(पॉल हंटर, यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया)
नॉर्विच (ब्रिटेन), 13 फरवरी (द कन्वरसेशन) महामारी के आरंभ से ही हम जानते हैं कि कोरोना वायरस का संक्रमण दोबारा हो सकता है। हांगकांग के 33 वर्षीय व्यक्ति के संक्रमित होने का मामला दोबारा संक्रमण के शुरुआती मामलों में से एक है। वह पहली बार 26 मार्च 2020 को संक्रमित हुए थे। वह इसके 142 दिनों बाद आनुवंशिक रूप से अलग वायरस से दोबारा संक्रमित हुए।
खासकर ओमीक्रोन स्वरूप फैलने के बाद से दोबारा संक्रमण की खबरें आम हो गई हैं। दक्षिण अफ्रीका के प्रारंभिक अध्ययन से पता चलता है कि नए स्वरूप के आने के बाद पुन: संक्रमण का जोखिम तेजी से और काफी हद तक बढ़ गया। अभी यह अध्ययन प्रकाशित नहीं हुआ है और स्वतंत्र रूप से वैज्ञानिकों द्वारा इसकी समीक्षा की जानी है।
फिर से संक्रमण क्यों बढ़ रहे हैं? इसका सीधा सा जवाब है क्योंकि हमारी प्रतिरक्षा अक्सर संक्रमण को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं रह जाती है। यह ओमीक्रोन जैसे एक नए वायरल स्वरूप की उपस्थिति के कारण हो सकता है क्योंकि इसके रूप में परिवर्तन के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली इसकी सटीक पहचान नहीं कर पाती, जिसका अर्थ है कि वायरस पूर्व प्रतिरक्षा को भेद देता है या यह इसलिए हो सकता है, क्योंकि पिछली बार जब हम संक्रमित हुए थे अथवा हमने जब टीका लगाया गया था, तब से प्रतिरक्षा कम हो गई हो। हम जानते हैं कि यह कोविड प्रतिरक्षा के साथ एक विशेष मुद्दा है – इसलिए टीके की बूस्टर खुराक की आवश्यकता है।
कोरोना वायरस आम तौर पर हमेशा नाक और गले के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश करता है। पूरे शरीर में प्रणालीगत प्रतिरक्षा की तुलना में इन क्षेत्रों में प्रतिरक्षा अपेक्षाकृत कम रहती है।
पुन: संक्रमण कितना आम है?
ब्रिटेन ने हाल में अपने कोविड-19 डैशबोर्ड पर पुन: संक्रमण पर डेटा प्रकाशित करना शुरू किया है। इसमें उस व्यक्ति को पुन: संक्रमित हुए मरीज के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जो 90 दिनों से अधिक समय बाद फिर से संक्रमित पाया गया हो। छह फरवरी 2022 तक इंग्लैंड में 1.45 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हुए थे और इनमें से लगभग 6,20,000 लोग दोबारा संक्रमित हुए। दोबारा संक्रमण के 50 प्रतिशत से अधिक मामले एक दिसंबर 2021 से आए हैं। यह तथ्य फिर से बताता है कि ओमीक्रोन के साथ पुन: संक्रमण का जोखिम काफी बढ़ गया है।
लेकिन क्या दोबारा संक्रमण के दौरान बीमारी के लक्षण मामूली होते हैं? टीकाकरण करा चुके लोगों में प्राथमिक संक्रमण के दौरान लक्षण गैर-टीकाकरण वाले लोगों की तुलना में आमतौर पर कम गंभीर होते हैं। यही कारण है कि टीकाकरण के बीच अस्पताल में भर्ती होने की दर कम है।
इसलिए यह मान लेना उचित है कि सामान्य तौर पर प्राथमिक संक्रमण की तुलना में पुन: संक्रमण कम गंभीर होना चाहिए, क्योंकि जो व्यक्ति दोबारा संक्रमित होता है, उसके पास अपने प्राथमिक संक्रमण के कारण पहले से मौजूद कुछ प्रतिरक्षा होगी। साथ ही, कई लोगों को उनके संक्रमित होने के बीच टीका लगाया गया होगा जिससे उनकी प्रतिरक्षा का स्तर और बढ़ा होगा।
हम जानते हैं कि कोविड की गंभीरता एक स्वरूप से दूसरे स्वरूप में भिन्न होती है।
क्या पुन: संक्रमण प्रतिरक्षा को मजबूत करते हैं?
इसका जवाब कुछ हद तक ‘हां’ है। पहले हो चुका संक्रमण ओमीक्रोन संक्रमण के मामले में टीके की दो खुराक के समान सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए यह मान लेना उचित है कि पुन: संक्रमण से प्रतिरक्षा को भी बढ़ावा मिलेगा, लेकिन ऐसी प्रतिरक्षा अभी भी शत-प्रतिशत सुरक्षात्मक नहीं होगी। लोगों के कई बार संक्रमित होने के सबूत भी सामने आ रहे हैं। यह आश्चर्यजनक नहीं होना चाहिए, क्योंकि हम जानते हैं कि इंसानों को प्रभावित करने वाला कोरोना वायरस हर कुछ वर्षों में पुन: संक्रमण का कारण बनते हैं।
(द कन्वरसेशन) सुरभि सिम्मी
सिम्मी
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