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Wednesday, 13 August, 2025
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इजराइल को अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता के संकट का सामना करना पड़ रहा है

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(अमीन सैकल, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय द्वारा)

पर्थ, 10 अगस्त (द कन्वरसेशन) अंतरराष्ट्रीय कानून और युद्ध के नियमों का पालन करने वाले लोकतांत्रिक देश होने के अपने सभी दावों के बावजूद इजराइल की वैश्विक प्रतिष्ठा धूमिल हो चुकी है।

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की गाजा पर पूर्ण सैन्य कब्जे की नवीनतम योजना, गाजा पट्टी में बढ़ते भुखमरी संकट और पश्चिमी तट में इजराइल के दमनकारी उपाय, देश की दुर्दशा को रेखांकित करते हैं।

अमेरिकी समर्थन के बावजूद, यहूदी देश को अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता के संकट का सामना करना पड़ रहा है, जिससे वह लंबे समय तक उबर नहीं पायेगा।

हाल में हुए ‘प्यू पोल’ के अनुसार, इजराइल के प्रति अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण अब सकारात्मक की बजाय नकारात्मक है। वर्ष 2025 की शुरुआत में नीदरलैंड (78 प्रतिशत), जापान (79 प्रतिशत), स्पेन (75 प्रतिशत), ऑस्ट्रेलिया (74 प्रतिशत), तुर्किये (93 प्रतिशत) और स्वीडन (75 प्रतिशत) जैसे देशों में हुए सर्वेक्षण में शामिल ज्यादातर लोगों ने कहा कि उनका इजराइल के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण है।

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने युद्ध अपराध और मानवता के विरुद्ध अपराध के आरोप में नेतन्याहू और इजराइल के पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। कई अंतरराष्ट्रीय कानून विशेषज्ञों और मानवाधिकार समूहों ने भी इजराइल पर गाजा में नरसंहार करने का आरोप लगाया है।

इजराइल के पारंपरिक समर्थकों ने भी देश के अंदर और बाहर, नेतन्याहू सरकार के कार्यों की कड़ी आलोचना की है। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री एहुद ओलमर्ट और एहुद बराक, इजराइल के साहित्यकार डेविड ग्रॉसमैन, तथा मासोर्टी यहूदी धर्म के रब्बी जोनाथन विटेनबर्ग और रब्बी डेल्फिन होरविलेउर शामिल हैं।

इसके अलावा, सैकड़ों सेवानिवृत्त इजराइली सुरक्षा अधिकारियों ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अपील की है कि वे नेतन्याहू पर युद्ध समाप्त करने के लिए दबाव डालें।

इजराइल के वैश्विक साझेदार खुद को दूर कर रहे हैं।

हाल के सप्ताहों में गाजा में भूख से मरते बच्चों की तस्वीरें समाचारों में छाई रहीं, तथा पश्चिमी गठबंधन में इजराइल के कई मित्र भी इस बिंदु पर पहुंच गए हैं कि वे अब उसकी नीतिगत कार्रवाइयों को बर्दाश्त नहीं कर सकते।

वैश्विक राय में एक बड़े बदलाव के तहत, फ्रांस ने घोषणा की कि वह सितंबर में फलस्तीनी राज्य को मान्यता देगा। ब्रिटेन और कनाडा ने भी ऐसा ही करने का संकल्प लिया है। यहां तक कि जर्मनी ने भी अब मान्यता की प्रक्रिया शुरू कर दी है। और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने संकेत दिया है कि उनके देश द्वारा फलस्तीनी को मान्यता देना बस समय की बात है।

स्पेन और स्वीडन ने इजराइल के साथ यूरोपीय संघ के व्यापार समझौते को निलंबित करने का आह्वान किया है, जबकि नीदरलैंड ने आधिकारिक तौर पर इजराइल को ‘‘सुरक्षा खतरा’’ करार दिया है।

इजराइल और अमेरिका ने इन सभी आरोपों और कदमों को खारिज कर दिया है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इजराइल के खिलाफ जो माहौल है, उसके कारण अब अमेरिका ही उसका एकमात्र प्रमुख वैश्विक समर्थक रह गया है।

इजराइल की संप्रभुता, सुरक्षा और समृद्धि अब अमेरिका के निरंतर समर्थन पर निर्भर है।

फिर भी, इजराइल के प्रति ट्रंप की गहरी प्रतिबद्धता के बावजूद, अमेरिकी मतदाताओं में से कई लोग वाशिंगटन में नेतन्याहू के प्रभाव की गहराई और इजराइल को अमेरिकी सहायता के मूल्य पर गंभीरता से सवाल उठा रहे हैं।

मार्च में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार, आधे से भी कम अमेरिकी लोग इजराइल के प्रति सहानुभूति रखते हैं।

(द कन्वरसेशन)

देवेंद्र नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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