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Monday, 17 June, 2024
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मजबूत सामाजिक रिश्ते बनाने वाले भारतीय छात्रों को परदेस में रहने में कम होती है परेशानी

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एंड्रयू ड्यूचर, पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता, ऑस्ट्रेलिया इंडिया इंस्टीट्यूट और मेलबर्न ग्रेजुएट स्कूल ऑफ एजुकेशन, मेलबर्न विश्वविद्यालय

मेलबर्न, 18 जनवरी (द कन्वरसेशन) आस्ट्रेलिया द्वारा अंतरराष्ट्रीय छात्रों का स्वागत करने के बीच, शिक्षा प्रदाताओं के लिए एक बार फिर यह सोचने का समय है कि वह इन छात्रों की आकांक्षाओं पर पूरा उतरने के लिए क्या कर सकते हैं।

हमारे शोध से पता चलता है कि उन्हें अन्य छात्रों के साथ-साथ नियोक्ताओं के साथ मजबूत संबंध बनाने में मदद करने से उन्हें ऑस्ट्रेलिया में एक सार्थक और उपयोगी समय बिताने का मौका मिलता है और स्नातक होने पर उनके उपयुक्त काम खोजने की अधिक संभावना होती है।

ऑस्ट्रेलिया के पास न केवल विश्व स्तरीय शिक्षा के लिए, बल्कि इन छात्रों के साथ गहरे सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जुड़ाव को बढ़ावा देने वाले एक प्रमुख गंतव्य के रूप में उभरने का अवसर है।

हमें यथास्थिति में नहीं लौटना चाहिए।

महामारी से पहले, अंतरराष्ट्रीय छात्रों को नस्लवाद, वीजा प्रतिबंध और असुरक्षित काम सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। शोध से पता चलता है कि वे घरेलू छात्रों की तुलना में सामाजिक अलगाव, वित्तीय असुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से जूझने के अधिक जोखिम में रहते हैं।

ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय छात्रों के कल्याण की उपेक्षा नहीं कर सकता। इस क्षेत्र ने महामारी से पहले वित्तीय वर्ष में अर्थव्यवस्था में 37.6 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का योगदान दिया था, लेकिन यह 2020-21 में गिरकर 26.7 अरब अमरीकी डॉलर हो गया। अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा का पुनर्निर्माण ऑस्ट्रेलिया की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

और ऑस्ट्रेलिया में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के कल्याण और अनुभव को बेहतर बनाने की कुंजी उनके बीच मजबूत सामाजिक संबंध बनाना है।

2020 में, शिक्षा कौशल और रोजगार विभाग ने ऑस्ट्रेलिया में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के अनुभवों की जांच करने के लिए ऑस्ट्रेड और ग्रुप 8 आफ आस्ट्रेलिया के साथ साझेदारी में ऑस्ट्रेलिया इंडिया इंस्टीट्यूट की स्थापना की।

हमारे शोध ने पूरे ऑस्ट्रेलिया में 11 विश्वविद्यालयों में इन छात्रों का साक्षात्कार करके इस संबंध में जानकारी हासिल की। इस दौरान सामने आए सबसे आश्चर्यजनक निष्कर्षों में से एक यह था कि जिनके अन्य भारतीय छात्रों के साथ मजबूत सामाजिक संबंध थे, उनका अनुभव ऐसे छात्रों की तुलना में कहीं अच्छा था, जिनके पास इन संबंधों का अभाव था।

एक शोध प्रतिभागी बताया कि उसने तीन अन्य भारतीय छात्रों से मित्रता की और ऑस्ट्रेलिया आने के बाद यह उन्हीं के साथ रहा।

एक साथ रहने के कारण किराने का सामान खरीदने से लेकर किराया चुकाने तक , उनके लिए सब कुछ बहुत किफायती था। लेकिन, इससे भी अधिक, उन्होंने कहा: जब आपके पास कंपनी होती है तो आपका दिमाग आराम कर सकता है, आप आराम से रह सकते हैं और अपनी पढ़ाई का आनंद ले सकते हैं।

इसके विपरीत, अकेले रहने वाले एक अन्य अंतरराष्ट्रीय छात्र ने कहा : ‘‘ऑस्ट्रेलिया में मेरा जीवन इतना शांत है कि जब मैं बिस्तर पर लेटता हूं तो मैं अपने दिल की धड़कन सुन सकता हूं।’’

मजबूत सामाजिक संपर्क वाले छात्रों ने जब कभी कठिनाइयों का अनुभव किया, तो अन्य अंतरराष्ट्रीय छात्र आमतौर पर उनके सबसे महत्वपूर्ण संबल बने।

कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान, इन छात्रों ने व्हाट्सएप के माध्यम से इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की कि वित्तीय सहायता और भोजन कहां से और कैसे प्राप्त करें। एक छात्रा ने कहा कि अगर उसे इन संसाधनों से अवगत नहीं कराया जाता तो उसे एक सप्ताह तक भूखे रहना पड़ता।

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय छात्रों ने एक-दूसरे को जो समर्थन प्रदान किया, वह केवल सामाजिक और भावनात्मक नहीं था। उन्होंने अनौपचारिक अध्ययन समूहों का भी गठन किया जहां वे असाइनमेंट के बारे में अपनी चुनौतियों और विचारों को साझा कर सकते थे।

एक छात्र ने कहा: ‘‘एक साथ हम इतना अधिक सीखते हैं जो एक व्यक्ति के खुद के लिए कुछ करने से कहीं ज्यादा है।’’

अंतर्राष्ट्रीय छात्र जो एक-दूसरे से जुड़े हुए थे, उनकी घरेलू छात्रों के साथ संबंध बनाने की भी अधिक संभावना थी।

इसका मुख्य कारण यह था कि एक-दूसरे के साथ मजबूत संबंध होने से उनमें सामाजिकता और समूहों में कार्यक्रमों में भाग लेने का आत्मविश्वास मिला। एक छात्र ने समझाया कि उसके पास भारतीय दोस्तों का एक करीबी समूह था इसलिए वह ऑस्ट्रेलियाई छात्रों की तरह पब में जाने और एएफएल देखने में अपना समय बिता सकते हैं।

इन निष्कर्षों के आलोक में, हमारी रिपोर्ट का तर्क है कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों के अनुभव बहुत अधिक उत्पादक और संतोषजनक होंगे जब उनके एक दूसरे के साथ मजबूत संबंध होंगे।

एक और महत्वपूर्ण खोज यह है कि एक मजबूत सामाजिक नेटवर्क वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों को पढ़ाई के दौरान और स्नातक होने के बाद उपयुक्त रोजगार मिलने की अधिक संभावना है।

कुछ छात्रों ने बताया कि उन्हें कम वेतन दिया जा रहा है और अंशकालिक नौकरियों में उनका शोषण किया जा रहा है और उन्हें लगा कि वे इसके बारे में ज्यादा कुछ कर नहीं सकते हैं। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से सच था जो हाल ही में ऑस्ट्रेलिया पहुंचे थे और उनके मजबूत सामाजिक संबंध नहीं थे।

एक बेकरी में काम करने वाले एक छात्र ने कहा: ‘‘मेरे नियोक्ता ने मुझसे कहा कि अगर मैं यह साबित कर दूं कि मैं विश्वसनीय हूं तो मुझे वेतन वृद्धि मिलेगी। एक महीने के बाद मैंने वेतन वृद्धि के लिए कहा और मुझे रोस्टर से हटा दिया गया।’’

भारतीय समुदाय के सदस्यों के साथ मजबूत संबंध रखने वाले – जिनमें छात्र भी शामिल हैं लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं हैं – ने बेहतर प्रदर्शन किया।

उन्होंने इस बारे में जानकारी साझा की कि किसके लिए काम करना है और किससे बचना है। उन्होंने एक दूसरे को प्रभावी रिज्यूमे लिखने में भी मदद की। अंशकालिक काम खोजने में यह महत्वपूर्ण था, जिसे भविष्य के नियोक्ता पहचानेंगे।

मजबूत सामाजिक संपर्क वाले स्नातकों को भी अपनी डिग्री से संबंधित नौकरी पाने में अधिक सफलता मिली।

हमारे निष्कर्षों ने एक अलग मोड़ दिया कि शिक्षा प्रदाता अपने छात्रों और स्नातकों को काम खोजने में कैसे मदद कर सकते हैं। व्यक्ति पर केंद्रित नियमित कैरियर मार्गदर्शन और समर्थन के साथ, हमारी रिपोर्ट का तर्क है कि प्रदाताओं को इस बात पर विचार करना चाहिए कि वे अंतरराष्ट्रीय छात्रों और संभावित नियोक्ताओं के बीच संबंध कैसे बना सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय छात्रों के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटना शिक्षा क्षेत्र के महामारी से उबरने के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल विश्व स्तरीय शिक्षा में एक नेता के रूप में ऑस्ट्रेलिया की स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि स्वयं छात्रों के कल्याण में भी सुधार करेगा।

द कन्वरसेशन एकता

एकता

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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