वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अगले हफ्ते होने वाली भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा उठाएंगे. व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि अमेरिका, भारत की लोकतांत्रिक परम्पराओं और संस्थानों का बहुत सम्मान करता है. वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने को बढ़ावा देंगे. व्हाइट हाउस ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच वार्ता तभी सफल होगी जब पाकिस्तान अपने देश में आतंकवादियों और चरमपंथियों पर कार्रवाई करे.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने पत्रकारों से कहा, ‘अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प अपने सार्वजनिक और निश्चित तौर पर निजी, दोनों भाषणों में हमारी साझा लोकतांत्रिक परम्परा और धार्मिक आजादी के बारे में बात करेंगे. वे इन मुद्दों को उठाएंगे, खासतौर से धार्मिक आजादी का मुद्दा, जो इस प्रशासन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.’
सीएए और एनआरसी होगा मुद्दा
यही नहीं अधिकारी से भारत पाकिस्तान के रिश्तों पर जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा- ‘मुझे लगता है कि आप राष्ट्रपति से जो सुनेंगे वह भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने के लिए काफी प्रेरित करने वाला होगा, दोनों देशों को अपने मतभेदों को हल करने के लिए एक-दूसरे के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने के वास्ते प्रेरित करने वाला होगा.’
अधिकारी से यह पूछा गया था कि क्या संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) या राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) पर ट्रंप की प्रधानमंत्री से बात करने की योजना है.
ट्रम्प और अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रम्प का 24 और 25 फरवरी को अहमदाबाद, आगरा और नयी दिल्ली जाने का कार्यक्रम है.
अमरिकी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान उनके साथ 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल साथ होगा. इस प्रतिनिधिमंडल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओब्रायन, वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस, डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका, दामाद और अमेरिकी राष्ट्रपति के वरिष्ठ सलाहकार जेरेड कुशनेर भी होंगे.
उन्होंने बताया कि प्रतिनिधिमंडल के अन्य आठ सदस्य में भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ जस्टर, ऊर्जा सचिव डैन ब्रोइलेट, व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ मिक मुलवेनी, व्हाइट हाउस के वरिष्ठ सलाहकार स्टीफन मिलर, व्हाइट हाउस के सोशल मीडिया मैनेजर डैन स्काविनो, प्रथम महिला मेलानिया ट्रम्प के अधिकारी लिंडसे रेनॉल्ड्स, व्हाइट हाउस के सलाहकार रॉबर्ट ब्लेयर और व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव स्टेफनी ग्रिशम शामिल हैं.
अधिकारी ने बताया, ‘हमारी सार्वभौमिक मूल्यों, कानून व्यवस्था को बरकरार रखने की साझा प्रतिबद्धता है. हम भारत की लोकतांत्रिक परम्पराओं और संस्थानों का बड़ा सम्मान करते हैं और हम भारत को उन परम्पराओं को बरकरार रखने के लिए प्रेरित करते रहेंगे.’
सीएए और एनआरसी के सवाल पर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, ‘हम आपके द्वारा उठाए कुछ मुद्दों को लेकर चिंतित हैं. मुझे लगता है कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी बैठक में इन मुद्दों को उठाएंगे. दुनिया अपनी लोकतांत्रिक परम्पराओं, धार्मिक अल्पसंख्यकों का सम्मान बनाए रखने के लिए भारत की ओर देख रही है.’
अधिकारी ने कहा, ‘जाहिर तौर पर भारतीय संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता, धार्मिक अल्पसंख्यकों का सम्मान और सभी धर्मों से समान व्यवहार की बात है. यह राष्ट्रपति के लिए महत्वपूर्ण है और मुझे भरोसा है कि इस पर बात होगी.’
उन्होंने कहा कि भारत धार्मिक और भाषायी रूप से समृद्ध तथा सांस्कृतिक विविधता वाला देश है.
उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि वह दुनिया के चार बड़े धर्मों का उद्गमस्थल है.’
अफगानिस्तान और पाकिस्तान पर होगी बात
वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल चुनाव जीतने के बाद अपने पहले भाषण में इस बारे में बात की थी कि वह भारत के धार्मिक अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चलने को प्राथमिकता देंगे. और निश्चित तौर पर दुनिया की निगाहें कानून व्यवस्था के तहत धार्मिक स्वतंत्रता बनाए रखने और सभी के साथ समान व्यवहार करने के लिए भारत पर टिकी है.’
अधिकारी ने पाकिस्तान कहा, ‘हमारा हमेशा से मानना है कि दोनों देशों (भारत और पाकिस्तान) के बीच किसी भी सफल बातचीत की नींव पाकिस्तान के अपने क्षेत्र में आतंकवादियों और चरमपंथियों पर कार्रवाई करने के प्रयासों पर आधारित है.’
अधिकारी ने पत्रकारों को बताया, ‘लेकिन मुझे लगता है कि राष्ट्रपति दोनों देशों से नियंत्रण रेखा पर शांति एवं स्थिरता बनाए रखने तथा ऐसी कार्रवाइयों या बयानों से बचने का अनुरोध करेंगे जो क्षेत्र में तनाव बढ़ा सकते हैं.’
अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया पर एक सवाल के जवाब में अधिकारी ने कहा कि अमेरिका, भारत को प्रेरित करेगा कि वह इस शांति प्रक्रिया का समर्थन करने के लिए जो कर सकता है वह करे ताकि यह सफल हो.
अधिकारी ने कहा, ‘आप जानते हैं कि हम सैन्य भागीदारी खत्म कर सकते हैं. हम अपनी कूटनीतिक और आर्थिक भागीदारी जारी रखेंगे, जो वहां पिछले 19 वर्षों से है, लेकिन हम इस शांति प्रक्रिया का समर्थन करने के लिए निश्चित तौर पर भारत की ओर देखेंगे, जो क्षेत्र में महत्वपूर्ण देश है, क्षेत्र की स्थिरता के लिए अहम है. मुझे लगता है अगर यह मुद्दा उठता है तो यह राष्ट्रपति के अनुरोध पर ही होगा.’