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Wednesday, 24 April, 2024
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भारत-अमेरिका रिश्तों की अड़चनें : एच-1बी वीज़ा में कमी, रूसी मिसाइलें और ज्यादा सीमा शुल्क

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो की मंगलवार से आरंभ तीन दिनों की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों को अपने संबंधों की अड़चनों को दूर करने का मौका मिल सकेगा.

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नई दिल्ली: 2000 के दशक से ही अमेरिका की भारत नीति इस उम्मीद पर टिकी रही है कि सिर्फ तीव्र विकासमान भारत ही एशिया में चीन का प्रतिसंतुलन साबित हो सकता है.

पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत का आर्थिक विकास धीमा रहने और तेज आधुनिकीकरण में इसकी नाकामी ने अमेरिका को परेशान कर दिया है. साथ ही, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और विदेश नीति में सौदेबाज़ी की उनकी प्रवृति के कारण भी भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास आई है. इसलिए व्यापार और निवेश संबंधी विवादों को कूटनीतिक स्तर पर सुलझाए जाने के बजाय उन पर उत्तरोत्तर सार्वजनिक बहसें हो रही हैं.

अब जबकि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो तीन दिवसीय यात्रा पर मंगलवार को नई दिल्ली पहुंच रहे हैं और इसी महीने जापान में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ट्रंप से मुलाकात होने वाली है. दिप्रिंट ने भारत-अमेरिका रिश्तों में अड़चन बनी प्रमुख बातों पर नज़र डाली है.

लघु व्यापार युद्ध

पिछले साल भर के दौरान व्यापार युद्ध भारत-अमेरिका रिश्तों में सबसे बड़ी अड़चन बनकर उभरा है. गत वर्ष अमेरिका ने इस्पात और अल्युमिनियम पर आयात शुल्क बढ़ा दिया था और भारत भी इसके दायरे में शामिल था. इसके जवाब में भारत ने अमेरिका से आयातित 22 वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाने का फैसला किया था. हालांकि, इसे तत्काल प्रभाव से लागू नहीं किया गया.

5 जून को अमेरिका ने सामान्यीकृत वरीयता प्रक्रिया (जीएसपी) के तहत व्यापार में भारत को दी जा रही विशेष रियायतों को वापस ले लिया. इसके तहत अमेरिका कपड़ा और इंजीनियरिंग उत्पादों जैसे भारत के निर्यातों को अपने बाज़ारों में प्राथमिकता के आधार पर या शुल्क-मुक्त प्रवेश देता था. इन रियायतों के खात्मे का असर भारत के 5.6 अरब डॉलर मूल्य के निर्यात पर पड़ेगा. इसके जवाब में भारत ने सेब, अखरोट और लोहा-इस्पात के उत्पादों समेत कुल 28 अमेरिकी वस्तुओं पर सीमा शुल्क बढ़ा दिया.

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भारत का व्यापार अवरोध

वर्तमान में ज़ोर पकड़ते व्यापार युद्ध के अतिरिक्त अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) के कार्यालय ने अपनी रिपोर्टों में भारत द्वारा फूलों, प्राकृतिक रबर, मोटर गाड़ियों, मोटर बाइकों और अन्य कई वस्तुओं पर बहुत अधिक शुल्क लगाए जाने का भी उल्लेख किया है.

खास तौर पर, भारत के 2018 के वार्षिक बजट में आयात शुल्कों में बढ़ोत्तरी किए जाने तथा चिकित्सा उपकरण और एथेनॉल समेत अनेक वस्तुओं के ऊपर मूल्य-सीमा थोपे जाने को लेकर अमेरिका को चिढ़ हुई है.

भारत की जटिल कस्टम क्लीयरेंस प्रणाली से भी अमेरिका को शिकायत है, जो कि उसके अनुसार देरी और लागत में बढ़ोत्तरी का कारण है और इससे अनिश्चितता भी बढ़ती है.

अमेरिका का एच-1बी वीज़ा की संख्या को सीमित करना

ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका सरकार ने विदेशी प्रवासियों की संख्या को सीमित करने के विभिन्न प्रयास किए हैं. इसी प्रक्रिया में ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीज़ा की सालाना संख्या को भी कम करने का फैसला किया है.

भारत सरकार ने इस पर गंभीर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि वर्क वीज़ा (काम की अनुमति देने वाला वीज़ा) पर पाबंदियों से भारतीय कामगारों के अमेरिका जाकर काम करने में बाधा आएगी.

आईटी क्षेत्र के भारतीय कामगारों के बीच लोकप्रिय एच-1बी वीज़ा (एक गैर-प्रवासन वीज़ा) है, जो अमेरिकी कंपनियों को सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता वाले विशिष्ट क्षेत्रों में विदेशी श्रमिकों की नियुक्ति की अनुमति देता है.

ई-कॉमर्स नीति और डेटा का स्थानीयकरण

अमेरिका ने भारत के डेटा स्थानीयकरण नियमों और ई-कॉमर्स नीति के मसौदे की आलोचना करते हुए इन्हें ‘सर्वाधिक भेदभावपूर्ण और व्यापार संतुलन बिगाड़ने वाला’ करार दिया है.

यूएसटीआर की विदेशी व्यापार अवरोधों पर 2019 की आकलन रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत ने हाल में डेटा स्थानीयकरण संबंधी कई प्रावधानों की घोषणा की है, जो अमेरिका और भारत के बीच डिजिटल व्यापार में एक बड़ा अवरोध साबित होंगे.’

अमेरिका का कहना है कि रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की शर्तों और प्रस्तावित ई-कॉमर्स विधेयक के प्रावधानों के अनुरूप डेटा स्थानीयकरण की बाध्यता ने भारत में कार्यरत अमेरिकी कंपनियों की लागत बहुत बढ़ा दी है.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत में डेटा को अनुचित वाणिज्यिक इस्तेमाल से बचाने और चिकित्सा परीक्षणों या औषधिय एवं कृषि उत्पादों के विपणन की अनुमति के लिए एकत्रित गुप्त आंकड़ों का अनधिकृत खुलासा नहीं होने देने के लिए पर्याप्त आधारभूति सुविधाएं नहीं हैं.’

रूसी रक्षा उपकरणों पर भारत की निर्भरता

अमेरिकी संसद ने 2017 में अमेरिका के शत्रु देशों से प्रतिबंधों के ज़रिए मुकाबला अधिनियम (काटसा) पारित किया था. इस कानून में कथित ‘दुष्ट’ सरकारों से हथियार हासिल करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाए जान के प्रावधान हैं. ये कानून खास कर ईरान और रूस को लक्ष्य कर बनाया गया है.

भारत का रूस से लंबी दूरी की चार एस-400 ट्रायंफ मिसाइलें खरीदने का 5.4 अरब डॉलर का सौदा भारत-अमेरिका संबंधों में एक प्रमुख अड़चन बन कर उभरा है. ट्रंप प्रशासन ने भारत से अपने इस फैसले को बदलने और एस-400 मिसाइलों के दूसरे विकल्पों को चुनने का आग्रह किया है, वरना वो भारत पर प्रतिबंध लगाने को बाध्य होगा.

हालांकि, अमेरिका की मौजूदा चिढ़ मिसाइलों की खरीद को लेकर है, पर इसमें अंतर्निहित व्यापक मुद्दा भारत की रूसी रक्षा उपकरणों पर निर्भरता का लगता है. ताज़ा मिसाइल सौदे के अलावा पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत ने रूस के साथ तीन और रक्षा सौदों पर दस्तखत किए हैं. इन चारों सौदों की कुल लागत 12 अरब डॉलर के करीब है.

भारत को ईरानी तेल खरीदने की छूट खत्म करना

भारत को बढ़ते अमेरिका-ईरान तनाव की भी कीमत चुकानी पड़ रही है. अमेरिका ने 2015 के ईरान परमाणु समझौते से गत वर्ष बाहर निकलने के बाद ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाते हुए तेल निर्यात की उसकी क्षमता को बहुत सीमित कर दिया था.


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इसी साल अप्रैल में अमेरिका ने ईरान से तेल खरीदना जारी रखने के लिए भारत को दी गई रियायत को खत्म कर दिया. भारत मांग कर रहा है कि अमेरिका उसे ईरान से तेल खरीदने दे, पर अमेरिका अपने फैसले पर अड़ा है. सूत्रों के अनुसार, संभावना है कि भारत एक बार फिर इस बारे में अमेरिका को राज़ी करने की कोशिश करेगा.

इन मुद्दों के अलावा, 5जी टेक्नोलॉजी के आगामी परीक्षण में चीनी कंपनी हुवावे की भागीदारी पर रोक लगाने में भारत की अनिच्छा और अफ़ग़ानिस्तान से अपने सैनिकों को निकालने के अमेरिका के फैसले का भी भारत-अमेरिका संबंधों पर बुरा असर पड़ सकता है.

आईपीआर को पूरा संरक्षण नहीं मिलना

यूएसटीआर की हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के कथित उल्लंघनों के कारण भारत ‘प्राथमिकता वाली निगरानी सूची’ में बना हुआ है.

रिपोर्ट के अनुसार, ‘बौद्धिक संपदा के संरक्षण और प्रवर्तन की दृष्टि से भारत दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण बना हुआ है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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