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Monday, 9 December, 2024
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सिद्दीकी के बेटे, ठाकरे के रिश्तेदार और पूर्व MLA की विधवा के बीच बांद्रा ईस्ट सीट पर लड़ाई होगी दिलचस्प

इस विधानसभा क्षेत्र में मनसे की तृप्ति सावंत विजेता का भाग्य तय कर सकती हैं, जहां बाबा सिद्दीकी के बेटे मौजूदा विधायक हैं. साथ ही, कई निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं.

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मुंबई: शुक्रवार को बांद्रा ईस्ट के गोलीबार नाका में एक ट्रक महाराष्ट्र चुनाव के लिए महायुति के उम्मीदवार जीशान सिद्दीकी का इंतज़ार कर रहा था, जिस पर उनकी और उनके दिवंगत पिता बाबा सिद्दीकी की एक बड़ी तस्वीर लगी हुई थी, जिनकी पिछले महीने मुंबई में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अजित पवार के गुट के पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनके पिता की स्मृति को सम्मान देने के लिए ‘बाबा सिद्दीकी अमर रहे’ जैसे नारे लगाते हुए उनके चारों ओर रैली निकाली. ट्रक पर पार्टी के घड़ी के प्रतीक के साथ पवार की खुद की तस्वीरें प्रमुखता से दिखाई गईं.

पिछले महीने अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी में शामिल हुए जीशान अपने भाषणों में मतदाताओं से जुड़ने के लिए अपने पिता की विरासत और उपलब्धियों पर जोर दे रहे हैं. वरिष्ठ सिद्दीकी पूर्व विधायक और एनसीपी नेता थे.

हालांकि, उल्लेखनीय रूप से महायुति गठबंधन के अन्य सहयोगियों, शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कोई संदर्भ नहीं था. न तो कोई झंडा था और न ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे या उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की कोई तस्वीर.

जीशान ने दिप्रिंट से कहा, “मेरी रैलियों और यात्राओं में सभी दलों के पदाधिकारी होते हैं. सभी का स्वागत है क्योंकि मेरे लिए यह चुनाव सिर्फ राजनीतिक दलों से कहीं बढ़कर है. यह एक भावनात्मक चुनाव है.”

उन्होंने कहा, “हमने जो काम किया है, वह सभी के सामने है. यहां के लोगों ने मेरे परिवार द्वारा किए गए बलिदानों को देखा है. इसलिए, मुझे पता है कि लोग मुझे वोट देंगे.”

जीशान, जिन्होंने 2019 में कांग्रेस के टिकट पर अपना पहला चुनाव जीता था, अब वांद्रे (बांद्रा) पूर्व से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं — जो ठाकरे परिवार के प्रतिष्ठित निवास मातोश्री के पीछे है.

इस बार, उन्हें आदित्य ठाकरे के चचेरे भाई और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के उम्मीदवार वरुण सरदेसाई से चुनौती मिल रही है. सरदेसाई शिवसेना यूबीटी की युवा शाखा युवा सेना के सदस्य के रूप में राजनीति में सक्रिय रहे हैं.

जबकि जीशान अपने कार्यकाल के दौरान किए गए कामों और अपने दिवंगत पिता द्वारा किए गए कामों की याद दिलाकर वोट मांग रहे हैं, सरदेसाई अपनी शिक्षा और बेदाग छवि पर बहुत भरोसा कर रहे हैं.

वरुण ने दिप्रिंट को बताया, “हां, लोग जीशान के साथ व्यक्तिगत स्तर पर सहानुभूति रख सकते हैं क्योंकि उन्होंने जो कुछ भी किया है, लेकिन यह ज़रूरी नहीं है कि लोग उन्हें वोट भी देंगे. वे मतदाताओं को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं. मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में वे अपने अभियान के दौरान भाजपा के लोगो या झंडों का उपयोग करने से बचते हैं. हालांकि, लोग जानते हैं कि उनके लिए वोट अंततः भाजपा का समर्थन करता है.”

2019 के महाराष्ट्र चुनावों में, जब अविभाजित शिवसेना और कांग्रेस एक-दूसरे के खिलाफ लड़े थे, जीशान ने सेना के विश्वनाथ महादेश्वर के खिलाफ लगभग 5,800 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी.

बांद्रा ईस्ट को एक हाई-प्रोफाइल निर्वाचन क्षेत्र माना जाता है क्योंकि यहां मातोश्री स्थित है. इस क्षेत्र का 80 प्रतिशत से ज़्यादा हिस्सा झुग्गी-झोपड़ियों और पुरानी सरकारी कॉलोनियों से बना है, जिसमें मराठी भाषी लोगों की अच्छी खासी आबादी है.

इसमें मुस्लिम और दलित समुदायों का मिश्रण भी है, खास तौर पर झुग्गी-झोपड़ियों वाले इलाकों में. इसकी विविधता में एक छोटा सा अपस्केल सेगमेंट भी शामिल है, जो मुंबई के वाणिज्यिक केंद्र बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स के नज़दीक होने की वजह से है.


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जीशान बनाम वरुण

बाबा सिद्दीकी ने कांग्रेस की छात्र शाखा नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी.

कांग्रेस के साथ 48 साल बिताने के बाद, सिद्दीकी इस साल फरवरी में अजित पवार की NCP में शामिल हो गए थे. वे 1992 और 1997 में कांग्रेस के टिकट पर बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के पार्षद चुने गए थे. 1999 में उन्होंने महाराष्ट्र चुनाव लड़ा और कांग्रेस के टिकट पर बांद्रा पश्चिम से जीत हासिल की, 2004 और 2009 में भी सीट बरकरार रखी.

हालांकि, 12 अक्टूबर को उनकी हत्या ने चीज़ों को काफी हद तक बदल दिया. अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में, जीशान अजित पवार के नेतृत्व में NCP में शामिल हो गए और उन्हें बांद्रा ईस्ट से उम्मीदवार बनाया गया. यह अगस्त की शुरुआत में कांग्रेस से उनके निष्कासन के बाद हुआ.

जीशान ने दिप्रिंट को बताया, “एमवीए (महा विकास अघाड़ी) के समय, मुझे शिवसेना (यूबीटी) से बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा. उन्होंने मुझे काम नहीं करने दिया, फंड का आवंटन अनुचित था और मेरे किसी भी नेता ने मेरा साथ नहीं दिया और फिर मेरी अपनी सीट, जो मैंने कांग्रेस के लिए जीती थी, उन्होंने उसे शिवसेना (यूबीटी) को दे दिया. इसलिए, मेरे पास किसी दूसरी पार्टी में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.”

उन्होंने कहा, “अजित दादा हमेशा मेरे लिए खड़े रहे हैं और मैं ऐसे व्यक्ति के साथ जुड़कर खुश हूं, जो मुश्किल वक्त में मेरे लिए खड़े हुए.”

दूसरी ओर, वरुण लगभग एक दशक से युवा सेना के लिए बैकरूम मैनेजर के रूप में काम कर रहे हैं. आदित्य ठाकरे के मामा होने के अलावा, उन्हें मुंबई विश्वविद्यालय के सीनेट और ग्रेजुएशन लेवल के चुनावों में शिवसेना (यूबीटी) की सफलताओं का श्रेय दिया जाता है.

उनके पास मुंबई विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री के अलावा न्यूयॉर्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग में एमएस की डिग्री भी है — एक ऐसा प्लेकार्ड और बैनर जो उनकी रैलियों में नहीं छूटता. उनकी पार्टी के कार्यकर्ता चुनावी रैलियों में “डबल ग्रेजुएट” प्लेकार्ड लहरा रहे हैं.

इस बीच, सिद्दीकी की हत्या के सिलसिले में मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने अब तक कम से कम 24 लोगों को गिरफ्तार किया है. महाराष्ट्र सरकार ने इस विषय पर जानबूझकर चुप्पी साध रखी है.

त्रिकोणीय मुकाबला?

निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बांद्रा ईस्ट में कांग्रेस को 2019 में 30 प्रतिशत, अविभाजित शिवसेना को 26 प्रतिशत, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) को 10 प्रतिशत और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) को 8 प्रतिशत वोट मिले थे.

शिवसेना की बागी तृप्ति सावंत, जिन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था, को उस साल 19 प्रतिशत वोट मिले थे. तृप्ति, जिनके पति प्रकाश (बाला) सावंत 2014 में इस सीट से शिवसेना के विधायक थे, इस साल MNS के टिकट पर इस सीट से चुनाव लड़ेंगी.

2015 में बाला सावंत के निधन के बाद, तृप्ति ने 2019 में शिवसेना से टिकट मांगा था. हालांकि, उन्हें टिकट देने से मना कर दिया गया और उनकी जगह पूर्व मेयर दिवंगत विश्वनाथ महादेश्वर को उम्मीदवार बनाया गया.

तृप्ति ने बागी होकर बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा और 24,000 वोट हासिल किए. वे अब अपने पति के नाम पर वोट मांग रही हैं.

रविवार को एक रैली में तृप्ति ने कहा, “मैं बाला सावंत द्वारा किए गए काम को आगे बढ़ाना चाहती हूं. उन्होंने इस निर्वाचन क्षेत्र के लिए कड़ी मेहनत की है और उनकी मृत्यु के बाद, उनके द्वारा शुरू किए गए काम अधूरे हैं. मैं चाहती हूं कि आप मुझे यह चुनाव जीतने में मदद करें, ताकि मैं बाला सावंत द्वारा किए गए काम को पूरा कर सकूं.”

हालांकि, वरुण ने दिप्रिंट से कहा कि “लोग महसूस कर रहे हैं कि तृप्ति सावंत को वोट देने का मतलब वोटों का बंटवारा होगा”.

उन्होंने कहा, “2019 में शिवसेना ने महादेश्वर को टिकट दिया और उस समय तृप्ति सावंत ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा. उन्हें बहुत सारे वोट मिले क्योंकि उन्होंने सहानुभूति कार्ड खेला और जीशान वोटों के बंटवारे के कारण जीते. इसलिए, मैं इसे (उनकी उम्मीदवारी) बिल्कुल भी मुद्दा नहीं मानता. उन्होंने पिछले पांच सालों में कईं पार्टियां बदली हैं और लोग इसे देख रहे हैं.”

यहां तक ​​कि जीशान भी अडिग हैं. उन्होंने कहा, “सिर्फ वरुण या तृप्ति ही नहीं, मेरे खिलाफ कुछ अन्य निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव लड़ रहे हैं. जब मैंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, तो किसी ने नहीं सोचा था कि मैं जीत जाऊंगा, लेकिन मैं जीत गया. इसलिए यह काफी हद तक आरामदायक होना चाहिए.”

इन तीन मुख्य दावेदारों के अलावा, शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के पदाधिकारी कुणाल सरमालकर बांद्रा ईस्ट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं.

जनता से अपील

वरुण की रैलियों में उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि पर जोर दिया जाता है. वे नुक्कड़ सभाएं भी कर रहे हैं और पुरानी जीर्ण-शीर्ण इमारतों के पुनर्विकास तथा मीठी नदी की सफाई से जुड़े मुद्दों को बड़े पैमाने पर उठा रहे हैं.

वे सरकारी कॉलोनियों में मतदाताओं से कहते हैं, “मैं पेशे से सिविल इंजीनियर हूं. मैंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है, वही विश्वविद्यालय जहां से डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने पढ़ाई की थी. चूंकि, मेरे पास सिविल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री है, इसलिए मैं इन समस्याओं को समझता हूं. इसलिए एक बार मुझ पर भरोसा कीजिए.”

वे वोट बंटवारे के खतरे से भी वाकिफ हैं. सरकारी कॉलोनियों में वे घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं और लोगों को इसके बारे में आगाह कर रहे हैं.

उन्होंने शुक्रवार को सरकारी कॉलोनियों में से एक में एक चौक पर कहा, “यहां बहुत से लोग आएंगे, वे आपको ढेरों सपने दिखाएंगे, आचार संहिता लागू होने से ठीक एक घंटे पहले जारी किए गए सरकारी संकल्प दिखाएंगे. इस बार विपक्ष ने एक बार फिर एमएनएस से (तृप्ति) सावंत को टिकट दिया है और (कुणाल) सरमालकर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. वे हमारे पारंपरिक वोटों को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं और एक बार फिर भाजपा और उसके सहयोगी जीशान सिद्दीकी की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं.”

“इसलिए हमारे सभी मराठी लोगों को बहुत सावधान और जागरूक रहने की ज़रूरत है.”

उन्होंने लोगों से अपील की कि मातोश्री के पीछे शिवसेना (यूबीटी) जीतने वाली पार्टी होनी चाहिए.

इस बीच, जीशान को पता है कि भाजपा के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ या ‘एक हैं तो सेफ हैं’ के नारे उन्हें लाभ नहीं देंगे, खासकर मुस्लिम बहुल इलाकों में.

जीशान ने दिप्रिंट से कहा, “मेरे पास यह समझने का समय नहीं है कि मेरे आसपास क्या हो रहा है. मैं केवल वांद्रे ईस्ट पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं. मैं किसी भी घृणित टिप्पणी का समर्थन नहीं करता. न ही अजित पवार का. उन्होंने भी अपना रुख बहुत स्पष्ट कर दिया है.”

उनके अभियान में जीशान के पिता बाबा सिद्दीकी काफी हद तक शामिल हैं.

जीशान के अनुसार, उन्हें अपनी जान को लेकर नए-नए खतरे सुनने को मिल रहे हैं, लेकिन अपने पिता से मिली ताकत की वजह से वे संघर्ष कर रहे हैं.

अपनी रैलियों और नुक्कड़ सभाओं में जीशान लोगों को अपने पिता के कामों की याद दिलाना कभी नहीं भूलते.

एक रैली में जीशान ने कहा, “मेरे पिता ने इस निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की सेवा में अपनी जान दे दी. लोग कहते हैं कि उनकी हत्या के दिन, वे हत्यारे हम दोनों को मारना चाहते थे, लेकिन अपने अंतिम क्षणों में, मेरे पिता ने अपना कर्तव्य निभाया और मेरी रक्षा की और मैं आज किसी कारण से ज़िंदा हूं और वो कारण यह है कि मेरे पिता ने अपना सारा जीवन गरीब लोगों के लिए संघर्ष और लड़ाई लड़ी और मुझे अब उस लड़ाई को जारी रखना है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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