नई दिल्ली: भारत का मानना है कि पाकिस्तान एक बार फिर इस्लामाबाद पर वैश्विक दबाव के बावजूद आतंकी वित्तीय निगरानी कार्य बल (एफएटीएफ) द्वारा ब्लैक लिस्टेड होने से बच जाएगा. यह जानकारी सूत्रों ने दिप्रिंट को दी है.
सूत्र ने बताया कि नई दिल्ली का यह प्रयास कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से ब्लैकलिस्ट में शामिल किया जाए, यह मुश्किल जान पड़ता है.
सूत्रों ने बताया कि इस बैलआउट के पीछे जो कारक हैं वो अक्टूबर 2019 के समान है जब इस्लामाबाद कड़े प्रावधानों से बच गया था. इस समय पाकिस्तान को चीन, टर्की और मलेशिया का साथ हासिल है.
एक उच्च अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘पाकिस्तान एफएटीएफ के सभी नियमों और विनियमों का पालन नहीं कर पाएगा. केवल एक महीना है और उन्होंने बहुत कुछ नहीं किया है. उन्हें ब्लैकलिस्ट नहीं किया जाएगा क्योंकि वो वोटों का प्रबंधन कर लेंगे.’
अक्टूबर में पैरिस से काम करने वाली एफएटीएफ ने पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि अगली बैठक तक सभी पैमानों पर खरा उतरे. जो कि फरवरी में होने वाली है.
एफएटीएफ पाकिस्तान से क्या चाहता है
एफएटीएफ के मानदंडों के अनुसार, इस्लामाबाद को आतंकवाद विरोधी शासन, या एएमएल/सीएफटी, शासन के वित्तपोषण को मजबूत करने के लिए अपने वित्तीय नेटवर्क सिस्टम को पूरी तरह से खत्म करना है. दूसरे शब्दों में, इसे जमात-उद-दावा और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों पर शिकंजा कसना होगा.
एएमएल/एफटीआर प्रतिबद्धता के आधार पर इस्लामाबाद द्वारा उठाए गए कदमों का मूल्यांकन करने के लिए एफएटीएफ प्लेनरी अगले महीने पेरिस में बैठक करेगा. यह प्रक्रिया जून 2018 से चल रही है.
सूत्रों के अनुसार, हालांकि एफएटीएफ बीजिंग में इम महीने समीक्षा करेगा जिसमें शुरुआती आकलन किया जाएगा.
वर्तमान में, पाकिस्तान एक प्रश्नावली का जवाब देने की मांग कर रहा है, जिसमें 8 जनवरी तक अंतर-सरकारी निकाय द्वारा भेजे गए 150 प्रश्न शामिल हैं. मुख्य रूप से कार्रवाई इमरान खान सरकार द्वारा मदरसों के खिलाफ उठाए गए सवालों से संबंधित है जो आतंकवादी संगठनों से जुड़े हैं.
हाफिज सईद के नेतृत्व वाले जेयूडी नेटवर्क में 300 मदरसे और स्कूल शामिल हैं. मार्च 2019 में, पाकिस्तान की पंजाब पुलिस ने कहा था कि उसने 160 मदरसों, 32 स्कूलों, दो कॉलेजों, चार अस्पतालों, 178 एम्बुलेंस और 153 डिस्पेंसरियों को जेयूडी और उसकी चैरिटी विंग फलाह-ए-इंसाफत फाउंडेशन (एफआईएफ) से नियंत्रित कर लिया है. दक्षिणी सिंध प्रांत में जेयूडी और एफआईएफ द्वारा चलाए जा रहे कम से कम 56 मदरसों और सुविधाओं को एक ही महीने में अधिकारियों ने अपने कब्जे में ले लिया.
ब्लैकलिस्ट करना असंभव
पूर्व राजदूत और पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने दिप्रिंट को बताया, एफएटीएफ के लिए यह मुश्किल होगा कि वो उसे इस समय ब्लैकलिस्ट करे. इसमें कोई संदेह नहीं है कि वो दबाव में है और इसलिए वो सिर्फ कुछ बदलाव करेंगे लेकिन ज्यादा कुछ नहीं कर पाएंगे.
‘और आतंकी संगठनों के वित्तपोषण नेटवर्क पर नकेल कसने से पाकिस्तान में स्थिति और भी अस्थिर हो जाएगी.’
सिब्बल ने कहा कि चीन, मलेशिया और टर्की फिर से पाकिस्तान के साथ खड़े दिखेंगे और उसे ब्लैकलिस्ट होने से बचा लेंगे. उन्होंने कहा, ‘चीन के साथ एफएटीएफ की अध्यक्षता भी उसके पक्ष में काम करेगी.’
बीजिंग के केंद्रीय बैंक में कानूनी विभाग के महानिदेशक जियांगमिन लियू वर्तमान एफएटीएफ अध्यक्ष हैं.
हालांकि टीसीए राघवन, जो कि इंडियान काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफैयर्स के महानिदेशक हैं और पाकिस्तान में भारत के राजदूत रह चुके हैं, उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान की उसके न्यायपालिका के साथ जो वर्तमान रिश्ते हैं वैसे में वो वित्तीय बदलावों के क्षेत्र में काम नहीं कर पाएगा.’
पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तानी न्यायपालिका और सेना में ठनी हुई है.
अगर एफएटीएफ पाकिस्तान को ब्लैकमेल करता है, तो वैश्विक वित्तीय संस्थान इस्लामाबाद को पैसा उधार नहीं दे पाएंगे. दिसंबर 2019 की एक रिपोर्ट में, आईएमएफ ने कहा कि इस तरह के कदम से पाकिस्तान के लिए पूंजी प्रवाह में प्रभाव पड़ेगा. पिछले साल, आईएमएफ ने पाकिस्तान को कड़ी शर्तों पर 6 बिलियन डॉलर मंजूर किया था.
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