कपिल पूछते हैं कि कोरियाई देश एक साथ आने के बारे में सोच सकते हैं, जर्मनी एकजुट हो सकता है तो भारत और पाकिस्तान के बीच में एक बेहतर रिश्ता क्यों नहीं हो सकता।
नई दिल्ली: कपिल देव, जो कि पाकिस्तान के निर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान के एक दोस्त हैं और भारतीय क्रिकेट के महान दिग्गजों में से एक हैं, ने कहा कि वह मानते हैं कि खान पाकिस्तान की प्रगति सुनिश्चित करने के लिए अपने देश की शक्तिशाली सैन्य और ख़ुफ़िया एजेंसियों को एक साथ लेकर चल सकते हैं।
1978 में पाकिस्तान में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरूआत करने वाले कपिल देव ने कहा, “खान एक उत्कृष्ट कप्तान भी थे जो अपनी टीम को साथ लेकर चले।”
एक विशेष साक्षात्कार में दिप्रिंट से बात करते हुए कपिल देव ने नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच संबंधों का जिक्र किया और कहा, “यदि कोरियाई एक साथ आ सकते हैं, जर्मनी एक हो सकता है”, तो भारत और पाकिस्तान का बेहतर रिश्ता क्यों नहीं हो सकता? लेकिन उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि सिर्फ क्रिकेट संबंधों में सुधार पड़ोसी देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।
एक विस्तृत साक्षात्कार में, कपिल देव ने एक महान कप्तान के रूप में इमरान खान में निःसंकोच अपना विश्वास व्यक्त किया, क्योंकि खान “जी हजूरी करने वाले व्यक्ति” नहीं थे।
इमरान खान को एक उज्ज्वल जीवन शैली (उनकी व्यक्तिगत सोच) वाले व्यक्ति के रूप में चित्रित करते हुए कपिल देव ने कहा कि यह बहुत श्रेयस्कर था कि वह पाकिस्तान लौट आए और राजनीति में शामिल हुए एवं अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए 22 साल तक कठोर मेहनत की।
कपिल देव ने कहा, “अधिकांश लोग सिर्फ अपने लक्ष्यों तक पहुँचने के बारे में बात ही करते हैं लेकिन इमरान ने कर दिखाया। यह एक महान उपलब्धि है कि एक साथी क्रिकेटर जो अपने देश के लिए खेले हैं, वह पाकिस्तान के शीर्ष व्यक्ति बन गए हैं।”
‘क्रिकेटर इमरान, जिन्होंने दिखाई अपनी विशेषता’
उन्होंने कहानी सुनाई कि कैसे इमरान अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट समुदाय की धारणा की पाकिस्तान में क्रिकेट निष्पक्ष रूप से नहीं खेला जाता था, को बदलने के लिए दृढ़ संकल्पित थे।
“80 के दशक की शुरुआत में जब आप पाकिस्तान जाते थे तो लोग कहा करते थे कि पाकिस्तानी अंपायर आपको जीतने नहीं देंगे। तब इमरान ने कहा था, ‘मुझे निष्पक्ष अंपायर चाहिए’।”
कपिल देव ने कहा, “यह एक बड़ा कदम था। एक व्यक्ति जो एक इतना बड़ा कदम उठाता है, विशेष होता है। खान ने अपनी विशेषता दिखाई और कहा, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया से अंपायर बुलाये जाएँ… जो भी पाकिस्तान में खेलना चाहता है उसके पास निष्पक्ष अंपायर होने चाहिए’। यह एक बहुत बड़ा कदम था।”
देव ने कहा कि इमरान ऐसा इसलिए कर सके क्योंकि वह जी हज़ूरी करने वाले व्यक्ति नहीं थे। वह चापलूसी नहीं कर पाएंगे। मुझे नहीं पता कि उन्हें कितनी सफलता मिलेगी (प्रधानमंत्री के रूप में), लेकिन उन्हें क्रिकेट की ही तरह एक टीम बनानी होगी। उन्हें हर व्यक्ति को साथ लेना होगा।”
‘इमरान सेना पर डाल सकते हैं प्रभाव’
पाकिस्तान के शक्तिशाली सैन्य प्रतिष्ठान के साथ इमरान खान के रिश्ते के बारे में पूछे जाने पर देव ने कहा, “उन्हें जानते हुए, मुझे यकीन है कि वह देश को आगे ले जाने में सक्षम होंगे। लोग उनकी प्रशंसा करते हैं, उनका एक विशाल व्यक्तित्व है। उन्होंने अच्छे काम किए हैं, एक कैंसर अस्पताल बनवाया है। उन्होंने किसी भी नकारात्मक व्यक्ति के साथ समझौता नहीं किया है। यदि वह देश के साथ-साथ सेना को भी एक साथ लेकर चल सकें।
कपिल देव ने कहा, “इसे देखने के दो नज़रिये हैं या तो आप सेना को चलाइए या सेना आपको चलाये। व्यक्तिगत रूप से मुझे महसूस होता है कि वह सेना पर प्रभाव डाल सकते हैं और कह सकते हैं, “चलिये पाकिस्तान को एक साथ मिलकर विकसित करते हैं।”
देव ने कहा कि इमरान उन्हें एक शर्मीले व्यक्ति के रूप में याद हैं, जो साल-दर-साल बदलते गए और पाकिस्तानी क्रिकेट पर अपनी छाप छोड़ी।
उन्होने इंगित किया कि इमरान की एक बड़ी उपलब्धि थी क्योंकि पाकिस्तानी क्रिकेटर देश के सभी हिस्सों से आते हैं, वे “निर्मम और आक्रामक” तथा “साहसी और भावनात्मक” होते हैं। इमरान के पास मजबूत नेतृत्व करने की इतनी प्रबल गुणवत्ता थी कि वह उन्हें एक टीम में एकजुट करने में सक्षम थे।
यहाँ तक कि कपिल देव ने इमरान खान की तुलना “तानाशाह” से भी की, जिसने जो चाहा, हासिल किया।
“जब मैं पहली बार उनसे मिला, वह बहुत शर्मीले थे। वह अपने विचार देने के लिए तैयार नहीं थे। यह 1978-79 की बात है। जब वह पाकिस्तान के कप्तान बने तब वह धीरे-धीरे बदले। एक दिन हर व्यक्ति को एहसास होता है कि वे कौन हैं।
कैप्टन इमरान के अंदर तानाशाह के भाव थे’
जब वह एक कप्तान बन ‘कैप्टन इमरान के अंदर तानाशाह के भाव थे’ यह पूछे जाने पर कि क्या खान एक अच्छे कप्तान थे, कपिलदेव ने जवाब दिया: “सिर्फ एक अच्छे कप्तान ही नहीं, वह एक उत्कृष्ट कप्तान थे। पाकिस्तानी खिलाड़ियों को संभालना आसान नहीं है। वे बहुत आक्रामक लोग हैं। उनके बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि उन्होंने न केवल उन्हें एक टीम बनाया, बल्कि आज तक लोग उन्हें अपने कप्तान के रूप में सम्मानित करते हैं।”
“उन्होंने जब भी कुछ कहा, तो उनके अंदर तानाशाही का भाव था … जिसका अर्थ है, मैं जो कहता हूँ, वह आपको करना है।
देव ने कहा, “वह अपनी टीम के लिए (खड़े) तैयार रहते थे और कहते थे कि मैं यह टीम चाहता हूँ। वह चयनकर्ताओं को बताते थे, कि यह लड़का मेरे लिए काफी अच्छा है, वह पाकिस्तान के लिए काफी अच्छा है, इसलिए वह आपके लिए (चयनकर्ताओं के लिए)भी काफी अच्छा है। वह चुनौती लेने के लिए तैयार रहते थे, जो कि बहुत से लोग नहीं कर पाते हैं।”
‘सीमा पर ख़राब संबंध और क्रिकेट साथ साथ नहीं हो सकते’
कपिल देव ने भारत-पाकिस्तान संबंधों के बारे में भी काफी समय तक बात की।
सिर्फ इसलिए कि दोनों देश क्रिकेट खेलना पसंद करते है या संगीत सुनना या सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेना पसंद करते हैं और इस तथ्य के बावजूद कि “पाकिस्तानी बहुत मेहमाननवाजी लोग हैं, बहुत ही अद्भुत लोग हैं”, ऐसी गतिविधियों को सरकारी नीतियों के रास्ते में आने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
कपिल देव ने कहा,”आप सीमा पर बुरे संबंध रखते हुए घर में क्रिकेट नहीं खेल सकते हैं। संबंधों में सुधार करे फिर क्रिकेटर्स कभी नहीं कहेंगे कि हम दूसरे देश में नहीं खेलना चाहते हैं।”
कपिल देव, जिन्होंने स्टेडियम लाइटिंग बिजनेस अपना लिया है,जबसे उन्होंने भारत के लिए खेलना छोड़ दिया और भारतीय क्रिकेट टीम को कोचिंग देना छोड़ दिया, ने इंगित किया कि दोनों देश बेहतर संबंध चाहते हैं, क्योंकि “98 प्रतिशत”लोगों की इच्छाओं को “2 प्रतिशत” लोग रोक रहे थे।
“सबसे बड़ा मुद्दा यह कि हमें दुनिया के इस हिस्से में शांति बनाए रखना है। यदि कोरियाई एक साथ हो सकते हैं, यदि जर्मनी एकजुट हो सकती है, तो दुनिया के इस हिस्से में हम ऐसा क्यूँ नहीं कर सकते।
“उन्हें सीमा पर गोलीबारी करना बंद कर देनी चाहिए, निषेधवादको रोकना चाहिए। यदि आप सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों पर 20 प्रतिशत पैसा खर्च करते हैं, तो वह पैसा आप देश के विकास पर खर्च कर सकते हैं।”
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