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Sunday, 3 November, 2024
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जमीन पर कोई सैनिक नहीं, यूक्रेन को US सैन्य सहायता वियतनाम युद्ध की तुलना में ज्यादा : जर्मन अध्ययन

कील इंस्टीट्यूट के शोध से पता चलता है कि 1965-75 युद्ध के दौरान अमेरिका ने वियतनाम पर साल में औसतन 86.55 बिलियन यूरो खर्च किए थे. इसकी तुलना में यूक्रेन को दी जा रही अमेरिकी सैन्य सहायता 44.34 बिलियन यूरो तक पहुंच गई है.

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नई दिल्ली : पूर्ण पैमाने पर रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के सिर्फ एक साल के अंदर और जमीन पर अपने सैनिक उतारे बिना अमेरिका ने यूक्रेन में अभी तक जितनी भी सैन्य सहायता खर्च की है वह 1965-75 युद्ध के दौरान वियतनाम में औसतन एक साल में खर्च की गई राशि से आधे से ज्यादा है. यह जानकारी जर्मनी-आधारित कील इंस्टीट्यूट फॉर द वर्ल्ड इकोनॉमी (आईएफडब्ल्यू) के एक अध्ययन से निकल कर सामने आई है.

आईएफडब्ल्यू एक स्वतंत्र गैर-लाभकारी संगठन है जिसे 1914 में स्थापित किया गया था. यह संस्था वैश्विक आर्थिक गतिविधि के कारकों और प्रभाव पर शोध करता है.

आईएफडब्ल्यू के यूक्रेन सपोर्ट ट्रैकर के हिस्से के रूप में पिछले महीने जारी किए गए इस अध्ययन में 24 जनवरी, 2022 (रूस और यूक्रेन के बीच राजनयिक संबंधों की समाप्ति) से लेकर 15 जनवरी, 2023 तक पूरे एक साल के दौरान यूक्रेन को दी गई सैन्य सहायता पर जानकारी जुटाई गई थी. रूस ने 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण शुरू कर दिया था.

अध्ययन से पता चला है कि मुद्रास्फीति से जूझते हुए भी अमेरिका ने यूक्रेन पर 44.34 बिलियन यूरो (लगभग 47 बिलियन डॉलर) खर्च किए है, जबकि वियतनाम युद्ध के दौरान उसका औसतन वार्षिक सैन्य व्यय 86.55 बिलियन यूरो (लगभग 92 बिलियन डॉलर) था.

अध्ययन के मुताबिक, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के संदर्भ में देखें तो यूक्रेन को दी जा रही अमेरिकी सैन्य सहायता वियतनाम में अपने खर्च के एक चौथाई हिस्से तक पहुंच गई है.

इसमें पाया गया कि वियतनाम में वार्षिक औसत की तुलना में यूक्रेन में अमेरिकी सैन्य खर्च अपने सकल घरेलू उत्पाद का 0.21 प्रतिशत है, जो 1965-75 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (उस समय) का 0.96 प्रतिशत था.


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Graphic by Ramandeep Kaur, ThePrint
रमनदीप कौर का ग्राफिक | ThePrint

यह गणना शायद अधिक व्यावहारिक है क्योंकि यह पिछले कुछ सालों में अमेरिका की आर्थिक शक्ति में बदलाव का कारण बनी है.

अध्ययन के निष्कर्ष ऐसे समय में आए हैं जब यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष और तेज हो गया है. यूक्रेन के सैनिक एक दिन में 10,000 तोपों के गोले दाग रहे हैं, वहीं अमेरिका और उसके सहयोगियों ने राजधानी कीव में सैन्य टैंक भेजना शुरू कर दिया है.

रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि यूक्रेन युद्ध में खपत होने वाले गोला-बारूद की मात्रा सभी अनुमानों से अधिक हो गई है. इतनी अधिक कि यह उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर दबाव डालने लगी है और पश्चिमी इन्वेंट्री भी धीरे-धीरे खत्म होने का कागार पर आ खड़ी हुई हैं.

यूक्रेन बनाम अफगानिस्तान को सैन्य सहायता

आईएफडब्ल्यू अध्ययन मुख्य रूप से पिछले एक साल में यूक्रेन को सरकारों द्वारा वादा की गई सैन्य, वित्तीय और मानवीय सहायता की मात्रा निर्धारित करने पर केंद्रित है. हालांकि, इसमें अमेरिकी सैन्य सहायता की ऐतिहासिक तुलना पर एक अध्याय भी शामिल है. इनमें न सिर्फ वियतनाम युद्ध बल्कि कोरियाई युद्ध, अफगानिस्तान युद्ध और इराक युद्ध भी शामिल हैं.

पिछले संघर्षों की सैन्य लागत और वह कितने लंबे समय तक चले इसका पता लगाने के लिए ये अध्ययन 2010 की यूएस कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) की रिपोर्ट पर निर्भर करता है. यूक्रेन डेटा के लिए इसने अपने खुद के डेटाबेस का इस्तेमाल किया है.

अध्ययन से निकला एक प्रमुख निष्कर्ष यह भी है कि यूक्रेन को दी जाने वाली अमेरिकी सैन्य सहायता अफगानिस्तान संघर्ष के दौरान सैन्य व्यय के वार्षिक औसत से अधिक है.

अध्ययन में कहा गया है कि यूक्रेन में अमेरिकी सैन्य खर्च 44.34 बिलियन यूरो (लगभग 47 बिलियन डॉलर) है, जबकि अफगानिस्तान में औसत वार्षिक सैन्य खर्च 41.36 बिलियन यूरो (लगभग 44 बिलियन डॉलर) था.

अध्ययन के शोधकर्ताओं में से एक आंद्रे फ्रैंक ने दिप्रिंट से पुष्टि करते हुए कहा, ‘अगर आप वार्षिक औसत देखें, तो आप कह सकते हैं कि अमेरिका ने दोनों युद्धों में समान राशि खर्च की है.’

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह स्टडी अफगानिस्तान में सैन्य व्यय के वार्षिक औसत को देखती है, न कि लंबे समय तक चले युद्ध पर किए गए कुल खर्च को.

हालांकि, विवाद का एक प्रमुख बिंदु यह हो सकता है कि अध्ययन में अफगानिस्तान युद्ध को 2001 से 2010 तक 10 साल के संघर्ष के रूप में माना गया है, जबकि अमेरिकी सैनिक अगस्त 2021 में देश से हटना शुरू हुए थे.

अध्ययन के शोधकर्ताओं का तर्क है कि ऐसा 2010 की सीआरएस रिपोर्ट की सीमाओं के कारण है और इसकी वजह से ओवरऑल विश्लेषण में ‘बहुत’ अंतर आने वाला नहीं है.

फ्रैंक ने समझाते हुए कहा, ‘हमने 2010 सीआरएस रिपोर्ट में मौजूद डेटा का इस्तेमाल किया है, क्योंकि उनके पास 2010 के बाद के खर्च के आंकड़े नहीं हैं.’

वह आगे बताते हैं, ‘वैसे हम अन्य स्रोतों से लागत अनुमान जोड़ सकते थे, लेकिन हमने तय किया कि एक स्रोत पर टिके रहना और अधिक सुसंगत होना सबसे अच्छा है. अगर हम बाकी के सालों को शामिल कर भी लें तो भी पूरी तस्वीर में ज्यादा बदलाव नहीं आएगा.’

यूएस जीडीपी के प्रतिशत के रूप में देखे जाने पर यूक्रेन और अफगानिस्तान युद्ध के बीच तुलना अलग नजर आती है.

अध्ययन में पाया गया कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य खर्च, वार्षिक औसत पर, यूक्रेन में सकल घरेलू उत्पाद के 0.21 प्रतिशत की तुलना में सकल घरेलू उत्पाद का 0.25 प्रतिशत था.

रमनदीप कौर का ग्राफिक | ThePrint

अध्ययन बताता है कि इस मीट्रिक के साथ देखने पर अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य खर्च यूक्रेन की तुलना में थोड़ा ज्यादा नजर आता है.

इस गणना के लिए अध्ययन ने यूएस ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक एनालिसिस और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के जीडीपी डेटा का इस्तेमाल किया है.

यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया भर के सैन्य खर्च में बढ़ोतरी

रूस-यूक्रेन युद्ध और यकीनन अमेरिका और रूस और चीन जैसे देशों के बीच तनाव ने पूरी दुनिया के सैन्य खर्च को महत्वपूर्ण तरीके से प्रभावित किया है.

हाल के सप्ताहों में चीन ने रक्षा खर्च में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि की है जबकि यूके ने घोषणा की है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और चीन की ‘युगांतरकारी चुनौती‘ के मद्देनजर वह अगले दो सालों में सैन्य बजट में 6 बिलियन डॉलर की वृद्धि करेगा.

विश्लेषक समूह फॉर्च्यून बिजनेस इनसाइट्स के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनिया को ‘तेजी से रक्षा खर्च की नई लहर’ के चपेटे में ला दिया है. अमेरिका और यूरोप में रक्षा व्यवसाय में तेजी आई है.

‘अमेरिका और नाटो जितने गोला-बारूद का उत्पादन कर सकते हैं उससे कहीं ज्यादा इन गोला-बारूदों का इस्तेमाल यूक्रेन को जलाने में हो रहा है. अंतर को पाटने के लिए पेंटागन की योजना की खोज-खबर’ शीर्षक वाली सीएनएन की एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि कैसे पेंसिल्वेनिया का एक प्रमुख एम्युनिशन प्लांट हथियारों की मांग को पूरी करने और अमेरिका के अपने सैन्य भंडार के पुनर्निर्माण के लिए एक बड़े विस्तार के दौर से गुजर रहा है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका और यूरोप के 10 सबसे बड़े हथियार निर्माताओं ने गोला-बारूद की बढ़ती मांग के कारण 2022 की अंतिम तिमाही में अपनी बिक्री में 7.5 प्रतिशत की वृद्धि की है. इससे भी बड़ी बात ये है कि जर्मन कंपनी रीनमेटॉल, स्पेन के मुख्य एम्युनिशन मैन्युफैक्चरर ‘एक्सपल’ को लगभग 1.2 बिलियन यूरो में अधिग्रहित करना चाह रही है. यह दो साल पहले कंपनी की लगाई गई कीमत से दोगुनी से भी ज्यादा है.

पिछले महीने, नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने सदस्य देशों से एक निर्धारित तारीख तक रक्षा पर अपने सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम 2 प्रतिशत देने का आग्रह किया था. नाटो के हालिया अनुमान बताते हैं कि 10 सदस्य देशों ने 2022 में रक्षा पर 2 प्रतिशत या उससे अधिक खर्च किया है.

जेएनयू के सेंटर फॉर इकोनॉमिक स्टडीज एंड प्लानिंग के पूर्व प्रोफेसर बिस्वजीत धर ने दिप्रिंट को बताया, ‘इन आंकड़ों से पता चलता है कि जहां ये उन्नत देश विकासात्मक उद्देश्यों को पूरा करने के साथ-साथ ग्लोबल वार्मिंग की प्रवृत्ति को उलटने के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने से लगातार इनकार करते आए हैं, वहीं विनाशकारी आयुध उद्योग का समर्थन करने के लिए सैकड़ों अरबों खर्च करने में उन्हें कोई हिचक नहीं है.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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