काठमांडू: नेपाल धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है, लेकिन 8-9 सितंबर को भ्रष्टाचार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों में जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उनका कहना है कि उनकी ज़िंदगी लंबे समय तक सामान्य नहीं होगी.
जेन-जी प्रदर्शनकारियों द्वारा आयोजित और नेतृत्व किए गए देशव्यापी प्रदर्शनों ने दो दिन तक चला. इसमें 50 से ज्यादा लोगों की जान गई और सार्वजनिक संपत्ति व बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ. दबाव में आकर प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया. देश में फैली अराजकता के बीच अधिकारियों ने कर्फ्यू और अन्य पाबंदियां लगा दीं और सेना ने हालात को संभाल लिया.
पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की ने शुक्रवार रात अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.



जेन-जी प्रदर्शनकारियों, जिन्होंने आंदोलन में जान गंवाई, को शनिवार को शहीद की तरह विदाई दी गई. उनके शव राष्ट्रीय ध्वज में लिपटे हुए थे और सैकड़ों लोगों ने उन्हें अंतिम सम्मान दिया.
भीमराज धामी अपने परिवार के विरोध के बावजूद दोस्तों के साथ प्रदर्शन में गए थे. वह कभी अपनी पत्नी और तीन साल के बेटे के पास लौटकर नहीं आए. 28 वर्षीय स्थानीय कारोबारी की मौत सीने में गोली लगने से हुई.


उनके करीबी दोस्त उन्हें क्रांतिकारी कहते हैं. लेकिन परिवार पूछता है कि अब उनकी पत्नी और बेटे का ख्याल कौन रखेगा. धामी के एक रिश्तेदार थापा ने दिप्रिंट से कहा, “हमें सरकार या किसी भी अधिकारी से मुआवज़ा या किसी राहत के बारे में कुछ नहीं बताया गया है.”
काठमांडू के पशुपतिनाथ श्मशान घाट में धामी के बगल में एक और शव रखा था. महेन बुढाथोकी की कहानी भी धामी जैसी ही है.


22 वर्षीय बुढाथोकी कोटेश्वर कॉलेज के छात्र थे और कुछ महीनों में यूरोप के माल्टा जाने की योजना बना रहे थे. उन्हें वहां नौकरी मिल गई थी. वह अपने कॉलेज के बाहर प्रदर्शनकारियों के बीच मौजूद थे, तभी उनकी गर्दन में गोली लगी और मौत हो गई.


मॉर्चरी अधिकारियों ने बताया कि उन्हें 38 शव मिले हैं, जिनमें दो विदेशी नागरिक भी शामिल हैं. इनमें एक भारतीय था.





ग़ाज़ियाबाद की 57 वर्षीय महिला राजेश गोला एक होटल से भागने की कोशिश कर रही थीं, जिसे प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी थी. वह अपने पति के साथ काठमांडू के हयात होटल में थीं, जब प्रदर्शनकारियों ने हमला किया. उन्होंने और उनके पति ने चौथी मंजिल से गद्दे पर छलांग लगाई. गोला के पति को भी चोटें आई हैं.
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