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Wednesday, 27 August, 2025
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पाकिस्तान में करतारपुर गलियारा बाढ़ में डूबा, 100 से ज़्यादा लोग फंसे

पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के एक दिन बाद, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई दंडात्मक कदम उठाए, जिनमें 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित करना भी शामिल था. आमतौर पर, बाढ़ की चेतावनी सिंधु जल आयोग के माध्यम से साझा की जाती है.

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लाहौर: रावी नदी में बाढ़ के कारण पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के नारोवाल जिले में गुरुद्वारा दरबार साहिब सहित करतारपुर कॉरिडोर जलमग्न हो गया, जिस कारण 100 से अधिक लोग फंस गए जिनमें से अधिकतर कर्मचारी थे.

करतारपुर कॉरिडोर परियोजना प्रबंधन इकाई के प्रमुख सैफुल्लाह खोखर ने ‘पीटीआई’ को बताया, ‘‘गुरुद्वारा दरबार साहिब सहित पूरा करतारपुर कॉरिडोर परिसर बाढ़ के पानी में डूब गया है.’’

उन्होंने कहा कि फंसे हुए लोगों को नावों और एक हेलीकॉप्टर से बचाया जा रहा है, जिनमें से ज़्यादातर करतारपुर परियोजना प्रबंधन इकाई के कर्मचारी हैं.

सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रही तस्वीरों और वीडियो में पवित्र सिख तीर्थस्थल बाढ़ के पानी से घिरा हुआ दिखाई दे रहा है. पाकिस्तान सरकार ने नवंबर 2019 में करतारपुर कॉरिडोर खोला था, जो पाकिस्तान-भारत सीमा से लगभग 4.1 किलोमीटर दूर है.

यह कॉरिडोर पाकिस्तान के गुरुद्वारा दरबार साहिब को पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक से जोड़ता है, जहां 16वीं शताब्दी की शुरुआत में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी जीवन के अंतिम समय में रहे थे.

यह कॉरिडोर भारतीय श्रद्धालुओं को गुरुद्वारा दरबार साहिब के दर्शन के लिए वीज़ा-मुक्त पहुंच प्रदान करता है.

नारोवाल के उपायुक्त हसन रज़ा के अनुसार, भारत द्वारा रावी नदी में पानी छोड़े जाने के बाद बाढ़ग्रस्त इलाकों से सैकड़ों निवासियों को निकाला गया है.

उन्होंने बताया कि शकरगढ़ तहसील के कोट नैन में रावी नदी का जल स्तर 1,55,000 क्यूसेक पर पहुंच गया है, जबकि इसकी क्षमता 1,50,000 क्यूसेक है.

रविवार को, भारत ने ‘मानवीय आधार’ पर राजनयिक माध्यमों से पाकिस्तान को बाढ़ की चेतावनी दी थी.

मई में दोनों पक्षों के बीच चार दिनों तक चले संघर्ष के बाद यह भारत और पाकिस्तान के बीच पहला ज्ञात आधिकारिक संपर्क था.

पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के एक दिन बाद, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई दंडात्मक कदम उठाए, जिनमें 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित करना भी शामिल था. आमतौर पर, बाढ़ की चेतावनी सिंधु जल आयोग के माध्यम से साझा की जाती है.

अधिकारियों ने बताया कि हजारों एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो गई है, जिससे धान की फसल और पशु चारे को नुकसान पहुंचा है.

रज़ा ने कहा कि पिछले 24 घंटों में हुई भारी बारिश ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है, जिससे गांव और फसलें जलमग्न हो गईं तथा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

इस बीच, जियो न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने बुधवार रात शाहदरा में रावी नदी में भारी बाढ़ की चेतावनी दी है क्योंकि भारी बारिश और भारत द्वारा बांधों से छोड़े गए पानी के कारण पंजाब में बाढ़ का ‘अत्यधिक’ खतरा बढ़ गया है.

लाहौर के शाहदरा में नदी का जलस्तर वर्तमान में 72,900 क्यूसेक है, जिससे शाहदरा, पार्क व्यू और मोटरवे-2 सहित निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने बुधवार को स्थिति की समीक्षा के लिए एक आपात बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने अधिकारियों को समय पर अलर्ट सुनिश्चित करने के लिए पूर्व चेतावनी प्रणालियों में सुधार करने का निर्देश दिया.

प्रांतीय सरकार ने पंजाब में पहले से ही बाढ़ग्रस्त इलाकों से लोगों को बचाने और राहत एवं निकासी प्रयासों में मदद के लिए दिन में ही सेना बुला ली थी. लगभग सभी पूर्वी नदियों में बढ़ते जलस्तर के बीच, पंजाब भर में बाढ़ की दृष्टि से संवेदनशील इलाकों से 2,50,000 से ज़्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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