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Saturday, 21 December, 2024
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भारत-अमेरिका के संबंध में उल्लेखनीय सुधार, भारतीय मूल के लोगों ने दिया अहम योगदान: अमेरिकी राजनयिक

अमेरिकी विदेश सेवा के अधिकारी अतुल केशप (50) ने बुधवार को भारतीय प्रवासी समुदाय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की. वह हाल में नई दिल्ली से लौटे हैं जहां वह अमेरिका के अंतरिम कूटनीतिक प्रतिनिधि रहे.

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वाशिंगटन: अमेरिका के एक शीर्ष राजनयिक ने कहा कि अमेरिका और भारत के बीच संबंधों में उल्लेखनीय सुधार आया है. साथ ही उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के लिए भारतीय-अमेरिकी समुदाय के योगदान की प्रशंसा की.

अमेरिकी विदेश सेवा के अधिकारी अतुल केशप (50) ने बुधवार को भारतीय प्रवासी समुदाय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की. वह हाल में नई दिल्ली से लौटे हैं जहां वह अमेरिका के अंतरिम कूटनीतिक प्रतिनिधि रहे.

उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में 70 दिनों की सेवा के दौरान मैंने देखा कि अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंध में उल्लेखनीय सुधार आया है.’ उन्होंने याद किया कि जब उन्होंने पहली बार 2005 से 2008 तक भारत में काम किया था तो वे भारतीय लोगों को अमेरिका और भारत के बीच सामरिक साझेदारी के महत्व को लेकर आश्वस्त करने की कोशिश कर रहे थे.

केशप ने अपने संबोधन में कहा, ‘मेरा जन्म 1971 में हुआ जब अमेरिका और भारत के बीच चीजें सही नहीं थी. मित्रों, मैं आज आपको बता सकता हूं कि अमेरिका और भारत के बीच संबंध कभी इतने अच्छे नहीं रहे जितने कि आज हैं.’

उन्होंने कहा, ‘यहां हर किसी ने इस संबंध को मजबूत बनाने के लिए काम किया. यहां हर किसी ने अपने विचार, अपनी प्रतिभा, अपनी ऊर्जा का योगदान दिया. दोनों देशों के बीच विश्वास और आत्म विश्वास, सम्मान और यहां तक कि प्यार भी सही मायने में इस वक्त सबसे अधिक है.’

उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में बहुत कम दिनों तक रहने के दौरान वह जितने भारतीयों से मिल सकते थे, उनसे मिले. उन्होंने कहा कि दूतावास ने इस बार जो सबसे अच्छा काम किया, वह भारतीय छात्रों को अमेरिका आने के लिए 60,000 छात्र वीजा जारी करने का था.

केशप ने कहा कि जब वह संयुक्त राष्ट्र से अपने पिता के सेवानिवृत्त होने के बाद वर्जीनिया चले गए थे तो उनकी जानकारी के मुताबिक वहां केवल एक अन्य भारतीय परिवार था. अब वर्जीनिया के चार्लेट्सविले में सैकड़ों भारतीय परिवार होंगे.

उन्होंने कहा, ‘जब मैं 1994 में विदेश विभाग में आया तो मुझे लगता है कि विदेश सेवा में केवल दो अन्य भारतीय-अमेरिकी अधिकारी रहे होंगे. अब मैं कह सकता हूं कि सैकड़ों भारतीय-अमेरिकी विदेश सेवा अधिकारी हैं. दोस्तों, मुझे आपको यह बताने की जरूरत नहीं है कि भारतीय समुदाय अमेरिका में कितना कामयाब हुआ है.’


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