वाशिंगटन: भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता यह दो देशों का आपसी मसला है. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा. उनकी यह टिप्पणी सोमवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के भारत के साथ वार्ता के आह्वान और प्रस्ताव पर नई दिल्ली की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में आया, वह एक संवाददाता सम्मेलन में ये बातें कही.
नेड प्राइस ने कहा, ‘हम लंबे समय से दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय स्थिरता की मांग करते रहे हैं. निश्चित रूप से हम यही देखना चाहते हैं. हम इसे आगे बढ़ते देखना चाहते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘जब हमारी साझेदारी की बात आती है, भारत और पाकिस्तान के साथ हमारी साझेदारी, ये ऐसे रिश्ते हैं जो अपने दम पर खड़े होते हैं. हम इन रिश्तों को शून्य के तौर पर नहीं देखते हैं. वे अपने दम पर खड़े होते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हमने लंबे समय से दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय स्थिरता की मांग की है, लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी वार्ता की गति, गुंजाइश, स्वरूप उन दो देशों, भारत और पाकिस्तान मामला है.’
पिछले हफ्ते, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने लंबित मुद्दों को हल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ‘गंभीर और ईमानदार बातचीत’ का आह्वान किया. दुबई स्थित अल अरेबिया टीवी के साथ एक साक्षात्कार में, शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान ने भारत के साथ तीन युद्धों के बाद अब सबक सीख लिया है और उन्होंने जोर देकर कहा कि अब वह अपने पड़ोसी के साथ शांति चाहता है.
शहबाज शरीफ ने कहा, ‘भारतीय नेतृत्व और प्रधानमंत्री मोदी को मेरा संदेश है कि आइए टेबल पर बैठें और कश्मीर जैसे हमारे ज्वलंत बिंदुओं को हल करने के लिए गंभीर और ईमानदार बातचीत करें. यह हम पर है कि हम शांति से रहें और प्रगति करें या एक दूसरे के साथ झगड़ा करना, समय और संसाधन बर्बादी है.’
उन्होंने कहा, ‘हम भारत के साथ तीन युद्ध लड़ चुके हैं इसने लोगों के लिए और अधिक दुख, गरीबी और बेरोजगारी ही लायी है. हमने सबक सीख लिया है, और हम भारत के साथ शांति से रहना चाहते हैं, बशर्ते हम अपनी वास्तविक समस्याओं को हल करने में सक्षम हों.’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की पीएम मोदी के साथ बातचीत करने की इच्छा पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, ‘हम पहले ही कह चुके हैं कि हम हमेशा पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध चाहते हैं. लेकिन एक अनुकूल माहौल होना चाहिए, आतंक, दुश्मनी या हिंसा न हो. यही हमारा रुख है.’
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