नई दिल्ली: ईरान में हिजाब का विरोध करने के लिए नैतिकता पुलिस द्वारा हिरासत में महसा अमिनी की मौत के बाद वहां महिलाओं का प्रदर्शन तेज हो गया है. कई महिला प्रदर्शनकारियों ने अपने बाल काट कर और हिजाब जला कर अपना विरोध दर्ज कराया हैं.
ईरानी पत्रकार और कार्यकर्ता मसीह अलीनेजाद ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर महिलाओं के बाल काटते हुए एक वीडियो साझा किया है जिसमें उन्होंने लिखा है, ‘हिजाब पुलिस द्वारा महसा अमिनी की हत्या के विरोध में ईरानी महिलाएं अपने बाल काटकर और हिजाब जलाकर गुस्सा दिखा रही हैं.’
उन्होंने आगे लिखा, ‘7 साल की उम्र से अगर हम अपने बालों को नहीं ढकते हैं तो हम स्कूल नहीं जाने दिया जाएगा या हम नौकरी नहीं कर पाएंगे. हम इस लैंगिक रंगभेद व्यवस्था से तंग आ चुके हैं.’
Iranian women show their anger by cutting their hair and burning their hijab to protest against the killing of #Mahsa_Amini by hijab police.
From the age of 7 if we don’t cover our hair we won’t be able to go to school or get a job. We are fed up with this gender apartheid regime pic.twitter.com/nqNSYL8dUb— Masih Alinejad 🏳️ (@AlinejadMasih) September 18, 2022
उन्होंने एक और ट्वीट में अमिनी को हिजाब और धर्म की तानाशाही के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बताया है.
उन्होंने लिखा, ‘इस खूबसूरत नाचती महिला महसा अमिनी को ईरान में हिजाब पुलिस ने इसलिए मार डाला क्योंकि उसके थोड़े से बाल दिखाई दे रहे थे. वह मरी नहीं बल्कि जबरन हिजाब और धर्म की तानाशाही के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन गई है. उसकी हत्या ईरान की हम महिलाओं के लिए एक अहम मोड़ है.’
This beautiful dancing woman #MahsaAmini got killed by hijab police in Iran because a little bit of her hair was visible.
She didn’t die but became a symbol of resistance against forced hijab & religion dictatorship. Her murder is a turning point for us women of Iran.#مهسا_امینی pic.twitter.com/Jud0bfSu48— Masih Alinejad 🏳️ (@AlinejadMasih) September 19, 2022
अलीनेजाद ने एक और ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने तेहरान विश्वविद्यालय का वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि छात्र ‘हिजाब पुलिस’ द्वारा महसा अमिनी की हत्या के विरोध में शामिल हुए हैं. उन्होंने यह भी लिखा है कि ईरानी इस घटना से काफी नाराज हैं.
उन्होंने लिखा, ‘कल सुरक्षा बलों ने साघेज शहर में प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं लेकिन अब तेहरान विरोध में शामिल हो गया है.’
इस घटना का अपडेट देते हुए अलीनेजाद ने सिलसिलेवार कई ट्वीट्स किए हैं. अलीनेजाद ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक और वीडियो साझा किया और लिखा है कि ‘बहादुर महिलाएं’ दूसरे दिन सड़कों पर उतरीं हैं और ‘डरो मत, हम सब एक हैं’ के नारे लगाए. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं जिसमें कुछ लोग घायल हो गए हैं.
खबरों के मुताबिक, 22 साल की महसा अमिनी अपने परिवार के साथ तेहरान की यात्रा के दौरान विशेषज्ञ पुलिस इकाई ने उसे हिरासत में ले लिया. इसके थोड़ी देर बाद महसा को दिल का दौरा पड़ा और उन्हें आपातकालीन सेवाओं के सहयोग से तुरंत अस्पताल ले जाया गया.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके बाद उसकी मौत हो गई और उसके शरीर को चिकित्सा परीक्षक के कार्यालय में भेज दिया गया. यह घोषणा तेहरान पुलिस द्वारा इस बात की पुष्टि करने के एक दिन बाद हुई कि अमिनी को अन्य महिलाओं के साथ हिजाब नियमों का विरोध करने के लिए हिरासत में लिया गया था.
सीएनएन ने ईरानवायर के हवाले से बताया कि परिवार से बात करने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा कि पुलिस ने अमिनी को हिरासत में ले लिया और उसे एक पुलिस की गाड़ी में ले जाने के लिए मजबूर किया गया. अमिनी के भाई, कियाराश ने दखल दी लेकिन पुलिस ने उसे कहा कि वे उसकी बहन को ‘पुन: शिक्षा’ के मकसद से एक घंटे के लिए पुलिस स्टेशन ले जा रहे हैं.
उसका भाई पुलिस स्टेशन के बाहर उसकी रिहाई का इंतजार कर रहा था लेकिन कुछ देर बाद उसे अपनी बहन के साथ एक एम्बुलेंस में अस्पताल ले जाया गया. सीएनएन ने राज्य मीडिया के हवाले से बताया कि पुलिस ने बयान में कहा है, ‘महिला को मार्गदर्शन और शिक्षा के लिए ग्रेटर तेहरान पुलिस परिसर में भेजा गया था, जब अचानक, अन्य लोगों के सामने उसे दिल का दौरा पड़ा गया.’
पुलिस द्वारा दी गई घटनाओं पर सवाल उठाते हुए, महसा के परिवार ने कहा कि वो बिल्कुल ठीक थी और पहले से दिल से जुड़ी कोई बीमारी नहीं थी.
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपने एक बयान में कहा, ‘महसा अमिनी की हिरासत में संदिग्ध मौत के कारण जिन यातनाओं और अन्य दुर्व्यवहार के आरोप लगे हैं, उनकी आपराधिक जांच होनी चाहिए.’
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर रोष फैल गया, ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने आंतरिक मंत्री को मामले की जांच शुरू करने का आदेश दिया हैं. कई सांसदों ने कहा कि वे इस मामले को संसद में उठाएंगे, जबकि न्यायपालिका ने कहा कि यह जांच के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स बनाएगी.
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