scorecardresearch
Tuesday, 8 October, 2024
होमएजुकेशनMNC में जॉब , मोटी तनख्वाह - IIT-IIM के बाद, छोटे-मोटे प्राइवेट कॉलेज भी अब प्लेसमेंट गेम में पीछे नहीं रहे

MNC में जॉब , मोटी तनख्वाह – IIT-IIM के बाद, छोटे-मोटे प्राइवेट कॉलेज भी अब प्लेसमेंट गेम में पीछे नहीं रहे

ऐसे कॉलेजों के छात्रों को बड़ी-बड़ी कंपनियों की ओर से 40 लाख रुपये या उससे भी ज्यादा के ऑफर मिल रहे हैं. इंडस्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि आज कंपनियां बड़े-बड़े नामों के बजाय स्किल को ज्यादा तरजीह दे रहीं हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: अगर आपको लगता है कि दुनिया की कुछ नामी-गिरामी कंपनियों में मोटी तनख्वाह वाली पसंदीदा नौकरियां सिर्फ IIT और IIM स्नातकों के पास जाती हैं, तो फिर आप अपनी सोच बदल लें. अब इस प्लेसमेंट गेम में वो निजी कॉलेज भी टॉप पर पहुंच रहे हैं, जिनका नाम भी शायद आपने कभी सुना हो. इन कॉलेज के छात्रों को 20 लाख रुपये और उससे अधिक के शुरुआती वेतन के ऑफर मिल रहे हैं.

अगर विश्वास नहीं होता तो जरा, यहां-वहां, हर जगह लगे ऐसे प्राइवेट संस्थानों के होर्डिंग्स पर नजर डालिए. मुस्कुराते छात्रों की तस्वीरों और उनको मिलने वाले प्लेसमेंट का बखान करते विज्ञापन पूरे भारत में आपको दिख जाएंगे.

जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट और नोएडा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (एनआईईटी) दिल्ली-एनसीआर के ऐसे ही दो कॉलेज हैं. ग्रेटर नोएडा में स्थित इन कॉलेज के विज्ञापनों में दावा किया गया है कि इस साल उनके कुछ छात्रों को 40 लाख रुपये और उससे ज्यादा के शुरुआती वेतन का ऑफर मिला है.

कम नामी प्राइवेट संस्थानों के छात्रों के लिए इस तरह के पैकेज पर किसी को भी हैरानी हो सकती है. आखिरकार, वे कोई आईआईटी या यहां तक कि बिट्स पिलानी जैसे जाने-माने प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज तो हैं नहीं, जहां ग्रेजुएट को मिलने वाला शुरुआती सालाना वेतन पैकेज 10 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक का होता है. इसलिए ऐसे निजी कॉलेज के दावों पर थोड़ा संदेह तो होता ही है.

लेकिन जब दिप्रिंट ने दावों पर गौर किया तो पाया कि इस कतार में सिर्फ जीएल बजाज और एनआईईटी नहीं है, बल्कि कई अन्य कॉलेजों ने भी इस साल इसी तरह की उपलब्धि हासिल की है.

केंद्र सरकार के राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) पर 140 और 200 के बीच रैंक वाले निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि उनमें से कम से कम 10 ने अपने उच्चतम पैकेज को 20-45 लाख रुपये के बीच रिकार्ड किया है.

इनमें से ज्यादातर संस्थानों को सबसे बड़ा वेतन पैकेज अमेजन की तरफ से मिला है, जिसने छात्रों को सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट इंजीनियरों के रूप में हायर किया है. सितंबर 2021 की न्यूज रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेजन की योजना 2025 तक भारत में 20 लाख नौकरियों के अवसर सृजित करने की है.

दिप्रिंट ने ईमेल के जरिए अमेजन से इस पर टिप्पणी लेने के लिए संपर्क किया था, लेकिन रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक कोई जवाब नहीं मिला. प्रतिक्रिया मिलने पर इस लेख को अपडेट किया जाएगा.

प्लेसमेंट के बारे में बात करते हुए एनआईईटी के करियर मैनेजमेंट सेल के प्रमुख अजीत सिंह ने कहा कि संस्थान को पता है कि उसके पास आईआईटी या अन्य बड़े कॉलेजों के नाम का ठप्पा नहीं है. इसलिए वह अपने छात्रों पर ज्यादा मेहनत करता है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘हम अपने छात्रों के सॉफ्ट-स्किल ट्रेनिंग देने और उन्हें नौकरी के लिए तैयार करने पर बहुत ध्यान देते हैं. हम इंडस्ट्री के सहयोग से बहुत सारे कार्यक्रम चलाते हैं ताकि छात्रों को उस काम का फर्स्ट-हैंड एक्सपिरियंस मिल सके, जिसे वो करने जा रहे हैं. छात्रों को रिलेवेंट स्किल सर्टिफिकेट दिलाने के लिए कौरसेरा के साथ भी टाई-अप किया गया है.’


यह भी पढ़ेंः तीसरी कक्षा के छात्रों की इंग्लिश, हिंदी से बेहतर, बिहार के छात्र गणित में अव्वल- NCERT सर्वे


प्लेसमेंट गेम

एनआईआरएफ में 145 वें रैंक के एनआईईटी ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि उनके चार छात्रों को 44.5 एलपीए (लाख प्रति वर्ष) का पैकेज मिला है. उन सभी छात्रों को अमेज़ॅन में नौकरी मिली है. इसने एनसीआर के लगे अपने कई होर्डिंग पर भी यही बात कही है.

एनआईईटी के छात्र अनुराग श्रीवास्तव को इस साल अमेजन में नौकरी मिली है. उन्होंने बताया कि संस्थान ने उनके साथ-साथ तीन अन्य छात्रों को ऑनलाइन रिटेल दिग्गज के साथ इंटर्नशिप करने में मदद की. और उसके बाद उन्हें यहां से नौकरी का ऑफर मिल गया.

श्रीवास्तव ने बताया, ‘हमने पहले वहां सफलतापूर्वक अपनी इंटर्नशिप पूरी की. उसके बाद अमेजन की तरफ से हमें नौकरी का ऑफर आया. कॉलेज ने हमें रिलेवेंट स्किल के साथ मदद की, जिससे हमें हमारे काम में मदद मिली.’  श्रीवास्तव एक सॉफ्टवेयर डेवलपर के रूप में काम कर रहे हैं और उन्हें 44.5 एलपीए का पैकेज मिला है.

आंध्र के विजयवाड़ा में वेलागपुड़ी रामकृष्ण सिद्धार्थ इंजीनियरिंग कॉलेज की एनआईआरएफ रैंकिंग 141 है. उसने अपनी वेबसाइट पर अमेजन से मिले हाईएस्ट पैकेज को 44 एलपीए में सूचीबद्ध किया है. हालांकि संस्थान का एवरेज पे पैकेज 4.8 एलपीए था.

हैदराबाद में अनुराग युनिवर्सिटी (140 वें स्थान पर) ने भी अपनी वेबसाइट पर अमेज़न से अपने हाईएस्ट पैकेज को 38.5 एलपीए पर सूचीबद्ध किया है.

जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट (एनआईआरएफ पर 195 वें स्थान पर) को भी अपने चार छात्रों के लिए अमेजन से 44.47 एलपीए का पे पैकेज मिला है.

जीएल बजाज में मीडिया और जनसंपर्क समन्वयक अरविंद कुमार भट्ट के अनुसार, वे छात्रों को इंडस्ट्री के लिए तैयार करने पर ध्यान दे रहे हैं ताकि उन्हें अच्छे प्लेसमेंट मिल सके.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘हम इंडस्ट्री के साथ उनकी जरूरतों के बारे में कंसल्ट करते हैं. और फिर अपने छात्रों को उसी के अनुसार प्रशिक्षित करते हैं. हम उन्हें रेगुलर कोर्स के अलावा सर्टिफिकेट भी देते हैं. स्टूडेंट के सॉफ्ट-स्किल्स और कम्युनिकेशन स्किल्स पर भी काम किया जाता है.’

हैदराबाद के वर्धमान कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (एनआईआरएफ में 162 रैंक) ने वॉलमार्ट ग्लोबल टेक से 42.6 रुपये का एलपीए पैकेज और अमेज़ॅन से 39 रुपये का एलपीए पैकेज अपनी वेबसाइट पर सूचीबद्ध किया है.

भुवनेश्वर में सिलिकॉन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (161 रैंक) ने टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स से मिले 33 एलपीए को अपने हाईएस्ट पैकेज के रूप में सूचीबद्ध किया और उनका दूसरा सबसे बड़ा पैकेज अमेज़ॅन से 25 एलपीए का रहा.

179 रैंक वाले देहरादून के डीआईटी यूनिवर्सिटी ने हाईएस्ट पैकेज के लिए कॉमवॉल्ट से मिले 30.64 एलपीए और अमेज़ॅन से 30 एलपीए को अपनी वेबसाइट पर डाला है.

नागपुर, महाराष्ट्र में श्री रामदेवबाबा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट, एनआईआरएफ पर 146 वें स्थान पर है. उसने अपनी वेबसाइट पर सर्विस नाउ से मिले 33.6 एलपीए को हाईएस्ट पैकेज बताया है. तो वहीं चेन्नई के आरएमके इंजीनियरिंग कॉलेज (154 वें स्थान पर) ने अमेज़ॅन से मिले 25 एलपीए पैकेज को अपनी वेबसाइट पर डाला हुआ है.

इनमें से ज्यादातर इंस्टीट्यूट अपनी वेबसाइटों पर पिछले सालों की तुलना में 2021-22 में प्लेसमेंट संख्या में हुई बढ़ोतरी का दावा कर रहे हैं.


यह भी पढ़ेंः 80% मिडिल और सेकेंडरी छात्रों को सता रहा परीक्षा का डर, 45% के लिए बॉडी इमेज एक बड़ी चिंता- NCERT सर्वे


‘पेडिग्री की बजाय स्किल को तवज्जो’

इंडस्ट्री के जानकार इस बात से हैरान नहीं हैं कि कम जाने-माने कॉलेजों के छात्रों के लिए ऑफर की बरसात हो रही है. क्योंकि अब कंपनियां का हायरिंग करने का तरीका बदल गया है.

एक स्पेशलिस्ट स्टाफिंग फर्म, XPheno के टैलेंट स्पेशलिस्ट और सह-संस्थापक कमल कारंत ने दिप्रिंट को बताया कि कंपनियां स्किल की तरफ जा रही हैं, न कि बड़े नाम यानी पेडिग्री की तरफ. उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ सालों में कंपनियों ने महसूस किया है कि वे एलीट कॉलेजों के छात्रों में जिस तरह का निवेश कर रहे थे, वह वास्तव में बदले में उतना दे नहीं पा रहे हैं. इसलिए प्रीमियम कॉलेजों की वैल्यू पर अब सवाल खड़े होने लगे हैं. यह स्टार्ट-अप थे जिन्होंने पिछले कुछ सालों में कम नामी-गिरामी कॉलेजों के छात्रों को हायर करने का चलन शुरू किया था और तब से यह चलन बड़ी कंपनियों की ओर भी फैल गया.’

उन्होंने आगे कहा, ‘कंपनियां नामों के पीछे भागने के बजाय अब स्पेसिफिक स्किल-सेट और इंडस्ट्री के लिए तैयार लोगों की तलाश कर रही हैं. इसलिए यह हैरानी की बात नहीं है कि छोटे-मोटे कॉलेजों के छात्रों को बड़े प्लेसमेंट मिल रहे हैं.’

स्टाफिंग फर्म TeamLease की को-फाउंडर और सीईओ रितुपर्णा चक्रवर्ती ने कहा, ‘मैं इसे कैंपस हायरिंग के मामले में अच्छी खबर मान रही हूं क्योंकि बाजार में मांग है और हायरिंग हो रही है. हालांकि, मुझे इतने मोटे पैकेज के बारे में नहीं पता है. इंजीनियरों का औसत वेतन 6 से 10 लाख रुपये के बीच स्थिर रहा है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः ब्लॉक, पजल्स, पपेट्स- मोदी सरकार ने स्कूली बच्चों के लिए खिलौना आधारित शिक्षा पर नीति पत्र जारी किया


 

share & View comments