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Sunday, 22 December, 2024
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पाकिस्तान में मोबाइल फोन इंडस्ट्री पर मंडरा रहे हैं खतरे के बादल, डॉलर की कमी से उत्पादन प्रभावित

पाकिस्तान में मोबाइल फोन उद्योग को एसेंबली यूनिट्स के लिए कच्चा माल नहीं मिल पा रहा जिस वजह से लगभग 50 हजार लोगों की नौकरियों पर जोखिम है.

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नई दिल्ली: पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति दिन ब दिन खराब होती जा रही है. तेल और खाद्य पदार्थों के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी के बाद अब व्यापार जगत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

पाकिस्तान में बीते कुछ सालों में मोबाइल फोन उद्योग काफी तेजी से आगे बढ़ा लेकिन अब डॉलर के मुकाबले स्थानीय करेंसी (मुद्रा) के लगातार कमजोर होने से इस उद्योग पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं.

सैमसंग, आईटीईएल और टेक्नो जैसी मैन्युफेक्चरिंग कंपनियों में काम करने वाले लोगों की नौकरियां भी जा रही हैं.

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की बुधवार की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘मोबाइल फोन एसेंबली के प्रमुख प्लांट्स में ऑपरेशन बंद होने की कगार पर हैं क्योंकि 20 मई से डॉलर की किल्लत के बाद आयात के लिए जरूरी लेटर्स ऑफ क्रेडिट (एलसी) जारी नहीं हो पा रहे हैं.’

मोबाइल फोन उद्योग को एसेंबली यूनिट्स के लिए कच्चा माल नहीं मिल पा रहा जिस वजह से लगभग 50 हजार लोगों की नौकरियों पर जोखिम है.

लेकिन इस बीच स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने ट्वीट कर स्पष्टीकरण दिया कि उसने आयात पेयमेंट्स पर रोक नहीं लगाई है और कमिर्शियल बैंकों के पास खरीद के लिए अच्छी खासी मात्रा में डॉलर मौजूद है.

स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने अपने एक ट्वीट में कहा, ‘एसबीपी को खबर मिली है कि इस तरह की अफवाहें चल रही हैं कि एसबीपी रिज़र्व खत्म हो चुका है जिस वजह से एसबीपी ने आयात पैयमेंट्स पर रोक लगा दी है और बैंकों के पास यूएस डॉलर खत्म हो गए हैं.’

शीर्ष बैंक ने कहा, ‘यह स्पष्ट किया जा रहा है कि 10 जून 2022 तक एसबीपी के पास विदेशी रिजर्व 8.99 बिलियन डॉलर है.’


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बाजार पर छाया संकट

मैन्युफेक्चर करने वाले और व्यापारी कथित तौर पर डॉलर की कमी के कारण लेटर्स ऑफ क्रेडिट (एलसी) जारी न होने से संकट का सामना कर रहे हैं.

21 जून तक स्थानीय मुद्दा की तुलना में डॉलर की कीमत 212 रुपए थी.

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने टेक्नो पैक इलेक्ट्रॉनिक्स के सीईओ आमिर अल्लावाला के हवाले से कहा, ’20 मई से डॉलर की कमी के कारण मोबाइल फोन सीकेडी यूनिट्स के लिए बैंक एलसी जारी नहीं कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘उद्योग ने अपना सारा कच्चा माल इस्तेमाल कर लिया है और दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से 80 प्रतिशत उद्योग बंद हो चुके हैं.’

एसआई ग्लोबल के सीईओ नौमान अहमद ने कहा, ‘बीते दो साल से ये तेजी से बढ़ता हुआ उद्योग रहा है. सीकेडी आयात के लिए एलसी जारी न करना नौकरियों के साथ ही विदेशी निवेश पर भी बुरा असर डालेगी.’

अहमद ने कहा, ‘इससे लगभग 50 हजार से ज्यादा लोगों की नौकरियां जा सकती हैं, वो भी उस समय जब महंगाई अपने चरम पर है.’

पाकिस्तान में डॉलर की कमी के बीच स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने कमर्शियल बैंकों को कहा कि एक लाख डॉलर या उससे ज्यादा के आयात के ट्रांजेक्शन से पहले वो शीर्ष बैंक से अनुमति ले. इसे डॉलर की कमी की दिक्कत को दूर करने के प्रयासों के तौर पर देखा जा रहा है.

इस बीच पाकिस्तान का व्यापार घाटा भी अब तक के अपने शीर्ष स्तर पर पहुंचकर 43.33 बिलियन डॉलर हो गया है, जिसने फॉरेन एक्सचेंज की कमी के बीच स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है.


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मोबाइल फोन मार्केट का तेजी से उभार

बीते कुछ सालों में पाकिस्तान में स्थानीय स्तर पर मोबाइल फोन के उत्पादन में तेजी से वृद्धि हुई है. 2019 में पाकिस्तान सरकार ने स्थानीय स्तर पर मोबाइल फोन एसेंबली के लिए एक मसौदा नीति तैयार की थी ताकि आयातित फोन पर निर्भरता कम हो सके.

पाकिस्तान दुनिया का सातवां ऐसा देश हैं जो सबसे ज्यादा मोबाइल हैंडसेट का आयात करता है. देश में 164 मिलियन सेलुलर सब्सक्राइबर्स हैं.

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के मोबाइल फोन मार्केट की कीमत 366 बिलियन पाकिस्तानी रुपए है जो कि देश के ऑटो सेक्टर से भी ज्यादा है.

पाकिस्तान टेलीकम्युनिकेशन अथॉरिटी (पीटीए) के 2021 के डेटा के अनुसार, ‘आयात किए गए मोबाइल फोन (45 मिलियन) की तुलना में स्थानीय स्तर पर बनाए गए फोन की संख्या लगभग दोगुनी है.’

डॉन की पिछले साल दिसंबर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘पीटीए डेटा बताता है कि 2021 के चार महीनों (जुलाई-अक्टूबर) में 644.673 मिलियन डॉलर की कीमत के मोबाइल फोन आयात किए गए थे जो कि इसके बीते साल की इसी अवधि के दौरान 557.961 मिलियन डॉलर था. यानी कि इसमें 15.54 प्रतिशत की वृद्धि हुई.’

पीटीए के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान ने 2019 में 28.02 मिलियन फोन हैंडसेट आयात किया था लेकिन अब देश में स्थानीय स्तर पर काम कर रहे एसेंबली यूनिट्स के कारण 25 मिलियन फोन का उत्पादन हो रहा है.

डॉलर की लगातार बढ़ती कीमत के कारण सिर्फ मोबाइल उद्योग ही प्रभावित नहीं है बल्कि पाकिस्तान के कृषि क्षेत्र पर भी बुरा असर पड़ा है. स्थानीय मुद्रा के कमजोर होने से कृषि उत्पादन में लगने वाले सामानों जैसे की खाद, बीज, डीजल जैसी बुनियादी चीजें भी लगातार महंगी हो रही हैं.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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