए कर सकते हैं.

पीएलओएस वन में प्रकाशित अपनी तरह के सबसे बड़े अध्ययन में, सरे विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर अग्नाशय के कैंसर के ज्ञात लक्षणों – वजन घटने, उच्च रक्त शर्करा और मधुमेह – की जांच की और देखा कि वे कब कैंसर के संबंध में विकसित होते हैं.

इस शोध के लिए, हमने इंग्लैंड में एक करोड़ से अधिक लोगों के एक बड़े डेटासेट का उपयोग किया. डेटासेट का बड़ा आकार यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण था कि हमारे निष्कर्ष पूरी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं. हमने अग्नाशय के कैंसर के निदान और संबंध की तीन विशेषताओं के बारे में जानकारी निकाली और जांच की कि वे समय के साथ लोगों के लिए कैसे बदलते हैं.

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हमने लगभग 9,000 लोगों के बॉडी मास इंडेक्स (वजन घटने के लिए) और एचबीए 1 सी (रक्त शर्करा के लिए) की तुलना लगभग 35,000 लोगों के समूह के साथ की, जिन्हें यह बीमारी नहीं थी. हमने पाया कि अग्नाशय के कैंसर से पीड़ित लोगों में नाटकीय रूप से वजन कम होना निदान मिलने से दो साल पहले ही शुरू हो गया था.

निदान के समय, अग्नाशय के कैंसर वाले लोगों का औसत बीएमआई उन लोगों की तुलना में लगभग तीन यूनिट कम था, जिन्हें कैंसर नहीं था. कैंसर का निदान होने से तीन साल पहले ग्लूकोज के बढ़े हुए स्तर का पता चला था.

हमारे विश्लेषण से पता चला है कि मधुमेह वाले लोगों में वजन का कम होना बिना मधुमेह वाले लोगों की तुलना में अग्नाशय कैंसर विकसित होने का अधिक जोखिम रखता है. बिना मधुमेह वाले लोगों में ग्लूकोज के स्तर में वृद्धि मधुमेह वाले लोगों की तुलना में अग्नाशय कैंसर के उच्च जोखिम से जुड़ी थी.

परिणाम बताते हैं कि बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन घटने तो, मुख्य रूप से मधुमेह वाले लोगों (लेकिन विशेष रूप से नहीं) पर नजर रखी जानी चाहिए. इसके अलावा, ग्लूकोज के स्तर में वृद्धि अग्नाशय के कैंसर के लिए खतरे की घंटी माना जाना चाहिए.

ये परिवर्तन स्वास्थ्य जांच के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं, यदि नियमित रूप से नजर रखी जाए, तो डॉक्टरों को ऐसे लोगों की पहचान करने में मदद मिल सकती है, जिन्हें अग्नाशयी कैंसर होने का पता नहीं चला. फिर इन लोगों को कैंसर की जांच के लिए पेट के स्कैन के लिए अस्पताल के विशेषज्ञ के पास भेजा जा सकता है.

बीमारी का शुरूआती स्तर पर पता चलने का लाभ यह है कि यह कैंसर के फैलने की संभावना को कम करता है और यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि रोगी उपचार का सामना करने के लिए पर्याप्त रूप से फिट हैं.

हम यहां से कहां जाते हैं

अपने अध्ययन में, हमने औसत दरों को देखा. इससे भविष्य में डेटा का गहराई से अध्ययन करना और उन व्यक्तियों या लोगों के समूहों की जांच करना महत्वपूर्ण होगा जो वजन घटाने और ग्लूकोज के स्तर में वृद्धि का अनुभव करने की अधिक संभावना रखते हैं. यह दृष्टिकोण तब उन लोगों की मदद करने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है.

हम इस जानकारी को एक अधिक जटिल उपकरण (एल्गोरिदम) से भी देखना चाहते हैं जिसका उपयोग डॉक्टर कर सकें. वजन और ग्लूकोज का एक साथ उपयोग करना, और संभावित रूप से अग्नाशय के कैंसर (गहरा मूत्र, हल्का मल, पीली त्वचा) के अन्य प्रमुख लक्षणों को शामिल करना, इनमें से प्रत्येक उपाय को अलग से देखने की तुलना में अधिक शक्तिशाली है.

इस तरह का एक उपकरण शीघ्र निदान में सुधार और लोगों की जान बचाने का एक शक्तिशाली तरीका हो सकता है.


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