नई दिल्ली: एक बड़े बदलाव में बांग्लादेश के पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ सरकारी गवाह बन गए हैं. उन्होंने पिछले साल जुलाई में हुई घातक कार्रवाई की पूरी जिम्मेदारी उन पर डालते हुए देश से सार्वजनिक माफी मांगी.
मामून पहले इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (आईसीटी) के आरोपी हैं जिन्होंने दोष स्वीकार किया और सरकारी गवाह बने. उन्हें पूरी तरह सहयोग करने के बदले माफी दी गई है। उनका जिरह बुधवार को होना है.
आईसीटी के सामने मंगलवार को दिए बयान में मामून ने कहा कि जुलाई की हत्याएं हसीना और गृहमंत्री असदुज्जमान खान कमाल के सीधे आदेश पर की गई थीं.
इसके बाद उन्होंने भावुक माफी मांगी: “पीड़ितों की गवाही सुनकर और जलाए गए शवों की फुटेज देखकर मैं अंदर से हिल गया. अगर यह पूरी सच्चाई सामने लाता है तो मुझे कुछ शांति मिलेगी.”
उन्होंने आगे कहा: “मैंने पुलिस में 36 साल छह महीने सेवा की. कभी मेरे खिलाफ कोई आरोप नहीं लगा. लेकिन यह नरसंहार मेरे कार्यकाल में हुआ. मैं इसकी जिम्मेदारी स्वीकार करता हूं.”
उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें खान से फोन आया था, जिसमें हसीना का आदेश था कि घातक हथियारों का इस्तेमाल किया जाए. इसके बाद प्रदर्शनकारियों पर घातक बल का प्रयोग हुआ और पुलिस आयुक्त हबीबुर रहमान और डिटेक्टिव ब्रांच प्रमुख हारुन-ओ-रशीद आदेशों को लागू करने में “जरूरत से ज्यादा सक्रिय” रहे.
उन्होंने जोड़ा, “प्रो-आवामी बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, सांस्कृतिक हस्तियों और व्यापारियों ने हसीना को आंदोलन कुचलने के लिए प्रोत्साहित किया.”
मामून ने यह भी बताया कि 4 अगस्त 2024 को हसीना के सरकारी आवास गणभवन में दो अहम बैठकें हुईं. इनमें उच्चस्तरीय अधिकारियों ने हिस्सा लिया और अगले दिन पुलिस-सेना की संयुक्त कार्रवाई शुरू हुई. यह जानकारी बांग्ला भाषा के दैनिक अखबार प्रथम आलोक ने दी.
अपनी गवाही में उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाने के लिए हेलीकॉप्टर और ड्रोन का इस्तेमाल निगरानी और गोलीबारी के लिए किया गया. उन्होंने कहा कि यह कदम एक बड़े राजनीतिक फैसले का हिस्सा था जिसे वरिष्ठ कैबिनेट सदस्यों ने मंजूरी दी थी. जुलाई में आईसीटी ने हसीना, कमाल और मामून पर मानवता के खिलाफ अपराधों का आरोप लगाया. इनमें सामूहिक हत्याओं की साजिश, सैन्य स्तर की रणनीतियों का इस्तेमाल और निहत्थे नागरिकों को निशाना बनाना शामिल है.
मामून ने ट्रिब्यूनल के सामने कहा, “मैं पीड़ितों के परिवारों, घायलों, देश और ट्रिब्यूनल से माफी मांगता हूं.”
जुलाई में, बांग्लादेश के आईसीटी ने पहली बार औपचारिक रूप से हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराधों का आरोप तय किया. ये आरोप जुलाई और अगस्त 2024 में हुए व्यापक विरोध प्रदर्शनों के प्रति सरकार की प्रतिक्रिया से जुड़े हैं, जिनकी वजह से आखिरकार पिछले साल अगस्त में हसीना को सत्ता से बाहर होना पड़ा.
हसीना 5 अगस्त 2024 से भारत में निर्वासन में हैं, जब लगभग 16 साल का उनका कार्यकाल प्रदर्शनों के कारण खत्म हो गया. दिसंबर 2024 में, मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार ने भारत को एक राजनयिक पत्र भेजकर उनकी प्रत्यर्पण की मांग की. विदेश मंत्रालय (एमईए) ने इस पत्र की पुष्टि की है लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं दिया है.
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