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Monday, 6 May, 2024
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चीन को देखते हुए मोदी-मॉरिसन की मीटिंग में आर्थिक संबंधों की मजबूती पर जोर देंगे भारत-ऑस्ट्रेलिया

इंडो-पैसिफिक और क्वाड के तहत रणनीतिक संबंधों को मजबूती देने के बाद नई दिल्ली और कैनबरा अब काफी समय से लंबित व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते को अंतिम रूप देने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

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नई दिल्ली: चीन से मुकाबले को ध्यान में रखकर भारत और ऑस्ट्रेलिया का पूरा ध्यान अब दोनों देशों के बीच काफी समय से लंबित व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर पर केंद्रित है, जिस तरह नई दिल्ली और कैनबरा दीर्घकालिक रणनीतिक योजना को पहले ही मजबूती दे चुके है.

व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर की योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन के बीच सोमवार को होने जा रही वर्चुअल शिखर-स्तरीय बैठक का केंद्रबिंदु होगी.

जून 2020 में मोदी और मॉरिसन के बीच पहली द्विपक्षीय बैठक में दोनों देशों ने संबंधों को एक ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ पर पहुंचाया था, जिससे रक्षा और सुरक्षा संबंधों को आगे बढ़ाने की राह खुली. यह कदम इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रियता को ध्यान में रखकर उठाया गया था.

भारत में ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त बैरी ओ’फेरेल के मुताबिक, इस बार बैठक दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यावसायिक संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित होगी.

शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर मीडिया से बातचीत में उच्चायुक्त ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया मार्च के अंत तक एक अंतरिम समझौते पर हस्ताक्षर की योजना बना रहे हैं. हालांकि, उन्होंने इस बारे में अधिक जानकारी देने से इनकार कर दिया कि इस सौदे का स्वरूप क्या होगा.

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ओ’फेरेल ने कहा, ‘हम इस दिशा में प्रगति से खुश हैं. इस माह के अंत तक पहले चरण का समझौता हो जाने की उम्मीद कर रहे हैं…समझौते के प्रारूप के अधिकांश हिस्से को अंतिम रूप दिया जा रहा है, और बाजार में पैठ संबंधी प्रस्तावों का आदान-प्रदान किया गया है. निश्चित तौर पर हम इस बात को लेकर आशान्वित हैं कि दोनों पक्षों की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए इस महीने के अंत तक एक अंतरिम समझौता हो जाएगा.’

ऑस्ट्रेलिया और भारत ने मई 2011 में एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) के लिए बातचीत शुरू की थी. सितंबर 2015 में वार्ता ठप पड़ने से पहले नौ दौर की बातचीत हुई थी.

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के समय के लंबित व्यापार समझौतों को पुनर्जीवित करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार के प्रयासों के साथ ही भारत-ऑस्ट्रेलिया सीईसीए के लिए वार्ता सितंबर 2021 में फिर शुरू हुई थी, जब दोनों पक्षों ने दिसंबर 2021 तक अंतरिम समझौते पर हस्ताक्षर का फैसला किया.

ओ’फेरेल के मुताबिक, भारत जल्द ही ऑस्ट्रेलिया से लिथियम जैसे महत्वपूर्ण दुर्लभ खनिज संपदा की खरीद शुरू करेगा, वहीं कोयले के आयात में भी थोड़ी वृद्धि होगी.

चीन और 13 अन्य एशिया-प्रशांत देशों के साथ क्षेत्रीय व्यापक भागीदारी समझौते (आरसीईपी) में शामिल ऑस्ट्रेलिया बीजिंग पर अपनी निर्भरता घटाने के लिए भारत के साथ सीईसीए को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहा है.

चीन माल और सेवाओं में ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा कारोबारी भागीदार बना हुआ है. हालांकि, हाल के भू-राजनीतिक तनावों ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार पर प्रतिकूल असर डाला है, जबकि ऑस्ट्रेलिया और भारत रणनीतिक तौर पर और करीब आए हैं.

यूक्रेन युद्ध और क्वाड

शिखर सम्मेलन के दौरान मॉरिसन और मोदी यूक्रेन और रूस के बीच करीब एक महीने से जारी जंग के मुद्दे पर भी चर्चा करेंगे.

ऑस्ट्रेलियाई राजदूत ने कहा, ‘क्वाड ने इस मामले में भारत की स्थिति को स्वीकारा है. हम समझते हैं कि प्रत्येक देश के अपने द्विपक्षीय संबंध होते हैं.’ साथ ही जोड़ा कि जंग खत्म करने का भारत का आह्वान एक सकारात्मक कदम है.

लगातार जारी लड़ाई के बीच मोदी और मॉरिसन दोनों ही इस महीने की शुरुआत में बुलाई गई क्वाड की एक आपात वर्चुअल बैठक का भी हिस्सा थे.

हालांकि, ओ’फेरेल ने यह भी कहा कि यूक्रेन युद्ध का इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर प्रभाव पड़ेगा, जिस पर क्वाड का मुख्य फोकस रहता है.

मॉरिसन ने रविवार को ऑस्ट्रेलिया में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, ‘यूक्रेन में जो कुछ होता है वह सिर्फ यूरोप को ही प्रभावित नहीं करता है. जैसा हम यहां ऑस्ट्रेलिया में देख रहे हैं कि यह निश्चित तौर पर नियम-आधारित व्यवस्था को प्रभावित करता है, जिस पर हमारा अपना क्षेत्र निर्भर है.’

उन्होंने यह भी कहा, ‘इसलिए यूक्रेन में जो कुछ हो रहा है वह उसकी सीमाओं और उसके आसपास के माहौल से बहुत आगे तक प्रासंगिक है. यह वाकई पूरी दुनिया को हिलाकर रख देने वाला है. और नतीजा, हम दुनियाभर के समान विचारधारा वाले देशों के साथ जुड़कर रूस के कृत्यों की आलोचना कर रहे हैं और उनके लिए कोई जगह नहीं छोड़ रहे हैं. और यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि हम अन्य सभी को ऐसा ही करने के लिए प्रोत्साहित करें. यह सब इस स्थिति को, इस भयावह और त्रासद स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए किया जा रहा है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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