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Friday, 22 November, 2024
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नेपाल में प्रचंड सरकार की मुश्किलें बढ़ीं, CPN-UML ने समर्थन वापस लेने की घोषणा की

सीपीएन-यूएमएल के समर्थन वापस लेने के साथ ही, पिछले साल दिसंबर के अंत में बनी मौजूदा सरकार ने अपना बहुमत खो दिया है. प्रचंड अब अल्पमत सरकार का नेतृत्व करते हैं और उन्हें एक महीने के भीतर विश्वास मत हासिल करना होगा.

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काठमांडू: नेपाल में राष्ट्रपति चुनाव से पहले, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) ने सोमवार को प्रधानमंत्री पुष्प कुमार दहल के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी है. इसके साथ ही नेपाल की राजनीति में हलचल मच गई है.

सीपीएन-यूएमएल के समर्थन वापस लेने के साथ ही, पिछले साल दिसंबर के अंत में बनी मौजूदा सरकार ने अपना बहुमत खो दिया है. प्रचंड अब अल्पमत सरकार का नेतृत्व करते हैं और उन्हें एक महीने के भीतर विश्वास मत हासिल करना होगा. देश में 9 मार्च को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं.

पार्टी के उपाध्यक्ष बिष्णु पौडेल ने कहा कि आज सुबह के पी ओली की अध्यक्षता में हुई सचिवालय की बैठक में सीपीएन-यूएमएल ने सरकार छोड़ने और अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया. सीपीएन (यूएमएल) के सभी मंत्री भी संघीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देंगे.

“हमने मतभेदों के बावजूद सरकार को बचाए रखने और सरकार को समर्थन जारी रखने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने हाल ही में एक अलग रास्ते पर जाने का प्रयास किया. इसलिए हमने अपना समर्थन वापस लेने और बाहर निकलने का फैसला किया.”

आगे उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने विदेश मंत्री की स्विट्जरलैंड की निर्धारित यात्रा को रोक दिया. सरकार से हटने या पद से बर्खास्त करने का संदेश हमें दिया गया, जिसके बाद सरकार के साथ में रहने का हमारे पास कोई कारण नहीं बचता है.”

प्रधानमंत्री प्रचंड ने विदेश मंत्री बिमला राय पौडयाल से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के एक उच्च-स्तरीय सत्र में भाग लेने के लिए जिनेवा की अपनी निर्धारित यात्रा को रद्द करने के लिए कहा था. पौड्याल, जो यूएमएल से हैं, एक विशेषज्ञ के रूप में प्रधानमंत्री कार्यालय के एक सेक्रेटरी, विदेश मंत्रालय के अधिकारियों और एक्सपर्ट के रूप में पूर्व मंत्री गोविंदा बांदी सहित पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही थीं.

प्रचंड ने कतर की अपनी निर्धारित यात्रा भी रद्द कर दी है, जो पिछले साल दिसंबर में कार्यभार संभालने के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा थी. वह शुक्रवार को सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) के पांचवें सम्मेलन को संबोधित करने के लिए कतर जाने वाले थे.

सूर्य किरण शर्मा ने कहा, “अब उप प्रधानमंत्री और भौतिक अवसंरचना और परिवहन मंत्री- नारायण काजी श्रेष्ठ, फोरम में नेपाल का प्रतिनिधित्व करेंगे.”

इससे पहले शनिवार को, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने भी समर्थन वापस लेने का फैसला किया और सीपीएन (माओवादी सेंटर) द्वारा नेपाली कांग्रेस सहित पार्टियों के साथ आठ दलों के गठबंधन के बाद सरकार से बाहर चली गई.

नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 100, खंड 2 के अनुसार, एक प्रधानमंत्री को फिर से विश्वास मत लेने की आवश्यकता होगी, यदि कोई राजनीतिक दल टूट गया या उसने सरकार से समर्थन वापस ले लिया हो. ऐसे में प्रधानमंत्री को 30 दिनों के भीतर विश्वास मत हासिल करना होगा.

यदि प्रधानमंत्री विश्वास मत पाने में सफल नहीं होते तो वे प्रधानमंत्री पद बन नहीं रह सकेंगे. अपने गठन के दो महीनों में, रात्रि स्वतंत्र पार्टी ने सरकार छोड़ दी थी, लेकिन अपना समर्थन जारी रखा.

नेपाल के पीएम दहल को इस साल 26 मार्च तक फिर से फ्लोर टेस्ट जीतने की जरूरत होगी.
इससे पहले 10 जनवरी को दहल ने फ्लोर टेस्ट करवाया था, जहां उन्होंने 99 फीसदी वोट हासिल किए थे. उन्होंने पक्ष में 268 वोट हासिल किए थे, यह नेपाल के संसद के इतिहास में पहली बार था कि किसी भी प्रधानमंत्री ने संसद में 99 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए थे.


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