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Friday, 20 December, 2024
होमविदेशकुत्तों को भी हो सकती डिमेंशिया बीमारी, लेकिन उन्हें अधिक चलाने से जोखिम हो सकता है कम- रिसर्च

कुत्तों को भी हो सकती डिमेंशिया बीमारी, लेकिन उन्हें अधिक चलाने से जोखिम हो सकता है कम- रिसर्च

डिमेंशिया वाले कुत्ते की देखभाल करना कठिन हो सकता है, लेकिन उसके फायदे भी हो सकते हैं. वास्तव में, हमारा समूह देखभाल करने वालों पर प्रभाव का अध्ययन कर रहा है.

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एडिलेड (ऑस्ट्रेलिया): कुत्तों को भी डिमेंशिया होता है, लेकिन अक्सर इसका पता लगाना मुश्किल होता है.

बृहस्पतिवार को प्रकाशित शोध से पता चलता है कि यह खासकर 10 साल से अधिक उम्र के कुत्तों में कितना आम है. यहां कुछ ऐसे लक्षण बताए जा रहे हैं, जिसके आधार पर आप अपने उम्रदराज कुत्ते के व्यवहार में बदलाव महसूस कर सकते हैं और समय पर अपने पशु चिकित्सक से परामर्श कर सकते हैं.

कुत्तों में डिमेंशिया क्या है?

कुत्तों में डिमेंशिया या कैनाइन कॉग्निटिव डिसफंक्शन, मनुष्यों में होने वाले अल्जाइमर रोग के समान है. मस्तिष्क से संबंधित यह रोग व्यावहारिक, किसी चीज को सोचने-समझने की शक्ति में बदलाव और अन्य परिवर्तन से जुड़ा होता है. यह आमतौर पर आठ साल से अधिक उम्र के कुत्तों में देखा जाता है, लेकिन छह साल से कम उम्र के कुत्तों में भी हो सकता है.

पालतू जानवरों के मालिक व्यवहार से संबंधित कई परिवर्तनों को अपने पालतू जानवरों में उम्र संबंधी सामान्य व्यवहार मानकर खारिज कर सकते हैं. ऐसे में यह संभावना बनती है कि हम जितना अनुमान लगा सकते हैं उससे कहीं अधिक कुत्तों में हैं यह बीमारी हो सकती है.

पशु चिकित्सकों के लिए भी रोग की पहचान करना मुश्किल हो सकता है. इसके लिए कोई सटीक जांच नहीं है और मनुष्यों की तरह ही, उम्रदराज कुत्तों में कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं होने की संभावना होती है जो इलाज को जटिल बना सकती हैं.

क्या मेरे कुत्ते को डिमेंशिया है?

डिमेंशिया वाले कुत्ते अक्सर घर के पिछले हिस्से या घर में खो सकते हैं. वे फर्नीचर के पीछे या कमरे के कोनों में फंस सकते हैं, क्योंकि वे भूल जाते हैं कि पीछे हटकर भी इससे निकल सकते हैं. या जब वे बाहर निकलने की कोशिश करते हैं तो वे दरवाजे की दीवार से जुड़े हिस्से की तरफ जाते हैं.

लोगों और अन्य पालतू जानवरों के साथ कुत्तों की अंत:क्रिया की शैली बदल सकती है. वे अपने मालिकों से पहले की तुलना में कम या अधिक स्नेह मांग सकते हैं, या घर में दूसरे कुत्ते के साथ क्रोध दिखाना शुरू कर सकते हैं, जिनके साथ वे पहले खुशी-खुशी रहते थे.

वे उन चेहरों को भी भूल सकते हैं जिन्हें वे अब तक पहचानते रहे हैं. वे दिन में अधिक सोते हैं और रात में अधिक जगते हैं. वे अकारण चलते रह सकते हैं, कराह या भौंक सकते हैं. आराम भी अक्सर उन्हें शांत नहीं कर सकता है. कभी-कभी डिमेंशिया से पीड़ित उम्रदराज कुत्ते की देखभाल करना फिर से एक पिल्ले को पालने जैसा होता है, क्योंकि वे प्रशिक्षित होने के बावजूद घर में मल-मूत्र त्यागना शुरू कर सकते हैं.

आप अपने कुत्ते में बेचैनी के बढ़े हुए स्तर को भी देख सकते हैं. आपका कुत्ता अब अकेले नहीं रह सकता है, एक कमरे से दूसरे कमरे में आपका पीछा कर सकता है, या उन चीजों से आसानी से डर सकता है जो उन्हें पहले कभी परेशान नहीं करती थीं.

मुझे लगता है कि मेरे कुत्ते को डिमेंशिया है, अब क्या?

कुछ दवाएं हैं जो कुत्ते में डिमेंशिया को कम करने में मदद कर सकती हैं, ताकि उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो और उनकी देखभाल करना थोड़ा आसान हो. इसलिए, यदि आपको लगता है कि आपका कुत्ता इससे प्रभावित है, तो अपने पशु चिकित्सक से परामर्श करें.

दुर्भाग्य से इसका कोई इलाज नहीं है. इसलिए सबसे अच्छा तरीका बीमारी होने के जोखिम को कम करना है.

नवीनतम अध्ययन में क्या पाया गया?

अमेरिकी शोधकर्ताओं ने ‘डॉग एजिंग प्रोजेक्ट’ के तहत 15,000 से अधिक कुत्तों पर किए गए अध्ययन का आंकड़ा एकत्र किया. शोधकर्ताओं ने पालतू कुत्ते के मालिकों से दो सर्वेक्षण में हिस्स लेने को कहा. एक में कुत्तों, उनके स्वास्थ्य की स्थिति और शारीरिक गतिविधियों के बारे में पूछा गया था, जबकि दूसरे में कुत्तों के सोचने समझने की शक्ति का आकलन किया गया.

अध्ययन से अनुमान लगाया गया कि करीब 1.4 प्रतिशत कुत्तों में केनाइन कॉग्निटिव डिस्फंक्शन बीमारी हो सकती है. दस साल से अधिक उम्र के कुत्तों के लिए, बढ़ती उम्र के साथ डिमेंशिया विकसित होने का जोखिम 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ जाता है. बहुत सक्रिय कुत्तों की तुलना में कम सक्रिय कुत्तों में डिमेंशिया होने की संभावना लगभग 6.5 गुना अधिक थी.

हम जानते हैं कि व्यायाम लोगों में मनोभ्रंश के जोखिम को कम कर सकता है. इसलिए कुत्तों को टहलाने से उन्हें इसमें मदद मिल सकती है और हम उसके डिमेंशिया के जोखिम को कम कर सकते हैं.

‘मैं अपने कुत्ते से बहुत प्यार करता हूं’

डिमेंशिया वाले कुत्ते की देखभाल करना कठिन हो सकता है, लेकिन उसके फायदे भी हो सकते हैं. वास्तव में, हमारा समूह देखभाल करने वालों पर प्रभाव का अध्ययन कर रहा है.

हमारा मानना ​​है कि बोझ और तनाव वैसा ही हो सकता है जैसा कि अल्जाइमर से पीड़ित किसी व्यक्ति की देखभाल करते वक्त होता है.

हम यह भी जानते हैं कि लोग अपने कुत्तों से प्यार करते हैं. शोध में हिस्सा लेने वाले एक प्रतिभागी ने हमें बताया, ‘मैं अपने कुत्ते से इतना प्यार करता हूं कि मैं उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हूं. ज्यादा परेशानी जैसी कोई बात नहीं है.’

(सुसन हेजल, वरिष्ठ व्याख्याता, एडिलेड विश्वविद्यालय और ट्रेसी टेलर, पीएचडी प्रतिभागी, एडिलेड विश्वविद्यालय)

(यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.)

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