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Sunday, 3 November, 2024
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श्रीलंका के पूर्व PM रानिल विक्रमसिंघे ने कहा- आर्थिक संकट ने देश में राजनीतिक संकट को जन्म दिया

विक्रमसिंघे ने कहा कि मौजूदा सरकार के अंतर्गत चीन से कोई बड़ा निवेश नहीं हुआ है. सरकार ने ऐसा करने की कोशिश की लेकिन निवेश नहीं आया.

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नई दिल्ली: आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने रविवार को कोलंबो में कहा कि आर्थिक संकट ने देश में राजनीतिक संकट को जन्म दिया है.

उन्होंने कहा, ‘जो हा रहा है वह देश के लिए आपदा है. 2 साल तक सरकार ने आर्थिक मुद्दों की अनदेखी की. जब हम 2019 में गए, तो प्राथमिक बजट पर सरप्लस था और कर्ज चुकाने के लिए पैसा था.’

विक्रमसिंघे ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि सरकार के पास इतने संसाधन हैं और अब वे बिल का भुगतान करने के लिए प्रमुख निर्यात कंपनियों से पैसे उधार ले रहे हैं. ईंधन के लिए भारत की क्रेडिट लाइन मई के दूसरे सप्ताह तक समाप्त हो जाएगी और फिर हम गंभीर संकट में पड़ने वाले हैं.’

उन्होंने कहा, ‘सरकार ने अर्थव्यवस्था की अनदेखी की. उन्हें कई बार आईएमएफ में जाने के लिए कहा गया था. उन्होंने सेंट्रल बैंक और ट्रेजरी की सलाह पर आईएमएफ के पास नहीं जाने का फैसला किया. लोग अब इसकी कीमत चुका रहे हैं.’


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‘सरकार में बदलाव चाहते हैं लोग’

विक्रमसिंघे ने कहा कि यह समझ में आ रहा है कि अब लोग सरकार में बदलाव चाहते हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि जो कुछ हो रहा है वो वास्तव में एक बड़ा मुद्दा है और इसके लिए लोगों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति राजपक्षे के लिए बड़े स्तर पर युवा लोगों ने वोट दिया था लेकिन अब वो उन्हें जाता हुआ देखना चाहते हैं. वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रपति अपनी कुर्सी पर बने रहना चाहते हैं. इसलिए एक गतिरोध की स्थिति पैदा हो गई है.’

विक्रमसिंघे ने कहा कि मौजूदा सरकार के अंतर्गत चीन से कोई बड़ा निवेश नहीं हुआ है. सरकार ने ऐसा करने की कोशिश की लेकिन निवेश नहीं आया. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि कर्ज चुकाने की तारीख को बदलने पर चर्चा होनी चाहिए. सरकार ने इसे लेकर चीनी सरकार से बात की है, जितना मुझे मालूम है.’

उन्होंने कहा कि भारत ने इस दौरान सबसे ज्यादा मदद की है.

विक्रमसिंघे ने कहा, ‘भारत अभी भी गैर-वित्तीय चीज़ों में मदद कर रहा है. हमें उनके प्रति आभारी होना चाहिए.’

बीते हफ्ते श्रीलंका की विपक्षी पार्टियों के सदस्यों ने कर्फ्यू को तोड़ते हुए सड़क पर उतरकर ‘गो, गोटा गो’ के नारे लगाए थे. बता दें कि गोटाबाया राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति हैं.

दिप्रिंट ने अपनी एक खबर में बताया था कि लंबी बिजली कटौती और ईंधन, दूध, तथा चावल जैसी आवश्यक वस्तुओं की भारी किल्लत के चलते एक महीने से श्रीलंका में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं.

पूरे श्रीलंका में विरोध प्रदर्शन फूट पड़े हैं, जिनकी अगुवाई ज़्यादातर युवा कर रहे हैं. कोलंबो और कैंडी जैसे शहरों में भी भारी संख्या में मध्यम वर्गीय प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर रहे हैं.


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