(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 31 जनवरी (भाषा) पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रज़ा गिलानी ने सीनेट में विपक्ष के नेता के पद से सोमवार को इस्तीफा दे दिया। इससे पहले सदन से उनके गैर हाजिर रहने पर विवाद हो गया था, क्योंकि सरकार ने विपक्ष के बहुमत वाले ऊपरी सदन में विवादित विधेयक पारित करा लिया था।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के 69 वर्षीय नेता विपक्ष के उन आठ सदस्यों में शामिल थे, जो पिछले हफ्ते शुक्रवार को सीनेट के सत्र में उपस्थित नहीं थे, जब अहम पाकिस्तान स्टेट बैंक (संशोधन) विधेयक पर मतदान हो रहा था।
पीपीपी समेत विपक्षी दलों का ऊपरी सदन में बहुमत है, लेकिन सरकार ने विधेयक ऐसे दिन पेश किया, जब आठ सीनेटर गैर हाजिर थे, जिससे सरकार को एक मत से विधेयक पारित कराने में मदद मिली।
इसे लेकर गिलानी की आलोचना हुई है, क्योंकि उनकी गैर मौजूदगी की वजह से विधेयक के समर्थन और विरोध में 42-42 वोट पड़े थे, जिसके बाद सीनेट अध्यक्ष सादिक संजरानी को अपना निर्णायक मत का इस्तेमाल करना पड़ा, जो उन्होंने सरकार के पक्ष में दिया और विधेयक पारित हो गया।
विधेयक पारित होने के बाद सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा, “ मैं गिलानी और पीपीपी का (समर्थन के लिए) शुक्रिया अदा करना चाहता हूं।”
सीनेट में सदन के नेता वसीम शहजाद ने मज़ाकिया अंदाज में सदन में गिलानी का शुक्रिया अदा किया।
गिलानी को 2012 में प्रधानमंत्री के पद से बर्खास्त कर दिया गया था, क्योंकि वह उच्चतम न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करने के दोषी पाए गए थे और उन्हें पांच साल के लिए राजनीति से प्रतिबंधित कर दिया गया था। वह पिछले साल ही सदन में लौटे थे।
गिलानी ने सोमवार को सदन में दिए भाषण में कहा, “मैं अपने विरोधियों के कटु शब्दों से हैरान नहीं हूं, पर अपने शुभचिंतकों की चुप्पी से चकित हूं।”
उन्होंने सूचना मंत्री चौधरी का जाहिर तौर पर हवाला देते हुए कहा, “मंत्री कुछ कहते तो मेरे लिए सम्मान की बात होती। लेकिन कुछ दल-बदलू कह रहे हैं कि मैंने सरकार की मदद की और मैं कह रहा हूं कि (सरकार) आपके वोटों से जीती।”
चौधरी उस वक्त पीपीपी में थे,जब गिलानी प्रधानमंत्री थे। गिलानी ने सीनेट में विपक्ष के नेता के रूप में अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए अपना भाषण समाप्त कर दिया।
भाषा
नोमान दिलीप
दिलीप
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