नई दिल्ली: श्रीलंका में भारत-चीन के बीच प्रतिद्वंद्विता सालों से जारी है, लेकिन इस द्वीपीय राष्ट्र में अभूतपूर्व आर्थिक संकट ने इस झगड़े को एक नई जमीन दे दी है. पिछले कुछ माह से नई दिल्ली और बीजिंग दोनों ही लोन, क्रेडिट लाइंस और यहां तक सर्जरी सुनिश्चित करने के लिए दवाएं उपलब्ध कराने आदि के जरिये बढ़चढ़कर कोलंबो की मदद करने में जुटे हैं, और बदले में वहां अपना दबदबा बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं.
यह द्वीप राष्ट्र इस समय भोजन और ईंधन की कमी, बिजली कटौती, दवाओं और अन्य वस्तुओं की अपर्याप्त आपूर्ति के संकट से जूझ रहा है.
इस समय श्रीलंका दौरे पर गए हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दो दिनों की अवधि में उस देश के लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की है, साथ ही वहां के कुछ स्थानीय मुद्दों को सुलझाने में मदद भी की है. उन्होंने श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे और मत्स्य पालन और जलीय संसाधन मंत्री डगलस देवानंद से मुलाकात की है.
इस महीने की शुरुआत में नई दिल्ली ने कोलंबो को भोजन, दवाएं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की खरीद के लिए एक बिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट (एलओसी) की सुविधा दी थी.
यद्यपि, जयशंकर मुख्यत: बंगाल की खाड़ी के लिए बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग की पहल (बिम्सटेक) के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने और देश के समुद्री क्षेत्र को सुरक्षित करने के उद्देश्य से श्रीलंका गए थे, लेकिन उन्होंने इस द्वीप राष्ट्र की दैनिक जरूरतों को पूरा करने में मदद के जरिये यह संदेश देने का प्रयास किया कि भारत वास्तव में ‘नेबरहुड फर्स्ट’ में विश्वास करता है.
राजनयिक सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि चीन ‘इस संकट का अधिक से अधिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है’ और भारत की ओर से घोषित उपायों के मद्देनजर अपना ‘अगला कदम’ तय कर रहा है.
सूत्रों ने कहा कि नई दिल्ली की तरफ से जहां श्रीलंका की मदद के लिए आम तौर पर लाइन ऑफ क्रेडिट (एलओसी) दिया जा रहा है, वहीं चीन कर्ज दे रहा है, जिसे चुकाना बाद में श्रीलंका के लिए मुश्किल हो सकता है.
जयशंकर ने मंगलवार को श्रीलंका के प्रसिद्ध अस्पतालों में से एक—पेराडेनिया अस्पताल—का संकट सुलझाने की पहल की, जहां दवाओं की कमी के कारण सभी सर्जरी रोकने की नौबत आ गई थी.
वहां की स्थिति से ‘बेचैन’ विदेश मंत्री जयशंकर ने श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले को यह मुद्दा सुलझाने का निर्देश दिया.
Disturbed to see this news. Am asking High Commissioner Baglay to contact and discuss how India can help.@IndiainSL #NeighbourhoodFirst https://t.co/jtHlGwxCBL
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) March 29, 2022
इसके बाद भारतीय उच्चायोग ने ‘नियमित और तय सर्जरी जारी रखने के लिए दवाओं की उनकी जरूरतों’ को समझने के लिए पेराडेनिया यूनिवर्सिटी के कुलपति से संपर्क साधा.
High Commission contacted Prof. Lamawansa, Hon. VC and the Dean of Medical Faculty of Peradeniya University and requested to know their requirements for medicines to continue regular and scheduled surgeries.
— India in Sri Lanka (@IndiainSL) March 29, 2022
जयशंकर ने मंगलवार को कोलंबो में 1990 सुवा सेरिया एम्बुलेंस सेवा का जायजा लिया, जिसके बारे में उन्होंने बताया कि ये अब तक 50 लाख कॉल का रिस्पांस दे चुकी है.
Heartwarming to visit the 1990 Suwa Seriya Ambulance service in Colombo.
Impressed by your record and achievements: Responded to 5 million calls to date.
India is proud to be your partner in saving lives. pic.twitter.com/1HNhTP75q7
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) March 29, 2022
जयशंकर की अपने श्रीलंकाई समकक्ष जीएल पेइरिस के साथ मुलाकात के बाद श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘भारतीय विदेश मंत्री ने श्रीलंका में आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार की तरफ से हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया और दोहराया कि भारत श्रीलंका के करीबी पड़ोसी होने के वास्तविक मुद्दों को समझता है.’
जयशंकर ने मंगलवार को श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री और राजपक्षे के कट्टर प्रतिद्वंद्वी रानिल विक्रमसिंघे से भी मुलाकात की और श्रीलंका को भारत की तरफ से मदद पर चर्चा की.
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तमिलों का सहयोग, मछुआरों के मुद्दे
भारत जहां मौजूदा संकट सुलझाने में श्रीलंका की मदद की कोशिश कर रहा है, वहीं यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि तमिलों के साथ सुलह और मछुआरों के मुद्दों के संदर्भ में उसके हितों का प्रभावी ढंग से समाधान किया जा सके.
पेइरिस के साथ जयशंकर की बैठक के दौरान श्रीलंकाई विदेश मंत्री ने आश्वासन दिया कि श्रीलंकाई सरकार तमिलों के साथ सहयोग की दिशा में काम करेगी.
श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, ‘मंत्री पेइरिस ने पिछले हफ्ते तमिल नेशनल अलायंस (टीएनए-श्रीलंका की मुख्य तमिल पार्टी) के साथ श्रीलंका के राष्ट्रपति और सरकार की सफल चर्चा के बारे में मंत्री जयशंकर को बताया, जिसमें राष्ट्रपति ने सहयोग के क्रम में उत्तर और पूर्व के लोगों की चिंताओं को स्वीकार किया था.’
इसमें आगे कहा गया, ‘जयशंकर ने श्रीलंकाई तमिलों से संबंधित मुद्दों को हल करने और दीर्घकालिक समाधान हासिल करने की दिशा में श्रीलंका सरकार की तरफ से उठाए जा रहे सकारात्मक कदमों का स्वागत किया.’
मंगलवार को बिम्सटेक की मंत्रिस्तरीय बैठक में जयशंकर ने कनेक्टिविटी, समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद से मुकाबले में सभी सदस्यों के बीच सहयोग पर चर्चा की.
बिम्सटेक में भारत, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड आदि सदस्य हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को बिम्सटेक शिखर सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित करेंगे.
चीन की पहुंच
भारत की ओर से एक बिलियन डॉलर की एलओसी की घोषणा के एक दिन बाद ही श्रीलंका में चीन के राजदूत क्यूई जेनहोंग ने कहा कि बीजिंग 2.5 बिलियन डॉलर के सहायता पैकेज के कोलंबो के अनुरोध पर विचार कर रहा है, जिसमें 1.5 बिलियन डॉलर क्रेडिट लाइन के तौर पर और एक 1 बिलियन डॉलर कर्ज के तौर पर होगा.
यही नहीं चीन की तरफ से चीन-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) जल्द से जल्द किए जाने पर भी जोर दिया जा रहा है, जिसके बारे में चीन का दावा है कि कोलंबो के स्थानीय बाजार और उत्पादों को लाभ होगा.
क्यूई की पेइरिस के साथ पिछले हफ्ते हुई बैठक के बाद जारी एक बयान में कहा गया था, ‘राजदूत क्यूई ने यह हवाला देते हुए कि चीन 26 से अधिक एफटीए पर हस्ताक्षर कर चुका है, आश्वस्त किया कि श्रीलंका और चीन के बीच प्रस्तावित एफटीए को अंतिम रूप दिए जाने से श्रीलंका के स्थानीय बाजार और उत्पादों को अत्यधिक लाभ होगा. उन्होंने श्रीलंकाई अधिकारियों से एफटीए वार्ता का सातवां दौर जल्द से जल्द फिर शुरू करने का आग्रह भी किया.’
चीन ने वहां अपने कुछ छोटे और मीडियम प्रोजेक्ट भी तेज किए हैं, खासकर हिंद महासागर द्वीप के ग्रामीण प्रांतों में कुछ सड़क परियोजनाओं में तेजी आई है.
यहां तक कि उसने श्रीलंका में बढ़ते खाद्य संकट को दूर करने में मदद करने के लिए पिछले हफ्ते 2.5 मिलियन डॉलर मूल्य का 2,000 टन चावल भी उपहार स्वरूप दिया है.
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‘भारत बहुत कुछ कर सकता है’
भंडारनायके सेंटर फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के वरिष्ठ निदेशक सुमित नकंदला ने कोलंबो से दिप्रिंट को बताया कि देश की मदद के लिए ‘भारत बहुत कुछ कर सकता है.’
नकंदला ने कहा, ‘श्रीलंका बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है. भारत सहायता के साथ पहुंच गया है लेकिन यही काफी नहीं है. यह समझना जरूरी है कि भारत और भी बहुत कुछ कर सकता है. इस समय भारत की मदद से हमें बहुत सहारा मिलेगा. भारत को हमारी समस्याओं को समझना होगा. ये समस्याएं एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हम चाहते हैं कि भारत उन प्रोजेक्ट में तेजी लाए जो उसे बहुत पहले सौंपे गए थे. उदाहरण के तौर पर एलएनजी (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) परियोजना जो 2017 में भारत और जापान को दी गई थी. इस योजना के तहत 100 मेगावाट की क्षमता वाले तीन बिजली संयंत्र विकसित किए जाने थे.
उन्होंने कहा, ‘अगर वह परियोजना आज तैयार होती और चल रही होती तो हमें इतने बड़े बिजली संकट का सामना नहीं करना पड़ता. फिर यहां पर भोजन और दवाओं के लिए लंबी कतारें लग रही हैं. भारतीय खाद्य निगम और सार्क खाद्य भंडार के माध्यम से भारत हमारी मदद कर सकता है.’
नकंदला ने कहा कि चीन ने भी मदद की है, ‘लेकिन ये लाइन ऑफ क्रेडिट के विपरीत कर्ज के तौर पर है.’
उन्होंने कहा, ‘हम समझते हैं कि देशों की अपनी सीमाएं हैं और हमें कॉस्ट ऑफ लिविंग घटाकर और भुगतान संतुलन, मुद्रा दर प्रबंधन आदि के जरिये घरेलू स्तर पर भी उपाय करने होंगे.’
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