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रविवार, 27 अप्रैल, 2025
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ईस्टर अंडे: चिकन से चॉकलेट तक का विकास

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(सेरिन कुइन, पीएचडी अभ्यर्थी, इतिहास विभाग, वारविक विश्वविद्यालय)

वारविक (यूके), 4 अप्रैल (द कन्वरसेशन) बहुत सारी ईस्टर परंपराएं – रविवार को हॉट क्रॉस बन्स और लैंब सहित – मध्यकालीन ईसाई या इससे भी पहले के मूर्तिपूजक विश्वासों से उपजी थीं। हालाँकि, चॉकलेट ईस्टर एग की परंपरा इस त्यौहार में आया एक आधुनिक मोड़ है।

सदियों से ईस्टर पर मुर्गी के अंडे खाए जाते रहे हैं। अंडे लंबे समय से पुनर्जन्म और नवीनीकरण का प्रतीक रहे हैं, जो उन्हें यीशु के पुनरुत्थान की कहानी के साथ-साथ वसंत के आगमन की याद दिलाने के लिए एकदम सही लगते हैं।

हालाँकि आजकल अंडे लेंट के उपवास की अवधि के दौरान खाए जा सकते हैं, मध्य युग में उन्हें मांस और डेयरी के साथ प्रतिबंधित कर दिया गया था। मध्ययुगीन रसोइये अक्सर इसके आसपास के आश्चर्यजनक तरीके ढूंढते थे, यहां तक ​​कि उनकी जगह लेने के लिए नकली अंडे भी बनाते थे।

ईस्टर के लिए – उत्सव की अवधि में – अंडे और मांस खाने की मेज पर वापस आ गए थे।

एक बार उपवास के भोजन में अंडे के इस्तेमाल की अनुमति दिए जाने के बाद, अंडों ने ईस्टर दावत में एक विशेष स्थान बनाए रखा। सत्रहवीं शताब्दी की कुकबुक के लेखक जॉन म्यूरेल ने ‘अंडे विद ग्रीन सॉस’ की सिफारिश की। यह सॉस सॉरेल के पत्तों से बनाई जाने वाली चटनी होती थी।

पूरे यूरोप में, गुड फ्राइडे के दिन स्थानीय चर्च को एक प्रकार के वार्षिक किराए के रूप में अंडे देने का भी चलन था। शायद यहीं से उपहार के रूप में अंडे देने का विचार आया। सुधार के बाद कई प्रोटेस्टेंट क्षेत्रों में यह प्रथा समाप्त हो गई, लेकिन कुछ अंग्रेजी गांवों ने इस परंपरा को 19वीं शताब्दी तक जारी रखा।

यह ठीक से ज्ञात नहीं है कि लोगों ने कब अपने अंडों को सजाना शुरू किया, लेकिन शोध ने 13वीं शताब्दी की ओर इशारा किया है, जब राजा एडवर्ड प्रथम ने अपने दरबारियों को सोने की पत्ती में लिपटे अंडे दिए थे।

कुछ सदियों बाद, हम जानते हैं कि पूरे यूरोप में लोग अपने अंडों को अलग-अलग रंगों से सजा रहे थे। वे आमतौर पर पीले रंग को चुनते हैं, प्याज के छिलके का उपयोग करते हैं, या लाल, मैडर जड़ों या चुकंदर का उपयोग करते हैं। लाल अंडे को ईसा मसीह के खून का प्रतीक माना जाता है। 17वीं सदी के एक लेखक ने सुझाव दिया कि यह प्रथा मेसोपोटामिया के शुरुआती ईसाइयों में प्रचलित थी, लेकिन इस बारे में निश्चित रूप से जानना मुश्किल है।

इंग्लैंड में, पंखुड़ियों की रंग बिरंगी छाप से अंडे सजाना काफी लोकप्रिय था। लेक डिस्ट्रिक्ट में वर्ड्सवर्थ संग्रहालय में अभी भी 1870 के दशक के सजाए गए अंडों का संग्रह है।

रंगे हुए अंडे से लेकर चॉकलेट अंडे तक

हालाँकि पैटर्न वाले अंडों को रंगना अभी भी एक सामान्य ईस्टर गतिविधि है, इन दिनों अंडे आमतौर पर चॉकलेट से जुड़े होते हैं। लेकिन यह परपरा कब शुरू हुई?

17वीं शताब्दी में जब चॉकलेट ब्रिटेन में आई, तो यह एक रोमांचक और बहुत महंगी चीज हुआ करती थी। 1669 में, अर्ल ऑफ सैंडविच ने किंग चार्ल्स द्वितीय की एक चॉकलेट रेसिपी के लिए 227 पाउंड का भुगतान किया जो आज के लगभग 32,000 पाउंड के बराबर है।

आज चॉकलेट ठोस रूप में मिलती है, लेकिन तब यह केवल एक पेय था और आमतौर पर एज़्टेक और माया परंपराओं का पालन करते हुए इसमें मिर्च मिलाया जाता था। अंग्रेजों ने इससे पहले इस तरह के किसी विदेशी नये पेय का स्वाद नहीं चखा था। एक लेखक ने इसे ‘अमेरिकी अमृत’ : देवताओं के लिए एक पेय कहा।

चॉकलेट जल्द ही अभिजात वर्ग के लिए एक फैशनेबल पेय बन गया, जिसे अक्सर इसकी उच्च कीमत के कारण महंगे उपहार के रूप में दिया जाता था, आज भी इस परंपरा का पालन किया जाता है। लंदन के आसपास नए खुले कॉफी हाउस में भी इसका मजा लिया गया। कॉफी और चाय भी इंग्लैंड में नये-नये ही आए थे, और तीनों पेय ब्रिटेन के लोगों के सामाजिक रूप से एक-दूसरे से घुलने-मिलने के तरीके को बदल रहे थे।

कैथोलिक धर्मशास्त्रियों ने इस समय चॉकलेट को ईस्टर के साथ जोड़ा था, लेकिन इस चिंता से बाहर कि चॉकलेट पीना लेंट के दौरान उपवास प्रथाओं के खिलाफ होगा। गरमागरम बहस के बाद, इस बात पर सहमति बनी कि उपवास के दौरान तरल चॉकलेट स्वीकार्य हो सकती है। ईस्टर पर कम से कम – दावत और उत्सव का समय – चॉकलेट ठीक थी।

19वीं शताब्दी तक चॉकलेट महंगी बनी रही, जब फ्राई (अब कैडबरी का हिस्सा) ने 1847 में चॉकलेट व्यापार में क्रांतिकारी बदलाव करते हुए पहला ठोस चॉकलेट बार बनाया।

विक्टोरियन लोगों के लिए, चॉकलेट बहुत अधिक सुलभ थी लेकिन फिर भी विलासिता की चीज थी। तीस साल बाद, 1873 में, फ्राई ने उपहार देने वाली दो परंपराओं को मिलाकर एक लक्ज़री ट्रीट के रूप में पहला चॉकलेट ईस्टर एग विकसित किया।

20वीं सदी की शुरुआत में भी इन चॉकलेट अंडों को एक खास तोहफे के तौर पर देखा जाता था और कई लोगों ने तो कभी इन्हें खाया भी नहीं। वेल्स में एक महिला ने 1951 से 70 वर्षों तक एक अंडा रखा और हाल ही में टॉर्के के एक संग्रहालय ने एक अंडा खरीदा जो 1924 से सहेजा गया था।

1960 और 1970 के दशक में ही सुपरमार्केट ने ईस्टर परंपरा से लाभ की उम्मीद में सस्ते दामों पर चॉकलेट अंडे बेचना शुरू कर दिया था।

लंबे समय तक चॉकलेट उत्पादन पर बढ़ती चिंताओं और बर्ड फ्लू के कारण अंडे की कमी हो गई है, भविष्य के ईस्टर कुछ अलग दिख सकते हैं। लेकिन अगर कोई एक चीज है जो ईस्टर अंडे हमें दिखा सकते हैं, तो वह है परंपरा की अनुकूलता।

द कन्वरसेशन एकता ????

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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