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Saturday, 27 September, 2025
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जयशंकर, ऑस्टिन ने द्विपक्षीय रक्षा औद्योगिक सहयोग के अवसरों पर चर्चा की

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(तस्वीरों के साथ)

(ललित के झा)

वाशिंगटन, 27 सितंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने द्विपक्षीय रक्षा औद्योगिक सहयोग के नए अवसरों पर चर्चा की। अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन ने कहा कि इससे एक क्षेत्रीय सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत का योगदान बढ़ेगा।

वाशिंगटन की चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर पहुंचे जयशंकर सोमवार को ऑस्टिन से मुलाकात के लिए पेंटागन गए थे। पेंटागन ने बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि भारत और अमेरिका अपनी साझेदारी में एक और उन्न्त चरण की ओर बढ़ रहे हैं।

ऑस्टिन और जयशंकर ने अमेरिका और भारतीय सेनाओं के बीच गहन संचालनगत समन्वय के लिए सूचना-साझाकरण और रसद सहयोग के विस्तार को लेकर प्रतिबद्धता जताई।

पेंटागन ने कहा, ‘‘उन्होंने (जयशंकर और ऑस्टिन ने) एक क्षेत्रीय सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत के योगदान के समर्थन में द्विपक्षीय रक्षा औद्योगिक सहयोग के नए अवसरों पर भी चर्चा की, जिसमें इस साल के अंत में एक नया रक्षा संवाद शुरू करना शामिल है क्योंकि अमेरिका और भारत अंतरिक्ष, साइबर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अन्य प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं।’’

बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और यूरोपीय भागीदारों के बीच गहन सहयोग के मूल्य को रेखांकित किया।

पेंटागन में विदेश मंत्री का स्वागत करते हुए ऑस्टिन ने हाल में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ फोन पर हुई अपनी बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि ये बातचीत दोनों देशों के बीच बढ़ती साझेदारी और आकांक्षाओं को मजबूत करती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इन सब से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि हमारी सेनाएं तैयार हैं।’’ ऑस्टिन ने कहा, ‘‘मैं आपकी मित्रता का आभारी हूं और हम एक मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत के अपने साझा दृष्टिकोण की दिशा में मिलकर काम करेंगे। इस संबंध में एक शानदार बातचीत की आशा है।’’

उन्होंने कहा कि क्षेत्र की सुरक्षा को बनाए रखना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘‘हाल के महीने में हमने चीन को नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय अदालत को चुनौती देने का प्रयास करते, ताइवान की खाड़ी और आसपास अप्रत्याशित उकसावे वाली कार्रवाई करते देखा है।’’

विदेश मंत्री और ऑस्टिन ने इस बात पर सहमति व्यक्त की है कि इस साल विशेषकर हिंद-प्रशांत में चुनौतियों के कारण वैश्विक चुनौतियां बढ़ गई हैं। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों विशेषकर रक्षा संबंधों में और मजबूती लाए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

दोनों नेताओं की यह टिप्पणी क्षेत्र में चीन के लगातार बढ़ते धौंस जमाने वाले रवैये के बीच आई है। इस दौरान वह अपने अमेरिकी समकक्ष एंटनी ब्लिंकन समेत अमेरिकी कैबिनेट के कई मंत्रियों के साथ विचार विमर्श करेंगे।

जयशंकर ने यहां पेंटागन में सोमवार को ऑस्टिन के साथ बैठक में अपने शुरुआती संबोधन में कहा, ‘‘मैं आपको बताना चाहता हूं कि इस साल विभिन्न कारणों से विशेषकर हिंद-प्रशांत के कारण वैश्विक स्थिति अधिक चुनौतीपूर्ण हो गई है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि हिंद-प्रशांत की स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित की जाए। इसके लिए दो देशों के बीच सहयोग सबसे अच्छा उपाय है।’’

चीन विवादित दक्षिण चीन सागर में लगभग सभी हिस्से पर अपना दावा करता है, हालांकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम सभी इसके कुछ हिस्सों का दावा करते हैं। चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं। पूर्वी चीन सागर में चीन का जापान के साथ क्षेत्रीय विवाद भी है।

जयशंकर ने कहा कि उनका मानना है कि रक्षा और सुरक्षा सहयोग हमारे समकालीन संबंधों का आधार है।

भाषा सुरभि पाण्डेय

पाण्डेय

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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