scorecardresearch
Saturday, 20 April, 2024
होमविदेश‘एजेंट ए’ और ‘एजेंट के’, पहली बार मोसाद में शीर्ष पर पहुंचीं दो महिलाएं

‘एजेंट ए’ और ‘एजेंट के’, पहली बार मोसाद में शीर्ष पर पहुंचीं दो महिलाएं

‘एजेंट ए’ मोसाद में खुफिया प्राधिकरण की नई निदेशक हैं, जबकि ‘के’ ईरान डेस्क की प्रमुख हैं. इज़राइली खुफिया एजेंसी ने महिलाओं की शीर्ष भूमिकाओं को उजागर करने के लिए एक दुर्लभ प्रेस विज्ञप्ति जारी की है.

Text Size:

नई दिल्ली: इज़राइल की राष्ट्रीय ख़ुफिया एजेंसी मोसाद में पहली बार दो महिलाएं उसके शीर्ष पदों पर पहुंच गई हैं. एजेंट ‘ए’- जिसे हीब्रू भाषा का पहला अक्षर अलिफ़ भी कहा जाता है- इंटेलिजेंस अथॉरिटी की नवनियुक्त डायरेक्टर हैं, जबकि ‘के’ (या कुफ) पहले से ही ईरान डेस्क की प्रमुख का काम देख रहीं थीं.

टाइम्स ऑफ इज़राइल ने ख़बर दी कि आमतौर पर गुप्त रहने वाली एजेंसी ने 18 अगस्त को एक दुर्लभ प्रेस विज्ञप्ति में इन नियुक्तियों पर रोशनी डाली.

मोसाद की स्थापना 1949 में सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर को-ऑर्डिनेशन के रूप में की गई थी, जब इज़राइल के पहले प्रधानमंत्री डेविड बेन-गुरियन ने खुफिया एजेंसी के पहले निदेशक रियुवेन शिलोआ से इसकी सिफारिश की थी.

ये देश के खुफिया समुदाय का एक प्रमुख अंग है, जिसमें शिन बेत आंतरिक सुरक्षा को देखती है, और अमन पर सैन्य खुफिया सूचना का ज़िम्मा है. मोसाद के मौजूदा निदेशक डेविड बार्निया हैं.

मोसाद में एक वरिष्ठ पद पर बैठने वाली पहली महिला अलीज़ा मागेन थीं, जिन्होंने क़रीब तीस साल पहले डिप्टी-डायरेक्टर के पद पर काम किया था.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें


यह भी पढ़ें: IS आतंकी को रूस ने पकड़ा, ‘पैग़म्बर के अपमान’ के लिए भारत में करने वाला था आत्मघाती हमला


खुफिया दिग्गज

इज़राइल के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ‘ए’ ने तक़रीबन बीस साल तक मोसाद के खुफिया संचालन में काम किया है.

मोसाद में इंटेलिजेंस अथॉरिटी के डायरेक्टर के पास ईरान के परमाणु कार्यक्रम और आतंकवाद से निपटने की रूपरेखा तैयार करने, तथा अरब दुनिया के साथ रिश्ते बढ़ाने का प्रभार है.

विज्ञप्ति में आगे कहा गया कि इसके अलावा एजेंट ‘ए’ के पास – जिनकी डिप्टी भी एक महिला है- मोसाद के सभी ऑपरेशंस से जुड़ी खुफिया जानकारी का ज़िम्मा है, और वो उन सैकड़ों कर्मचारियों को भी संभालती हैं जिनके पास खुफिया जानकारी जुटाने, और उसके शोध तथा विश्लेषण का ज़िम्मा है’.

रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ महीने पहले एक पुरस्कार समारोह में ‘ए’ ने कहा, ‘मैं इस प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म से महिलाओं का आह्वान करूंगी, कि वो सुरक्षा प्रतिष्ठान में अपनी क्षमता और प्रभाव को समझें, ख़ासकर लड़ाकू और तकनीकी इकाइयों में, जिससे वो लगातार अपनी छाप छोड़ सकें’.

जहां तक ईरान डेस्क प्रमुख का सवाल है, इज़राइली प्रधानमंत्री के कार्यालय ने कहा कि ‘के’ एक ‘खुफिया दिग्गज’ हैं, जो ‘संस्था के एक सबसे वरिष्ठ, महत्वपूर्ण और प्रभावशाली पद पर काम कर रही हैं’.

ईरान डेस्क प्रमुख पर ‘ईरानी ख़तरे के सभी पहलुओं’ से निपटने की रणनीतियां बनाने की ज़िम्मेदारी है. इसके अलावा, प्रमुख को इज़राइल की दूसरी सुरक्षा सेवाओं के साथ मिलकर, मोसाद के भीतर संचालन, टेक्लॉनजी, और इंटेलिजेंस के एकीकरण की अगुवाई का भी ज़िम्मा दिया गया है.

USA और UK में खुफिया प्रमुख

युनाइटेड किंग्डम और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों में विभिन्न खुफिया एजेंसियों में महिला प्रमुख रही हैं.

स्टेला रिमिंग्टन ने ब्रिटिश घरेलू प्रति-खुफिया एजेंसी एमआई 5 की पहली महिला महानिदेशक (डीजी) के तौर पर काम किया था.

रिमिंग्टन 1992 से 1996 तक एमआई5 की पहली डीजी थीं. हाल ही में एलिज़बेथ मैनिंघम-बुलर ने 2002 से 2007 के बीच एमआई5 के डीजी पद पर काम किया. लेकिन, ब्रिटेन की विदेशी खुफिया एजेंसी गुप्त खुफिया सेवा में (जिसे आमतौर से एमआ6 कहा जाता है) कभी कोई महिला प्रमुख नहीं रही है.

अमेरिका में, जीना हैस्पल 2018 से 2021 तक सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) की निदेशक रहीं. इस पद पर स्थायी रूप से बैठने वाली वो पहली महिला थीं. मेरो पार्क 20 से 23 जनवरी 2017 के बीच कार्यकारी प्रमुख थीं.

अमेरिका में जनवरी 2021 में एवरिल हेन्ज़ को राष्ट्रीय इंटेलिजेंस की पहली महिला डायरेक्टर के तौर पर शपथ दिलाई गई.

भारत में, न तो इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) और न ही रिसर्च एण्ड एनालसिस विंग (रॉ) में कोई महिला डायरेक्टर रही है. लेकिन, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की रेणुका मट्टू ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के स्पेशल डायरेक्टर की हैसियत से काम किया था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: BJP नहीं, उससे पहले तो लोहिया जैसे समाजवादियों ने ही नेहरू को खारिज कर दिया था


 

share & View comments