(डेमोस्थनीज कोट्सोगॉर्गिस और मैथ्यू स्पिंक, नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी)
नाटिंघम (यूके), 10 अप्रैल (द कन्वरसेशन) आधुनिक युग का आधार हैं ‘इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोचिप्स’। ये हमारे लैपटॉप, हमारे स्मार्टफोन, हमारी कारों और हमारे घरेलू उपकरणों में पाए जाते हैं। वर्षों से निर्माता उन्हें ज़्यादा शक्तिशाली और दक्षता वाले बना रहे हैं और इनके कारण हमारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बेहतर काम करते हैं।
लेकिन बढ़ती लागत और चिप के निर्माण की जटिलता के साथ-साथ कामकाज की सीमाओं के कारण अब मुश्किलें आ रही हैं और ऐसा तब हो रहा है जब कृत्रिम मेधा (एआई) के तेजी से सामने आने के कारण बेहतर कंप्यूटिंग ताकत की आवश्यकता है।
वर्तमान में हम जिन इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोचिप्स का उपयोग करते हैं, उनका एक विकल्प फोटॉनिक चिप्स हैं। ये उच्च स्तर का प्रदर्शन करने के लिए बिजली के बजाय प्रकाश का उपयोग करते हैं। हालांकि कई बाधाओं के कारण फोटॉनिक चिप्स अभी तक आगे नहीं बढ़ पाए हैं। पत्रिका ‘नेचर’ में प्रकाशित दो शोधपत्रों में कुछ बाधाओं को दूर करने के तरीकों का जिक्र किया गया है।
‘फोटॉनिक कंप्यूटिंग’ सूचना देने और इन्हें संसाधित करने के लिए बिजली (इलेक्ट्रॉन) के बजाय प्रकाश (फोटॉन) का उपयोग करती है, साथ ही अधिक दक्षता, उच्च गति और अधिक बैंडविड्थ का वादा करती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें प्रतिरोध के कारण विद्युत प्रवाह की हानि नहीं होती साथ ही विद्युत घटकों से अवांछित ताप क्षय भी नहीं होता है।
‘फोटॉनिक कंप्यूटिंग’ को ‘ऑप्टिकल कंप्यूटिंग’ के तौर पर भी जाना जाता है, जो गणना करने के लिए इलेक्ट्रॉन के बजाय प्रकाश (फोटॉन) का उपयोग करती है, और पारंपरिक इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर की तुलना में उच्च बैंडविड्थ और बिजली की किफायत जैसे लाभ प्रदान करती है।
‘फोटॉनिक कंप्यूटिंग’ विशेष रूप से मैट्रिक्स गुणन के लिए उपयुक्त है।
ये कुछ लाभ हैं। हालांकि चुनौतियां कम नहीं हैं क्योंकि पहले फोटॉनिक चिप्स के कामकाज का अलग से अध्ययन किया गया था लेकिन आधुनिक तकनीक में इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रभुत्व के कारण, फोटॉनिक हार्डवेयर को इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता होगी।
फोटॉन को विद्युत संकेतों में परिवर्तित करने से प्रक्रिया धीमी हो सकती है। इसके अलावा फोटॉनिक कंप्यूटिंग ‘डिजिटल’ के बजाय ‘एनालॉग’ संचालन पर आधारित है। यह सटीकता को कम कर सकता है और इसके कार्यों के प्रकार को सीमित कर सकता है।
नेचर में प्रकाशित दो नए शोधपत्रों में इन बाधाओं को दूर करने का जिक्र हैं।
सिंगापुर की कंपनी ‘लाइटेलिजेंस’ के बो पेंग और उनके साथियों ने फोटॉनिक कंप्यूटिंग के लिए एक नए प्रकार के प्रोसेसर का इस्तेमाल किया है जिसे ‘फोटॉनिक अर्थमैटिक कंप्यूटिंग इंजन’ (पेस) कहा जाता है। यह प्रोसेसर बहुत तेज काम करता है, जिसका अर्थ है कि इनपुट या कमांड देने और कंप्यूटर के जवाब देने में बेहद कम वक्त लगता है।
एक अन्य शोधपत्र में, कैलिफोर्निया की कंपनी ‘लाइटमैटर’ के निकोलस हैरिस और उनके सहकर्मियों ने एक ‘फोटॉनिक प्रोसेसर’ का वर्णन किया है जो पारंपरिक इलेक्ट्रॉनिक प्रोसेसर के समान सटीकता के साथ दो एआई सिस्टम चलाने में सक्षम था।
शोधकर्ताओं ने बताया कि फोटॉनिक प्रोसेसर शेक्सपियर जैसा लेख लिखने, फिल्म की समीक्षा करने और कंप्यूटर गेम खेलने में काफी सक्षम हैं।
दोनों टीमों का सुझाव है कि उनके फोटॉनिक सिस्टम अगली पीढ़ी के उन्नत हार्डवेयर का हिस्सा हो सकते हैं जो एआई के उपयोग को बढ़ावा दे सकते हैं।
(द कन्वरसेशन) शोभना नरेश
नरेश
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