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Wednesday, 24 April, 2024
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मालदीव के बाद श्रीलंका पहुंचे जयशंकर, हिंद महासागर के पड़ोस को सुरक्षित करना और चीन को जवाब है लक्ष्य

विदेश मंत्री एस जयशंकर के एक के बाद एक विदेश दौरों से, चीन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनज़र, ‘सागर’ सिद्धांत के अंतर्गत भारत के समुद्री सुरक्षा डोमेन को मज़बूती मिलने की संभावना है.

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नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को अपने श्रीलंका दौरे की शुरुआत सिलसिलेवार बैठकों के साथ की, चूंकि वो चीन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनज़र, जो भारत के समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिए ख़तरा बन रहा है, सरकार के हिंद महासागर नीति सिद्धांत ‘सागर’ (सभी के लिये सुरक्षा एवं संवृद्धि) को बढ़ावा देना चाहते हैं.

मंत्री रविवार शाम कोलंबो पहुंचे, जिससे पहले वो दो दिन के मालदीव दौरे पर थे, और वहां भी उन्होंने ‘सागर’ को बढ़ावा देने की कोशिश की. वो 30 मार्च तक श्रीलंका में रहेंगे.

द्वीप राष्ट्र में जयशंकर के श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और विदेश मंत्री जीएल पेरिस से मुलाक़ात करने की संभावना है. उनका बिम्सटेक (बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल Maldives) के सदस्य देशों के अधिकारियों से भी मिलने का कार्यक्रम है.

सोमवार को, जयशंकर ने श्रीलंका में अपनी उच्च-स्तरीय बैठकों की शुरुआत, उनके वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे से मुलाक़ात के साथ की, जिनसे वो इसी महीने नई दिल्ली में तब मिले थे, जब नई दिल्ली ने खाद्य पदार्थ, दवाएं और अन्य आवश्यक वस्तुएं ख़रीदने के लिए, द्वीप राष्ट्र को 1 अरब डॉलर की ऋण व्यवस्था दी थी.

श्रीलंकाई एफएम के साथ अपनी बैठक के दौरान जयशंकर ने कहा कि भारत उस भारी आर्थिक संकट से निपटने में अपने पड़ोसी की सहायता करता रहेगा, जिसका वो सामना कर रहा है.

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विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘श्रीलंका में विदेश मंत्री जो द्विपक्षीय बैठकें और बातचीत करेंगे, वो उस प्राथमिकता को दर्शाता है जो भारत श्रीलंका को देता है’.

मंत्री ने लंका आईओसी का दौरा करके श्रीलंका में ईंधन सप्लाई की स्थिति का भी जायज़ा लिया. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘50 करोड़ डॉलर की भारतीय एलओसी (ऋण व्यवस्था) से, श्रीलंका के लोगों को अपने दैनिक जीवन में सहायता मिल रही है’.

श्रीलंका फिलहाल ईंधन की अभूतपूर्व क़िल्लत से दोचार है, जिसके नतीजे में पूरे देश में लंबे लंबे पावर कट्स हो रहे हैं, और उनका उद्योग प्रभावित हो रहा है.

जयशंकर 29 मार्च को कोलंबो में, बिम्सटेक की मंत्रिस्तरीय बैठक में भी शरीक होंगे. अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में वर्चुअल रूप से हिस्सा लेंगे.

इस बीच, भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने भारत में श्रीलंका के उच्चायुक्त मिलिंदा मोरागोड़ा से नई दिल्ली में मुलाक़ात करके, दोनों देशों के बीच चल रही आर्थिक भागीदारी पर चर्चा की.

श्रीलंका ने अपनी आर्थिक स्थिति को स्थिर करने में चीन से भी सहायता मांगी है.

मालदीव ने फिर पहले-भारत नीति की प्रतिबद्धता जताई

अपने दो-दिवसीय मालदीव दौरे के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने, पूर्व-राष्ट्रपति अब्दुल्लाह यामीन की ओर से बढ़ावा दिए जा रहे तथाकथित ‘इंडिया आउट’ प्रचार के तहत भारत के खिलाफ उठ रही आवाज़ों के बीच राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह से मुलाक़ात की.

यामीन को, जिन्हें चीन-समर्थित मालदीव राष्ट्रपति के तौर पर देखा जाता था, 2018 में बाहर कर दिया गया था, और उनकी जगह सोलिह ने सत्ता संभाल ली थी. लेकिन, भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते सलाख़ों के पीछे रहने के बाद, यामीन ने फिर से वापसी की है, और वो एक तीव्र भारत-विरोधी अभियान चला रहे हैं.

अपने दौरे के दौरान जयशंकर ने उन सभी परियोजनाओं का जायज़ा लिया, जो नई दिल्ली मालदीव में उसके सामाजिक-आर्थिक विकास, और सुरक्षा में वृद्धि के लिए चला रही है. उन्होंने मालदीव पुलिस अकादमी, और ड्रग डिटॉक्सिफिकेशन एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर का उद्घाटन भी किया, जिनका निर्माण भारत ने ही किया है.

रविवार को राष्ट्रपति सोलिह के साथ एक बैठक में, मालदीव ने जयशंकर को एक बार फिर आश्वस्त किया कि माले हमेशा पहले-भारत की नीति का पालन करेगा.

वयोवृद्ध राजनयिक राजीव भाटिया ने दिप्रिंट से कहा, ‘मालदीव में, विदेश मंत्री का दौरा द्विपक्षीय सहयोग और परियोजनाओं को आगे बढ़ाने को लेकर है, और उसका उद्देश्य ये देखना भी है कि क्या भारत-विरोधी वर्ग का कारगर ढंग से मुक़ाबला किया जा रहा है’.

उन्होंने आगे कहा, ‘कोलंबो में चीन फैक्टर एक स्थायी पहलू है, जबकि मुख्य ज़ोर बिम्सटेक के कायाकल्प पर है. भारत को अगुवाई करनी है और समझदारी से करनी है. हमारे विदेश नीति लक्ष्यों के लिए दोनों ही दौरे काफी महत्वपूर्ण हैं’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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