बेंगलुरू: साल 2015 तक जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) फसलों का विरोध करने वाला इथोपिया अब अपने ग्रीन लिट ऑब्जर्वेशनल फील्ड में जीएम आलू का ट्रायल कर रहा हैं. जीएम पोटैटो पर फंगल डिजीज लेट ब्लाइट बेअसर होती है, जिसे आलू और टमाटर की फसल बर्बाद करने के लिए जाना जाता है. फसल का परीक्षण सीमित कृषि क्षेत्र में किया जाएगा.
इथियोपियाई पर्यावरण संरक्षण प्राधिकरण (EPA) ने अफ्रीका के लिए कम पानी की जरूरत वाली मक्के की फसल (WEMA मक्का) प्रोजेक्ट के एक हिस्से के तौर पर ट्रांसजेनिक (जेनेटिक मोडिफाइड) सूखा-प्रतिरोधी और कीट-प्रतिरोधी मक्का (TELA मक्का) के लिए पर्यावरणीय मंजूरी भी जारी की है.
WEMA एक सार्वजनिक-निजी वैज्ञानिक और अनुसंधान सहयोग है जिसे 2008 में छोटे अफ्रीकी किसानों के लिए कम पानी की जरूरत वाली सफेद हाइब्रिड मक्का विकसित करने के लिए शुरू किया गया था. यह अफ्रीकी कृषि तकनीकी फाउंडेशन (AATF) और केन्या, युगांडा, तंजानिया, दक्षिण अफ्रीका और मोजाम्बिक में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर काम कर रहा है.
जीएम आलू के लिए विशेष परमिट इथियोपिया की राष्ट्रीय जैव सुरक्षा सलाहकार समिति की समीक्षा और विचार-विमर्श करने के एक साल बाद आया है. इथियोपियाई कृषि अनुसंधान संस्थान (EIAR) ने जीएम फसल की समीक्षा करने का अनुरोध किया था.
इथियोपिया ने खाद्य सुरक्षा के मद्देनज़र 2015 की जैव सुरक्षा उद्घोषणा में जीएम फसलों की खेती की अनुमति दी थी. उसके बाद जीएम ऑर्गेनिज्म और बॉयोसेफ्टी पर सरकार को सलाह देने के लिए देश की मंत्रिपरिषद की ओर से 2017 में एक सलाहकार समिति का गठन भी किया गया था.
इथियोपिया में जीएम पोटैटो को यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID), कंसल्टेटिव ग्रुप ऑन इंटरनेशनल एग्रीकल्चरल रिसर्च (CGIAR), और इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर (CIP) का समर्थन मिला हुआ है, जिसके सदस्य देशों के तौर पर इथियोपिया, रवांडा और युगांडा को गिना जाता है.
TELA मक्का के सीमित परीक्षण के लिए भी पांच साल के परमिट की मंजूरी दी गई है. अफ्रीकी कृषि तकनीकी फाउंडेशन (AATF) के साथ साझेदारी में WEMA द्वारा तैयार की गई मक्के की यह फसल सिर्फ दक्षिण अफ्रीका में व्यावसायिक रूप से उगाई जाती है. केन्या, मोज़ाम्बिक, तंजानिया और युगांडा में अभी इसका ट्रायल चल रहा है.
TELA मक्का के लिए फील्ड रिसर्च 2018 में की गई थी. उसी साल इथियोपिया ने आनुवंशिक रूप से संशोधित बीटी कपास की कॉमर्शियल खेती को मंजूरी दी थी. विशेषज्ञों ने दो साल के लिए सीमित क्षेत्र परीक्षणों और इससे जुड़े रिस्क का मूल्यांकन करने के बाद उन्हें पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित माना था जिसके बाद इस पर काम किया गया. भारत, चीन, अमेरिका और सूडान में बीटी कपास की व्यावसायिक रूप से खेती की जा रही है, जबकि केन्या में उसका फील्ड परीक्षण चल रहा है. वैसे स्वीकृति मिलने से पहले ही सूडान से इसे इथियोपिया में व्यापक रूप से तस्करी कर लाया जा रहा था.
इथियोपिया के शोधकर्ता देश में जीएम एनसेट (एनसेट वेंट्रिकोसम)- एक प्रकार का केला और एक प्रमुख खाद्य फसल विकसित करने पर भी काम कर रहे हैं. इसके अलग-अलग भागों का इस्तेमाल पहले से देश के कई हिस्सों में औषधि, काम में आने वाले और सजावटी समान के लिए किया जाता रहा है. एनसेट एक ऐसा पौधा है, जो किसी भी तरह के मौसम की मार आसानी से झेल लेता है लेकिन यह अक्सर बैक्टीरियल विल्ट डीजिज का शिकार हो जाता है.
जहां तक देश के लोलैंड वहीट प्रोग्राम – एक सूखा प्रतिरोधी फसल – के बारे में सवाल है, जिसमें कथित तौर पर जीएम गेहूं का परीक्षण शामिल है, तो उसके लिए अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
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