कोलम्बो: श्रीलंका की राजधानी कोलम्बो में घूमने की एक लोकप्रिय जगह गॉल फेस ग्रीन, गोटाबाया राजपक्षे सरकार के खिलाफ चल रहे विरोध के मुख्य जगह बन गई है. 5 हेक्टेयर की इस पट्टी पर चल रहे प्रदर्शनों की तुलना, अरब स्प्रिंग के दौरान मिस्र के तहरीर स्क्वॉयर, और 2017 में एक बैलों की एक लोकप्रिय दौड़- जल्लीकट्टू के समर्थन में मरीना बीच के प्रदर्शन से की जा रही है. जिन जगहों पर प्रदर्शन हो रहे हैं उनमें अब वो क्षेत्र भी शामिल है जिसे ‘गोटा गो’ गांव कहा जा रहा है.
भारी महंगाई, घटते विदेशी मुद्रा भंडार, ईंधन की क़िल्लत, बिजली कटौती, दवाओं की कमी, और रहन-सहन के बढ़ते ख़र्च के बीच, ‘गोटा गो’ गांव में उत्सव का माहौल बना हुआ है, जिसमें सभी वर्गों के नागरिक सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए एकजुट हो गए हैं.
बड़ी संख्या में युवा पुरुष और महिलाएं दिन-रात राष्ट्रपति सचिवालय के पास डटे हुए हैं, जो अब प्रतिरोध के टेंट शहर की तरह नज़र आता है. प्रदर्शनकारियों के पास, जो ‘ऑक्युपाई गॉल फेस’ आंदोलन का हिस्सा हैं, देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति के लिए एक सीधा सा संदेश है- ‘हम तब तक घर नहीं जाएंगे, जब तक तुम नहीं जाओगे’.
प्रदर्शनों की बढ़ती ताक़त
नागरिकों का ये आंदोलन जो एक महीने से अधिक समय से सुलग रहा था, पिछले एक सप्ताह में गहरा गया जब युवाओं ने राष्ट्रपति सचिवालय के पास समुद्र से लगे गॉल फेस पर क़ब्ज़ा करने का फैसला किया. देखते ही देखते इस जगह दर्जनों टेंट खड़े हो गए, जहां कुछ प्रदर्शनकारी रात भर ठहरते हैं, और दूसरे हज़ारों पूरे दिन और रात तक जमा रहते हैं, जो अपने साथ पोस्टर लिए होते हैं जिनमें सरकार की तीखी आलोचना होती है.
सरकार ने शनिवार को इन प्रदर्शनकारियों को रोकने का प्रयास किया था, जब पुलिस ट्रकों का एक पूरा बेड़ा वहां पहुंच गया था, लेकिन गतिरोध की स्थिति टल गई चूंकि कुछ घंटों के बाद वाहनों को हटा लिया गया.
श्रीलंका बार एसोसिएशन ने शुक्रवार को एक बयान जारी किया, ‘बार एसोसिएशन ऑफ श्रीलंका (बीएएसएल) को अपने सदस्यों से विश्वसनीय ख़ूर मिली कि पुलिस के कई ट्रक गॉल फेस ग्रीन के पास भेजे जा रहे हैं, जहां एक जन विरोध चल रहा है. सोशल मीडिया पर उजागर करने और अथॉरिटीज़ के संज्ञान में लाए जाने के बाद, ट्रकों को अब वहां से हटा लिया गया है’.
9 अप्रैल से मज़बूती से चल रहा है प्रदर्शन
9 अप्रैल से गॉल फेस ग्रीन पर प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ गई है. अज्ञात स्पॉन्सर्स ने खाने पानी के स्टॉल, और दवाएं देने के लिए एक फार्मेसी तक स्थापित कर ली है. लोगों के ठहरने के लिए टेंट्स भी लगा दिए गए हैं. प्रदर्शन स्थल पर चलाए जा रहे एक डे-केयर सेंटर में छोटे बच्चों के पढ़ने और ड्राइंग की क्लासेज़ चलाई जा रही हैं. गांव में एक पब्लिक लाइब्रेरी मुख्य केंद्र का काम करती है, जहां देश की जवाबदेही बढ़ाने के लिए लोगों से सुझाव आमंत्रित किए जाते हैं. पोर्टेबल शौचालय, फोन-चार्जिंग स्टेशंस, पावर जेनरेटर्स, स्टोव्ज़, गैस सिलिंडर्स, श्री लंका रेड क्रॉस सोसाइटी की ओर से एंबुलेंस के साथ हेल्थ केयर, और एक ‘मनोविज्ञान इकाई’ जो प्रदर्शनकारियों की काउंसलिंग करती है.
कुछ प्रदर्शनकारी तब से मज़बूती के साथ यहां जमे हुए हैं. वो अस्थायी टेंटों में सोते हैं और तेज़ आंधी तथा भारिश का सामना करते हैं, जैसी कि कोलम्बो में पिछले सप्ताह देखी गई.
किसी उत्सव जैसा यहां का माहौल उत्सुक दर्शकों और आगंतुकों को अपनी ओर खींच रहा है. प्रदर्शनकारियों की संख्या शाम के समय बढ़ जाती है, जब बहुत से लोग यहां पतंगें उड़ाने आते हैं जिनपर ‘गोटा गो’ लिखा होता है. बहुत से कुत्ता-मालिक अपने पालतुओं को ऐसे नारों के बोर्ड्स के साथ लेकर आ जाते हैं, और लोगों को आमंत्रित करते हैं कि उनके कुत्तों के फोटो खींचें.
प्रदर्शन स्थल पर उपलब्ध माइक्रोफोन्स, लोगों को खुलकर अपनी राय ज़ाहिर करने के लिए एक मंच प्रदान करते हैं.
‘हमारे पास खोने के लिए कुछ नहीं बचा है’
एक एडवर्टाइज़िंग एग्ज़ीक्यूटिव मिनेंद्र (जो सिर्फ अपना पहला नाम इस्तेमाल करते हैं) जो पिछले एक हफ्ते में तीन बार प्रदर्शन स्थल पर आ चुके हैं, कहते हैं, ‘प्रदर्शन स्थल पर आकर मैं भी देश के लिए अपना छोटा सा योगदान देना चाहता हूं. नकारात्मक सोच वाले कहेंगे कि ये सब समय की बरबादी है, जो लोग वास्तव में इस आंदोलन में विश्वास रखते हैं, वो जानते हैं कि ये देश में बदलाव का एक मुख्य केंद्र साबित हो सकता है.
इस बीच शेहान मलाका गमागे भी- एक एक्टिविस्ट जिन्हें पहले इस आरोप के लिए गिरफ्तार किया गया था, कि राजनेताओं ने सत्ता में आने के लिए 2019 की ईस्टर संडे बम्बारी का इस्तेमाल किया था- प्रदर्शन स्थल पर स्वेच्छा से आ रहे हैं. ‘मैं सुबह सवेरे 5 बजे नहाने के लिए यहां से जाता हूं, और 8.30 के क़रीब वापस आ जाता हूं. मैं और दूसरे प्रदर्शनकारी 9 अप्रैल को गॉल फेस आए थे, और उसके बाद से मैं यहां से गया नहीं हूं’.
गमागे, जो एक स्टॉल को संभालते हैं जहां स्नैक्स, पानी, और फोन चार्जिंग स्टेशन की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है, उन बहुत सारे वॉलंटियर्स में से हैं, जो इस प्रदर्शन को जारी रखने की कोशिश कर रहे हैं. स्टॉल्स और सामूहिक संसाधनों की व्यवस्था करने वाले अधिकतर वॉलंटियर्स अपनी पहचान नहीं बताना चाहते. गमागे कहते हैं कि वो ख़तरों की संभावना के बावजूद यहां पर हैं, क्योंकि अब खोने के लिए और कुछ बचा नहीं है. ‘हमारे पास कोई दवाएं नहीं हैं, भोजन नहीं हैं, क़र्ज़ में डूबे हुए हैं, और हमने अपनी मर्यादा भी गंवा दी है. सिर्फ एक चीज़ बची है और वो है हमारी ज़िंदगी- क्या हम तब तक इंतज़ार करें जब वो भी ख़त्म हो जाए, या हम कुछ करें जिससे ये सुनिश्चित हो जाए, कि कम से कम हमारी आगे की पीढ़ियां एक बेहतर जीवन जी सकें?’
बारिश हो या धूप, हम यहां डटे रहेंगे
एक कॉलेज छात्र, जो अपना नाम नहीं बताना चाहता, कहता है, ‘विरोध प्रदर्शन में कुछ ऐसा है जो बिल्कुल काल्पनिक सा है. जब मैं यहां होता हूं तो मुझे देश के लोगों के साथ एक जुड़ाव सा महसूस होता है, जो मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया. यहां पर लोग वास्तव में कूड़ेदानों में कचरा फेंक रहे हैं, और लोगों ने एक बार भी मुझपर सीटियां नहीं बजाई हैं. मैंने देखा है कि लोग खाने और पानी के साथ एक दूसरे की सहायता कर रहे हैं, और बदले में कोई अपेक्षा नहीं कर रहे हैं. स्वैच्छिक संगठनों का एक पूरा सिस्टम है, जो इसे एक आत्मनिर्भर आंदोलन बनाने में लगा हुआ है. जहां तक मेरा सवाल है, मैं यहां अपना समर्थन ज़ाहिर करने के लिए हूं, क्योंकि ये मुझे अपने देश के प्रति प्यार जताने का एक अवसर दे रहा है, और साथी नागरिकों के साथ मिलकर इस दुनिया में एक बदलाव ला सकते हैं’.
ललित ने, जो एक पर्यावरण सलाहकार हैं, कहा कि वो गॉल फेस के प्रदर्शन स्थल पर लोगों को भोजन बांटने के लिए गए थे. ‘जब बारिश होती है तो हम अपनी गाड़ियों में बैठकर घर जा सकते हैं. लेकिन लोग यहां दूर दूर से छोटे बच्चे लेकर आ रहे हैं. यहां पर कुछ लोग हैं जो टेंटों में रह रहे हैं, और बारिश या धूप में भी आंदोलन को ज़िंदा रखे हुए हैं. मुझे लगता है कि उनकी किसी तरह से सहायता की जानी चाहिए. मैंने किसी सत्ताधारी परिवार (राजपक्षे) के प्रति इतनी नफरत कभी नहीं देखी, और उस नफरत का इज़हार इतने अहिंसक गांधीवादी तरीक़े से किया जा रहा है. गॉल फेस के प्रदर्शनकारियों में कुछ लोग ख़ामोश हैं तो कुछ दूसरे ऐसे गाना बजाना और डांस कर रहे हैं, जैसे ये कोई उत्सव हो. लेकिन ये सब सिर्फ अपने ग़ुस्से और मायूसी को ज़ाहिर करने का लोगों का तरीक़ा है’.
शहरी तट और उनका सामाजिक-सांस्कृतिक असर
विश्व बैंक के एक ब्लॉग के मुताबिक़ तटों ने हमेशा ‘किसी भी शहर की बनावट या उसकी पहचान को बदलने में एक अहम भूमिका निभाई है’. मसलन, मुम्बई का मरीन ड्राइव जो एक समृद्ध बुलेवार्ड है, दुनिया के सामने शहर का एक ऐसे सांस्कृतिक आइकॉन के रूप में प्रतिनिधित्व करता है, जो भारतीय युवाओं की उम्मीदों और गतिविधियों का प्रतीक है, जो एक बड़े शहर में कुछ करना चाह रहे हैं.
इसी तरह, चेन्नई का मरीना बीच भी भारत का पहला और दुनिया का दूसरा सबसे लंबा बीच होने के कारण एक पर्यटन आकर्षण बना हुआ है. प्रोमिनाड भी लोगों को स्वतंत्रता सेनानियों और सांस्कृतिक आइकॉन्स के योगदानों की याद दिलाता है.
कोलम्बो के गॉल फेस में, हज़ारों लोगों के लिए पर्याप्त जगह रखने के अलावा, यहां भारतीय उच्चायोग, अमेरिकी दूतावास जैसे अहम प्रतिष्ठान, ताज समुद्र, हिल्टन, और शंगरी ला जैसे पांच सितारा होटल, और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर कहे जाने वाले कोलम्बो के बिज़नेस टावर्स के लिए भी जगह है जहां कोलम्बो स्टॉक एक्सचेंज स्थित है. सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका भी यहीं पर है. ये उस कोलम्बो पार्ट सिटी परियोजना के भी क़रीब है, जिसे चीनी निवेश से विकसित किया जा रहा है. गॉल फेस पर स्थित सबसे महत्वपूर्ण जगह है राष्ट्रपति सचिवालय, जिसमें राष्ट्रपति का कार्यालय है.
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