वाशिंगटन: कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के प्रयोग का अमेरिका में खूब राजनीतिकरण किया गया, लेकिन भारत में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है. व्हाइट हाउस के एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही.
उन्होंने कहा कि हालिया अनुसंधान दिखाता है कि मलेरिया के इलाज में कारगर यह दवा कोविड-19 के शुरुआती चरणों में अत्यंत प्रभावी है.
व्हाइट हाउस व्यापार एवं निर्माण नीति के निदेशक पीटर नवारो ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह मुख्यधारा की मीडिया और चिकित्सा समुदाय के एक धड़े द्वारा दवा का राजनीतिकरण है जिसने एक प्रकार से इसे राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रंप और उनके बीच एक जंग बना दिया है और इस दवा को लेकर अनुचित भय एवं उन्माद पैदा कर दिया है, ऐसी दवा जो 60 वर्षों से सुरक्षित तरीके से इस्तेमाल हो रही है और नियमित रूप से गर्भवती महिलाओं को भी दी जाती है जिन्हें मलेरिया का खतरा होता है.’
उन्होंने कहा, ‘यह सोचना कि यह दवा खतरनाक है, यह बेवकूफी भरा है लेकिन अगर इसकी मीडिया कवरेज के आधार पर अमरिकी लोगों से पूछेंगे तो मौजूदा स्थिति यही है.’
नवारो ने कहा कि एक दिन पहले चार डॉक्टरों ने डेट्रोइट हॉस्पिटल सिस्टम में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के आपात इस्तेमाल के अधिकार का अनुरोध दायर किया था. यह अनुरोध तीन चीजों के लिए था.
उन्होंने कहा, ‘पहला अस्पताल में शुरुआती इलाज में इसका इस्तेमाल. दूसरा, बाह्य मरीज देखभाल व्यवस्था में डॉक्टर और उसके मरीज के बीच इलाज के लिए. तीसरा, न सिर्फ उपचार के लिए बल्कि बचाव के रूप में भी इस्तेमाल के लिए.’
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नवारो ने कहा कि एफडीए को किया गया यह अनुरोध ‘जर्नल ऑफ इंफेक्शस डिजीज’ में प्रकाशित अध्ययन के बाद आया है जिसमें दिखाया गया कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन लेने वाले मरीजों की मृत्यु दर में 50 प्रतिशत गिरावट देखी गई.
उन्होंने कहा, ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को एक मौका दीजिए और इस दवा के प्रति उन्माद पैदा नहीं करें क्योंकि यह डॉक्टर की निगरानी में लिखी जाती है, यह दवा आपको नुकसान पहुंचाएगी इसकी आशंका बहुत कम है जबकि यह आपको फायदा पहुंचाएगी, इसकी संभावना ज्यादा है.’
नवारो ने कहा, ‘इसका अत्यधिक राजनीतिकरण किया गया है लेकिन भारत में रोगनिरोधक के तौर पर इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है. कई अध्ययन हैं जो इसके लाभ को साबित करते हैं.’