वाशिंगटन: रूसी हथियारों और उपकरणों पर भारत की निर्भरता में उल्लेखनीय गिरावट आई है, लेकिन भारतीय सेना रूसी आपूर्ति वाले उपकरणों के बिना प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकती और निकट भविष्य में भारत की रूस की हथियार प्रणालियों पर निर्भरता बनी रहेगी. कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.
यह रिपोर्ट बाइडन प्रशासन के उस महत्वपूर्ण फैसले से पहले आई है जिसमें बाइडन प्रशासन को भारत की रूस से सैन्य हथियार की खरीद को सीमित करना होगा. स्वतंत्र निकाय सीआरएस ने अपनी रिपोर्ट ‘रूसी हथियार बिक्री और रक्षा उद्योग’ में कहा है, ‘भारत और उसके बाहर कई विश्लेषकों का निष्कर्ष है कि भारतीय सेना रूसी उपकरणों के बिना प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकती और निकट भविष्य में रूसी हथियार प्रणालियों पर उसकी निर्भरता जारी रहेगी.’
सीआरएस स्वतंत्र विषयों के विशेषज्ञों के जरिए विभिन्न मुद्दों पर समय-समय पर रिपोर्ट तैयार करता है. इसकी रिपोर्टें कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं हैं और सांसदों को निर्णय लेने में मदद करने के लिए तैयार की जाती है. रिपोर्ट में एक ग्राफिक के जरिए दिखाया गया है कि 2015 के बाद से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में रूस से उपकरणों के आयात में लगातार गिरावट आई है.
अपनी रिपोर्ट में सीआरएस ने कहा कि 2016 से चल रही रूस निर्मित वायु रक्षा प्रणाली एस-400 को खरीदने की भारत की योजना पर अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (सीएएटीएसए) की धारा 231 के तहत अमेरिकी रोक लग सकती है. इस कानून के तहत अमेरिका अपने सभी सहयोगियों और साझेदारों से, रूस से किसी भी प्रकार के सैन्य लेन-देन को तत्काल रोकने का आग्रह करता है और ऐसा न होने पर इन देशों को अमेरिका द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वियों के विरोध हेतु बनाए गए दंडात्मक सीएएटीएसए का सामना करना पड़ सकता है.
सीआरएस ने कहा कि हाल की मीडिया रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि भारत एस-400 को शामिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है जिसकी पहली आपूर्ति 2021 में निर्धारित है और जिसे 2023 की शुरुआत तक पूरा किया जाएगा. इसने कहा कि अगस्त 2021 में रूसी अधिकारियों ने बताया कि एस-400 की आपूर्ति 2021 के अंत तक शुरू हो जाएगी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2010 के बाद से रूस सभी भारतीय हथियारों के लगभग दो-तिहाई (62 प्रतिशत) आयात का स्रोत रहा है और भारत सबसे बड़ा रूसी हथियार आयातक रहा है, जिसकी रूसी हथियार निर्यात लगभग एक-तिहाई (32 प्रतिशत) हिस्सेदारी है.
सीआरएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘द मिलिट्री बैलेंस’ 2021 के अनुसार भारत के वर्तमान सैन्य शस्त्रागार में रूस-निर्मित या रूसी-डिजाइन किए गए उपकरणों का भारी भंडार है. रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘नौसेना के 10 गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक में से चार रूसी काशीन वर्ग के हैं और इसके 17 युद्धपोतों में से छह रूसी तलवार वर्ग के हैं. नौसेना की एकमात्र परमाणु-संचालित पनडुब्बी रूस से पट्टे पर ली गई है, और सेवा में मौजूद 14 अन्य पनडुब्बियों में से आठ रूसी हैं.
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