लंदन: अफगानिस्तान में अमेरिका नीत पश्चिमी देशों के दो दशक लंबे अभियान पर महज कुछ ही घंटों में पानी फिर जाने से पूरी दुनिया की तरह यूरोपीय देश भी सदमे में हैं.
ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय देशों ने कहा कि वे तालिबान द्वारा गठित किसी भी सरकार को मान्यता नहीं देंगे और चाहते हैं कि सभी पश्चिमी देश इस मुद्दे पर एकजुट होकर काम करें.
लेकिन, ब्रिटेन और यूरोपीय नेताओं ने अभी तक अफगानिस्तान पर साफ-साफ शब्दों में कुछ नहीं कहा है. इतना ही नहीं, उनके हाथ कई मायने में बंधे हुए हैं. तालिबान के मामले में उनके पास कुछ खास नहीं है और वे नाटो के अपने शक्तिशाली सहयोगी अमेरिका के अफगानिस्तान से सैनिकों को हटाने के फैसले की खुलकर आलोचना करने या इस असफल मिशन में अपनी भूमिका पर बोलने से डर रहे हैं.
हालांकि, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा अप्रैल में देश के सभी सैनिकों को वापस बुलाने की घोषणा किए जाने के बाद नाटो देशों के पास अपने करीब 7,000 सैनिकों को वापस बुलाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था.