नई दिल्ली: मिडिल-ईस्ट मामलों के एक्सपर्ट्स और जानकारों ने दिप्रिंट को जानकारी दी कि का कहना है कि गाजा में इजरायल के लगातार हमलों की अरब वर्ल्ड द्वारा कड़ी निंदा किया जाना, मध्य पूर्व में इजरायल और उसके पड़ोसियों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने में देरी कर सकता है.
हमास के हमले के जवाब में इज़रायल के जवाबी हमले और गाजा पर आसन्न जमीनी आक्रमण – जिसमें 1,300 इजरायली मारे गए, 3,000 से अधिक घायल हो गए और कम से कम 203 को बंदी बना लिया गया – जिससे अरब दुनिया के नेतृत्व में दहशत फैल गई, क्योंकि हजारों नागरिक विरोध में सड़कों पर उतर गए. 7 अक्टूबर को हमास द्वारा किए गए हमले के भयावह दृश्यों को गाजा में इज़रायल के हमलों के कारण हुई मौत और विनाश के दृश्यों से भी पीछे छोड़ दिया गया.
“अरब नेता वास्तव में दहशत की स्थिति में हैं. अपने लोगों की नजरों में वे कमज़ोर नजर आते हैं और उनसे जो अपेक्षा की जाती है उस पर खरे नहीं उतर रहे हैं. कतर में नॉर्थ-वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में लिबरल आर्ट्स फैकल्टी के प्रोफेसर खालिद अल-ह्रौब ने दिप्रिंट को बताया, ”युद्ध के करीब देशों के नेता, विशेष रूप से मिस्र और जॉर्डन, सबसे अधिक घबराए हुए हैं.”
उन्होंने आगे कहा कि “फिलिस्तीन मुद्दे को हाशिए पर रखने के इजरायल और अमेरिका के सभी प्रयास विफल हो गए हैं” और इससे अरब नेताओं को इस बात पर जोर देने के लिए अधिक जगह मिलेगी कि फिलिस्तीनी मुद्दे का समाधान “क्षेत्र में स्थिरता के लिए एक मात्र एंट्री प्वाइंट” है. क्षेत्र में”.
मंगलवार को गाजा में हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय ने अल अहली अरब अस्पताल में हुए विस्फोट के बाद कम से कम 471 लोगों की मौत की सूचना दी.
हालांकि, हताहतों की कुल संख्या अभी तक वेरीफाई नहीं की जा सकी है क्योंकि जांच अभी भी जारी है, जैसा कि अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट मूवमेंट का एक मानवीय संगठन फिलिस्तीन रेड क्रिसेंट सोसाइटी ने 18 अक्टूबर को अपने दैनिक अपडेट में बताया था.
लेकिन अस्पताल में विस्फोट के बाद पूरे क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.
रिपोर्टों के अनुसार, बेरूत में, लेबनानी सुरक्षा बलों ने अमेरिकी दूतावास के पास प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया, जबकि शहर में अन्य जगहों पर हिजबुल्लाह के आह्वान पर हजारों लोग फिलिस्तीनी झंडे लहराते हुए एकत्र हुए.
इस्तांबुल में, कथित तौर पर 80,000 प्रदर्शनकारी इजरायली वाणिज्यिक दूतावास के बाहर एकत्र हुए – कुछ ने लाठी, पत्थर, मशालें और आतिशबाजी से लैस होकर वाणिज्यिक दूतावास पर धावा बोलने का भी प्रयास किया. इस्तांबुल में अमेरिकी वाणिज्यिक दूतावास के पास भी प्रदर्शन किए जाने की खबर है.
जेरूसलम स्थित टाइम्स ऑफ इज़रायल की रिपोर्ट के अनुसार, मोरक्को के रबात में, बड़े पैमाने पर प्रदर्शन के आह्वान को पूरे उत्तरी अफ्रीकी राष्ट्र में प्रसारित होने के बाद इजरायली राजदूत और उनके कर्मचारियों को वापस भेज दिया गया था.
इन विरोध प्रदर्शनों का तात्कालिक परिणाम मध्य पूर्व के देशों के बयानों के बदलते स्वर में देखा जा सकता है.
जैसा कि दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट किया था, यूएई, जिसने 2020 में तेल अवीव के साथ संबंध सामान्य किए और तब से I2U2 फोरम – इज़राइल, भारत, यूएई और अमेरिका – में पार्टनर बन गया, ने संघर्ष को ‘तत्काल रोकने’ का आह्वान किया और इज़रायलियों की मौत पर शोक व्यक्त किया. अबू धाबी भी “अल-अहली बैपटिस्ट अस्पताल को निशाना बनाने वाले इजरायली हमले” की निंदा करने वाले पहले लोगों में से एक था.
सऊदी अरब, जिसने पहले तनाव को ‘तत्काल रोकने’ का आह्वान किया था, ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में अस्पताल विस्फोट की कड़ी निंदा की और इसे “इजरायली कब्जे वाली ताकतों” द्वारा किया गया “जघन्य अपराध” बताया.
Saudi Arabia condemns in the strongest possible terms the heinous crime committed by the Israeli occupation forces by bombing Al Ahli Baptist Hospital in Gaza, which led to the deaths of hundreds of civilians, including children as well as injured and wounded individuals. pic.twitter.com/l2jVTulVeN
— Foreign Ministry 🇸🇦 (@KSAmofaEN) October 17, 2023
2020 में, इज़राइल ने चार अरब देशों: संयुक्त अरब अमीरात, मोरक्को, बहरीन और सूडान के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लिए अमेरिका की मध्यस्थता वाले अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर किए. यह भी बताया गया कि वह व्हाइट हाउस की मदद से सऊदी अरब के साथ संबंधों को मजबूत करने पर काम कर रहे हैं.
जैसा कि दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट किया था, फिलिस्तीनी अधिकारियों और 2007 से गाजा पट्टी पर नियंत्रण रखने वाले आतंकवादी समूह हमास ने गाजा अस्पताल विस्फोट के लिए इज़रायल को दोषी ठहराया था – इस दावे का इज़रायल ने खंडन किया था. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बदले में आरोप लगाया है कि विस्फोट गाजा पट्टी में सक्रिय एक अन्य आतंकवादी समूह फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद (पीआईजे) द्वारा लॉन्च किए गए “मिसफायर” रॉकेट के कारण हुआ था.
दिप्रिंट ने किसी भी पक्ष द्वारा किए गए दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की है.
यह भी पढ़ेंः इज़रायल-फ़िलिस्तीन के लिए 2 राज्य समाधान : इस विचार का इतिहास, नेतन्याहू का रुख और भारत का स्टैंड
गाज़ा हॉस्पिटल विस्फोट ‘गेम चेंजर’
अम्मान स्थित अल कुद्स सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज के संस्थापक और महानिदेशक ओरैब अल-रंतावी ने दिप्रिंट को बताया कि “इस बात में कोई संदेह नहीं है कि दुनिया के इस हिस्से में हमले के पीछे इज़रायल था.”
उन्होंने आगे कहा, “अल अहली अस्पताल पर हुआ बर्बर हमला एक गेम-चेंजर है. इसके परिणामस्वरूप युद्ध के संबंध में जनता के मूड में गंभीर बदलाव आया है, न केवल अरब दुनिया में बल्कि अमेरिका में भी.”
अल-रंतावी का यह भी कहना है कि इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) और अरब सांसदों ने “हमले की बहुत कड़ी निंदा की”.
1969 में स्थापित, OIC 57 सदस्य देशों का एक मंच है – जिनमें से 48 मुस्लिम-बहुल देश हैं.
18 अक्टूबर को, ओआईसी ने अपनी कार्यकारी समिति की एक खुली बैठक के अंत में एक विज्ञप्ति जारी कर ‘फिलिस्तीनियों के इजरायली आक्रामकता के खिलाफ आत्मरक्षा के अधिकार’ को मान्यता दी. ओआईसी ने गाजा में अस्पताल को इजरायल द्वारा “क्रूरतापूर्वक निशाना बनाने” की निंदा की और “युद्ध अपराधों” के लिए तेल अवीव को जिम्मेदार ठहराने का आह्वान किया. विज्ञप्ति में फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ इजरायल की “क्रूर आक्रामकता” का समर्थन करने वाले “अंतर्राष्ट्रीय पदों” की भी निंदा की गई – जिस वाक्य का अल-रंतावी ने अपनी टिप्पणियों में ज़िक्र किया है.
अल-रंतावी आगे बताते हैं: “अरब देश चार विषयों पर इज़रायल और अमेरिका पर दबाव बनाने के लिए एकजुट हैं: गाजा को मानवीय सहायता, तत्काल युद्धविराम, कैदियों की अदला-बदली का सौदा और गाजा और उसकी अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए सहायता प्रदान करना.”
संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाला समझौता राफा क्रॉसिंग से गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने की अनुमति देगा. ऐसा कहा जाता है कि भोजन, पानी और चिकित्सा आपूर्ति से भरे हुए 100 से अधिक ट्रक मिस्र की सीमा पर खड़े हैं, जो क्रॉसिंग खुलने का इंतजार कर रहे हैं.
इस बीच, अल-ह्रौब का कहना है कि क्षेत्र की सरकारें, विशेष रूप से जॉर्डन और मिस्र में, चिंतित हैं कि गाजा अस्पताल विस्फोट से आंतरिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “मुझे लगता है कि कई सरकारें, विशेष रूप से जॉर्डन और मिस्र, बहुत चिंतित हैं कि इससे आंतरिक मुद्दे पैदा हो सकते हैं. यह नियंत्रण से बाहर जा सकता है और इस क्षेत्र की स्थिरता को प्रभावित कर सकता है. विशेष रूप से जॉर्डन में जहां आधे से अधिक लोग फ़िलिस्तीनी हैं या फ़िलिस्तीनी मूल के हैं,”
कथित तौर पर हजारों प्रदर्शनकारियों ने पिछले तीन दिनों में दो बार जॉर्डन के अम्मान में इजरायली दूतावास पर हमला करने का प्रयास किया. द टाइम्स ऑफ़ इज़रायल के अनुसार, तेल अवीव ने कई दिन पहले ही अपने दूतावास के कर्मचारियों को अम्मान से निकाल लिया था.
अल-रंतावी कहते हैं, “जॉर्डन के लोगों को डर है कि अगर तेल अवीव गाजा को खाली करने के अपने प्रयास में सफल हो गया तो इजरायल द्वारा अगला हमला किया जाएगा.”
उन्होंने इस क्षेत्र में लोगों और उनके शासकों के बीच विभाजन पर भी प्रकाश डाला, विशेष रूप से संयुक्त अरब अमीरात और मोरक्को के राजतंत्रों में. वह कहते हैं, “यूएई और मोरक्को में सड़कों पर उतरे लोग बिना कुछ बदले इज़रायल के साथ संबंधों के सामान्य होने से नाराज़ हैं. फ़िलिस्तीन पर अभी भी कब्ज़ा बना हुआ है,”
तेहरान के अमीरकबीर यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के सहायक प्रोफेसर सैयद इमामियन के अनुसार, अल-अहली अरब अस्पताल में हुए विस्फोट ने क्षेत्र की सरकारों को चुनौती दी है. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “क्षेत्र की जनता राजनेताओं से पूछ रही है कि आप पर्याप्त कार्य क्यों नहीं कर रहे हैं? इसने क्षेत्र की सभी सरकारों को चुनौती दी है. इसके लिए जनता को संतुष्ट करने के लिए एक प्रतिक्रिया की आवश्यकता थी, खासकर जब भावनाएं फ़िलिस्तीन के साथ थीं.”
रियाद में रसाना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ईरानी स्टडीज के एक शोध विद्वान नदीम अहमद मूनकल ने दिप्रिंट को बताया: “अरब सड़कों पर भावनाएं निर्विवाद रूप से क्रूर हमलों का सामना कर रहे फिलिस्तीनियों के साथ उनकी स्थायी एकजुटता को प्रदर्शित करती हैं. जॉर्डन, लेबनान, लीबिया और ट्यूनीशिया में हालिया विरोध और प्रदर्शन क्षेत्र में बढ़े तनाव और व्यापक गुस्से और हताशा को दर्शाते हैं.
गाजा में उजागर हो रही मानवीय आपदा
घिरे गाजा पट्टी में सामने आ रही मानवीय आपदा ने पूरे मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में नागरिकों को नाराज कर दिया है. गाजा में रहने वाले फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए कई दिनों से मोरक्को और तुर्किये में प्रदर्शन हो रहे हैं.
फिलिस्तीन रेड क्रिसेंट सोसाइटी के मोहम्मद फ़ितायानी ने दिप्रिंट को बताया कि दवा और चिकित्सा उपकरणों की कमी के कारण गाजा में स्थिति हर घंटे खराब हो रही है, कम से कम अभी तक किसी भी सहायता को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है. फ़ितायानी, जो इस समय रामल्लाह में हैं, कहती हैं, “भोजन, पानी, कपड़े और कंबल जैसी बुनियादी ज़रूरतों की कमी है, और हमें गाजा में अपने सहयोगियों और ऑपरेशन रूम से रिपोर्ट मिल रही है.”
ब्रिटिश प्लास्टिक सर्जन घासन अबू सिट्टा, जो गाजा में आपातकालीन देखभाल में स्थानीय डॉक्टरों की सहायता कर रहे हैं, ने गुरुवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि डॉक्टरों को घावों के बैक्टीरियल इंफेक्शन के इलाज के लिए एक स्थानीय दुकान से सिरका खरीदना पड़ा है.
Vinegar from the corner shop to treat pseuodomonas bacterial wound infections. Its come to that. pic.twitter.com/mEE4haHMyj
— Ghassan Abu Sitta (@GhassanAbuSitt1) October 19, 2023
फ़ितायानी का कहना है कि चिकित्सा कर्मचारियों के ख़िलाफ़ इज़रायली हवाई हमलों के परिणामस्वरूप गाजा में रेड क्रिसेंट सोसाइटीज़ के चार सदस्यों की मौत हो गई है.
अपने सहकर्मियों को खोने के दुःख से जूझते हुए, वह कहते हैं कि चुनौतियां रुकने का नाम नहीं ले रही हैं और अस्पतालों से मरीजों को निकालना लगभग असंभव और अतार्किक है.
वह कहते हैं, “बहुत सारे उच्च जोखिम वाले मरीज हैं, जो आईसीयू में हैं, हम उन्हें स्थानांतरित नहीं कर सकते हैं और अगर हम ऐसा करते हैं तो वे अपनी जान गंवा सकते हैं. इसके अलावा, बहुत सारे शरणार्थी अस्पताल में शरण ले रहे हैं, ये वे लोग हैं जिन्होंने अपने घर खो दिए हैं.”
उन्होंने कहा, लेकिन गाज़ा में डॉक्टरों ने कठिनाइयों और अपने जीवन पर लगातार खतरे के बावजूद अस्पतालों में रहने का फैसला किया है.
(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
यह भी पढ़ेंः रूस इज़रायल-हमास युद्द में युद्धविराम के लिए UNSC प्रस्ताव पर क्यों जोर दे रहा है?