नई दिल्ली: इधर स्तब्ध रह गई दुनिया यूक्रेन पर रूस का हमला देख रही थी, उधर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान क्रेमलिन में बैठकर वो काम कर रहे थे, जो वो सबसे अच्छा करते हैं- जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को उठाना.
बृहस्पतिवार को, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के साथ अपनी पहली शिखर बैठक में, जो हमले के साथ-साथ चल रही थी, खान ने कश्मीर मसले के शांतिपूर्ण हल की ‘अनिवार्यता’ पर बल दिया और साथ ही रूस के साथ ‘दीर्घ-कालिक और बहु-आयामी रिश्तों’ को लेकर प्रतिबद्धता जताई.
पाकिस्तानी पीएम रूस के दो दिन (23-24 फरवरी) के दौरे पर थे और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी और वरिष्ठ अधिकारी भी उनके साथ थे. पिछले 23 वर्षों में किसी भी पाकिस्तानी पीएम का रूस का ये पहला आधिकारिक दौरा था.
तीन घंटे चलने वाली बैठक ऐसे समय हुई, जब क्रेमलिन ने यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई का ऐलान किया, जिसकी प्रतिक्रिया स्वरूप कई देशों खासकर अमेरिका ने रूस के खिलाफ ऐसी कड़ी पाबंदियां लगा दीं, जिनसे रूसी अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है.
मीटिंग के बाद पाकिस्तानी सरकार की ओर से जारी एक बयान में, चर्चा के प्रमुख बिंदुओं का उल्लेख किया गया, जिनमें कश्मीर मुद्दा और द्विपक्षीय रिश्ते शामिल हैं. बयान में यूक्रेन युद्ध पर भी खेद व्यक्त किया गया.
बयान ने कहा गया, ‘दक्षिण एशिया की स्थिति पर प्रधानमंत्री ने आईआईओजेको (भारत के अवैध कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर) में मानवाधिकारों की गंभीर स्थिति पर भी प्रकाश डाला और जम्मू-कश्मीर विवाद के शांतिपूर्ण समाधान की अनिवार्यता पर भी ज़ोर दिया’.
इससे कुछ सप्ताह पहले ही भारत में रूसी दूतावास ने कहा था कि कश्मीर विवाद पर मास्को केवल लाहौर और शिमला समझौतों को ही मानेगा और उसने ज़ोर देकर कहा था ये पाकिस्तान और भारत के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा है.
दूतावास की टिप्पणियां उस समय आईं, जब रूसी मीडिया कंपनी आरटी से संबद्ध, रूस-समर्थित रेडफिश मीडिया की एक डॉक्युमेंट्री ने विवाद खड़ा कर दिया, जिसमें कश्मीर की फिलिस्तीन से तुलना की गई थी. इसके बाद डॉक्युमेंट्री की रिलीज़ को स्थगित कर दिया गया है.
इससे पहले खान ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर का ‘ब्रांड एंबेसडर’ बनने की पेशकश की थी.
पाकिस्तानी बयान में कहा गया, ‘प्रधानमंत्री ने उन घटनाक्रमों पर भी रोशनी डाली, जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए हानिकारक हो सकते हैं और ऐसे उपायों की जरूरत पर बल दिया, जिनसे स्थानीय संतुलन बनाए रखने में सहायता मिल सके’.
अपनी ओर से मास्को ने दो पंक्तियों का एक संक्षिप्त बयान जारी किया: ‘दोनों देशों के नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग के मुख्य पहलुओं पर चर्चा की और क्षेत्रीय विषयों पर विचारों का आदान-प्रदान किया, जिनमें दक्षिण एशिया के घटनाक्रम भी शामिल थे. इससे पहले उसी दिन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने क्रेमलिन दीवार के साथ एक अज्ञात सैनिक के मकबरे पर माल्यार्पण समारोह में भी शिरकत की’.
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द्विपक्षीय संबंध
2022 में जब से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सत्ता की बागडोर संभाली, तब से पीएम खान उनकी फोन कॉल का इंतज़ार कर रहे हैं लेकिन रूस के इस दौरे से बीजिंग की कड़ी निगरानी के बीच इस्लामाबाद और मास्को के आपसी रिश्तों में मजबूती आएगी.
इस्लामाबाद के बयान के मुताबिक, ‘हाल के महीनों में दोनों नेताओं के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि द्विपक्षीय रिश्तों की सकारात्मक ट्रेजेक्टरी, भविष्य में भी आगे बढ़ता रहेगा…प्रधानमंत्री ने रूस के साथ दीर्घ-कालिक बहु-आयामी रिश्ता बनाने की प्रतिबद्धता पर भी बल दिया’.
खान ने पुतिन से कहा, ‘आपसी रिश्तों का विश्वास और सौहार्द, विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग और ज्यादा गहराई तथा विस्तार लाएगा’.
उन्होंने इस पर भी चर्चा की ‘कि पाकिस्तान और रूस के बीच एक फ्लैगशिप आर्थिक परियोजना के तौर पर पाकिस्तान-स्ट्रीम गैस पाइपलाइन का क्या महत्व है और ऊर्जा-संबंधित भावी परियोजनाओं पर सहयोग को लेकर भी बातचीत की’.
बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान के बारे में भी चर्चा की. खान ने पुतिन से कहा कि ‘एक स्थिर, शांतिपूर्ण अफगानिस्तान’ के लिए, वो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करते रहेंगे’.
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खान ने यूक्रेन हमले पर ‘खेद’ जताया
बयान में कहा गया कि खान ने रूस और यूक्रेन के बीच ताज़ा स्थिति पर ‘खेद’ व्यक्त किया और कहा कि पाकिस्तान ने उम्मीद की थी कि ‘कूटनीति से एक सैन्य टकराव को टाला जा सकता था’.
उसमें कहा गया, ‘प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि टकराव किसी के हित में नहीं है और लड़ाई की सूरत में आर्थिक रूप से सबसे अधिक मार हमेशा विकासशील देशों पर ही पड़ती है. उन्होंने पाकिस्तान के इस विश्वास पर बल दिया कि झगड़ों का समाधान आपसी बातचीत और कूटनीति से किया जाना चाहिए’.
उसमें आगे कहा गया, ‘दुनिया में बढ़ते उग्रवाद और इस्लाम के भय पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री ने अंतरधार्मिक सद्भाव और सह-अस्तित्व की जरूरत पर बल दिया. मुसलमान लोग पवित्र नबी (उनपर शांति हो) के लिए जो सम्मान और संवेदनशीलता रखते हैं, उसके प्रति राष्ट्रपति पुतिन की समझ की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतरधार्मिक सद्भाव और सभी धर्मों का सम्मान, समाज के भीतर और समुदायों के बीच शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए लाज़िमी है.
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