न्यूयॉर्क: हाल ही में गोपनीयता कानून के दायरे से बाहर होने के बाद सार्वजनिक किए गए व्हाइट हाउस के टेपों से खुलासा हुआ है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन बहुत उपेक्षा के भाव से भारतीयों के बारे में बात कर रहे हैं और उनके तथा उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंगर की कट्टरता ने उनके राष्ट्रपति रहते हुए भारत और दक्षिण एशिया के प्रति अमेरिका की नीतियों को किस रूप में प्रभावित किया.
न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रिंस्टन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गैरी बास ने लिखा है, ‘ऐसे में जबकि अमेरिकी नस्लवाद और सत्ता की समस्याओं से जूझ रहे हैं, हाल ही में सार्वजनिक किए गए व्हाइट हाउस के टेप राष्ट्रपति रिचर्ड एम. निक्सन और उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंगर की कट्टरता का जीता-जागता उदाहरण हैं.’ बास ने ‘द टेरीबल कॉस्ट ऑफ प्रेसिडेंशियल रेसिज्म’ (राष्ट्रपति के नस्लवाद की भयावह कीमत) शीर्षक से यह स्तंभ लिखा है.
‘द ब्लड टेलीग्राम : निक्सन, किसिंगर एंड ए फॉरगॉटन जेनोसाइड’ पुस्तक के लेखक बास ने अपने स्तंभ में लिखा है, ‘इन टेपों में रिकॉर्ड पूरी बात खुलासा करती है कि श्रीमान निक्सन के कार्यकाल में दक्षिण एशिया की ओर अमेरिकी नीतियां किस तरह भारतीयों के लिए उनकी घृणा और लैंगिक विकर्षण से प्रभावित हुईं.’
निक्सन रिपब्लिकन पार्टी के थे और वह 1969 से 1974 तक अमेरिका के 37वें राष्ट्रपति रहे.
बास का कहना है कि सार्वजनिक कए गए टेपों से निक्सन, किसिंगर और व्हाइट हाउस के तत्कालीन चीफ ऑफ स्टाफ हेल्डमैन के बीच जून 1971 में ओवल ऑफिस में हुई बातचीत रेकॉर्ड है जिनमें निक्सन बेहद ‘‘विषाक्त लहजे’’ में कह रहे हैं कि भारतीय महिलाएं ‘निस्संदेह दुनिया में सबसे अनाकर्षक हैं.’
टेपों के अनुसार, निक्सन ने भारतीयों को ‘सबसे सेक्सलेस’ (यौन संबंधों की इच्छा न रखने वाले), ‘तुच्छ’ और ‘दयनीय’ बताया है.
बास लिखते हैं, ‘चार नवंबर, 1971 को भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, तत्कालीन विश्व की दुलर्भ महिला नेता, के साथ विवादास्पद व्हाइट हाउस शिखर सम्मेलन से एक निजी अवकाश के दौरान राष्ट्रपति ने किसिंगर से भारतीयों के प्रति अपनी यौन विरक्ति के बारे में बात की.’
भारतीयों का संदर्भ देते हुए निक्सन ने किसिंगर से कहा, ‘मेरे लिए, वो मेरी यौन उत्तेजना को शांत कर देते हैं. हेनरी, मुझे बताओं, आखिर वे दूसरे लोगों की यौन उत्तेजना कैसे बढ़ाते हैं.’ इसके साथ ही बास लिखते हैं इसबीच किसिंगर लगभग ना सुने जा सकने वाले स्वर में प्रतिक्रिया देते हैं ‘इसने राष्ट्रपति को उनके विषय से भटकाया नहीं.’
वहीं नवंबर, 1971 में किसिंगर और विदेश मंत्री विलियम रॉजर के साथ भारत-पाकिस्तान तनाव पर चर्चा के बीच में, जब रॉजर (इंदिरा) गांधी को धमकाने की बात कर रहे हैं, राष्ट्रपति बोलते हैं, ‘मुझे समझ नहीं आता कि वे संतानोत्पति कैसे करते हैं.’
न्यूयॉर्क टाइम्स में बास लिखते हैं कि किसिंगर ने खुद को इस तरह दिखाया कि वह निक्सन के व्हाइट हाउस के नस्लवाद से ऊपर उठ चुके हैं लेकिन इन टेपों में वह ‘कट्टरता में शामिल होते दिख रहे हैं, हालांकि इन टेपों के आधार पर यह तय नहीं किया जा सकता है कि क्या वह सचमुच राष्ट्रपति के पूर्वाग्रहों में साथ थे या सिर्फ उन्हें खुश करने के लिए ऐसा करते थे.’
उदारहण के लिए, तीन जून, 1971 को किसिंगर भारतीयों के प्रति ‘घृणा से भरे हुए थे’ क्योंकि भारत ने पाकिस्तानी सेना से भागे लाखों बंगाली शरणार्थियों के अपने यहां शरण दी थी. किसिंगर ने शरणार्थियों की आवक के लिए भारतीयों को जिम्मेदार ठहराया और सभी भारतीयों की आलोचना करते हुए कहा, ‘वे (भारतीय) लोगों की छंटाई (कचरे के ढेर से किसी उपयोगी वस्तु की) कर रहे हैं.’