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Monday, 23 December, 2024
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सीमित क्रॉस-फंक्शनल अनुभव की वजह से बाधित हो सकती है चीन के सशस्त्र बलों की क्षमता: स्टडी

चीनी सेना में 'संयुक्तता' की कमी है और इससे भविष्य के उसके अभियानों में बाधा आ सकती है. अध्ययन में कहा गया है कि पीएलए एक रूढ़िवादी संस्था है, जिसमें वरिष्ठ पद पर कोई महिला नहीं है.

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नई दिल्ली: यूएस नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी की एक नई स्टडी के अनुसार क्रॉस-फंक्शनल (एक संगठन का लोगों का टीम के रूप में मिलकर काम करना) अनुभव की कमी और सीमित रूप से किए गए संयुक्त तैयारियों वाले अभ्यास की वजह से चीन के सशस्त्र बलों को भविष्य में किए जाने वाले सैन्य अभियानों में बाधा आ सकती है.

यूक्रेन में रूस द्वारा चलाए जा रहे सैन्य अभियान के साथ तुलना करते हुए, यह रिपोर्ट बताती है कि ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा नियुक्तियों में दिखाई जा रही सख्ती भविष्य के सैन्य संघर्षों में चीन की सेना की प्रभावशीलता को कम कर सकती है – खासतौर से 2022 में यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध की तरह के संघर्षों में जहां उच्च स्तर की संयुक्तता और अनुकूलन क्षमता की आवश्यकता होती है, अगर चीनी सैन्य नेतृत्व के पास अपनी सेवा, विशेषता और विभाग से परे दृष्टिकोण की कमी बनी रहती है.

अध्ययन के अनुसार, निश्चित रूप से, क्रॉस-फ़ंक्शनल ट्रैनिग ( जो तब होती है जब सशस्त्र बलों के सदस्य कई सारे डोमेन में काम करते हैं न की केवल सेना की उसी शाखा में जहां से उन्होंने अपनी सेवा शुरू की थी) की कमी रूस और चीन दोनों के मामले में प्रभावशीलता को कम करने वाला एक सामान्य कारक प्रतीत होता है.

मूलरूप से इसका अर्थ है कि चीन की थल सेना में सेवा शुरू करने वाले सैनिक इसी सेना में बने रहते हैं, नौसेना वाले नौसेना में ही रहते हैं और इसी तरह का हाल अन्य शाखाओं का भी है.

क्रॉस-फंक्शनलिटी की इस ‘कमी’ पर विस्तार से बताते हुए, इस रिपोर्ट में कहा गया है: ‘वरिष्ठ पीएलए अधिकारी न केवल अपनी सेवाओं के भीतर बल्कि अपने ही नियत कार्यात्मक क्षेत्रों में भी बने रहते हैं. उदाहरण के लिए, ऑपरेशनल कमांडरों को लॉजिस्टिक्स के क्षत्र में करियर के विस्तार वाला अनुभव शायद ही कभी मिल पाता है, और ना ही लॉजिस्टिक्स वाले कभी ऑपरेशन्स में जा पाते हैं.’

इस रिपोर्ट में साल 2015 और 2021 के बीच पीएलए सेना, नौसेना, वायु सेना, रॉकेट बल और रणनीतिक सहायता बल (स्ट्रेटेजिक सपोर्ट फ़ोर्स) सहित चीनी सेना के 300 से अधिक सेवारत अधिकारियों की जीवनी का अध्ययन किया गया है.


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पीएलए एक रूढ़िवादी संस्थान’, इसके शीर्ष पदों पर महिला नहीं है

पीएलए को एक ‘रूढ़िवादी संस्थान’ बताते हुए, रिपोर्ट के लेखक, जोएल वुथनो बताते हैं कि इसके अधिकारी धैर्यपूर्वक और वरिष्ठता के अनुसार रैंक में ऊपर उठते हैं. वुथनो कहते हैं कि ‘फास्ट-बर्नर’ (तेजी से सीखने और आगे बढ़ने वालों) के लिए यहां बहुत ही सीमित अवसर हैं.

इसके अलावा, स्टडी से पता चलता है कि पीएलए का नेतृत्व पूरी तरह से पुरुष प्रधान है. स्टडी में कहा गया है कि साल 2015 और 2021 के बीच उसके शीर्ष पदों पर कोई भी महिला नहीं थी. इसकी सेना मुख्य रूप से एक ही जातीय समूह – हान चाइनीज  – से बनी है और इसमें जातीय विविधता का अभाव है.

हालांकि, चीन अपने देश में 56 जातीय समूहों को मान्यता देता है, मगर शीर्ष नेतृत्व में केवल हान चाइनीज नागरिकों का ही वर्चस्व है.

स्टडी में आगे कहा गया है, ‘गैर-हान प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए, पीएलए ने जातीय अल्पसंख्यकों के लिए प्रेफेरेंशिएल (तरजीह देने वाली) नीतियों की पेशकश की है और कभी-कभी शिनजियांग और तिब्बत सैन्य जिलों में वरिष्ठ स्तर पर उइगर और तिब्बती अधिकारियों को नियुक्त किया जाता है. ये अधिकारी कोर लीडर (वरिष्ठ कर्नल या मेजर जनरल) के पदों तक पहुंच चुके हैं लेकिन उससे ऊंचे के पदों पर नहीं जा सके हैं.’

शी जिनपिंग का नियंत्रण

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा किए गए सैन्य सुधारों के प्रभाव का आकलन करते हुए, इस स्टडी में कहा गया है- पीएलए में किए गए सुधारों ने थल सेना को एक वर्चस्व वाली स्थिति में बनाए रखा है लेकिन इससे नौसेना, वायु सेना और रॉकेट बल के अधिकारियों के वरिष्ठ स्तर का सैन्य नेता बनने के अवसरों में भी वृद्धि हुई है.

सशस्त्र बलों पर राष्ट्रपति शी के पूर्ण नियंत्रण की ओर इशारा करते हुए, स्टडी बताती है: ‘सभी पीएलए अधिकारी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य होते हैं और उनके पास शी और उनके एजेंडे के प्रति वफादारी प्रदर्शित करने के लिए पर्याप्त राजनीतिक कौशल होना जरुरी होता है.’

इसके अलावा, शी ने सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के चेयरमैन के रूप में अपनी पदस्थिति की सहायता से सैन्य नियुक्तियों पर प्रत्यक्ष अधिकार प्राप्त कर सशस्त्र बलों पर अपना नियंत्रण और बढ़ा लिया है. रिपोर्ट के अनुसार, उनकी निगरानी में सेना को निशाना बनाने वाली कई सारी भ्रष्टाचार विरोधी जांचों को भी एक राजनीतिक उपकरण के रूप में देखा जा रहा है.

स्टडी में यह भी बताया गया है कि सशस्त्र बलों के भीतर ‘संरक्षण तंत्र’ के निर्माण को रोकने के लिए शी नियमित रूप से चीन के भीतर अधिकारियों को बदलते रहते हैं.

हालांकि, दोनों पलड़ों को संतुलित करने के लिए, शी ने सशस्त्र बलों के भीतर वफादारी और धैर्य दिखाए जाने को पुरस्कृत भी किया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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