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Friday, 22 November, 2024
होमविदेश'अपमानजनक रवैया', 'हिंदूफोबिया' की निंदा करने वाले पहले US स्टेट के प्रस्ताव में क्या कहा गया है

‘अपमानजनक रवैया’, ‘हिंदूफोबिया’ की निंदा करने वाले पहले US स्टेट के प्रस्ताव में क्या कहा गया है

इस तरह का प्रस्ताव पारित करने वाला जॉर्जिया पहला अमेरिकी राज्य है. यह रिपब्लिकन प्रतिनिधियों द्वारा प्रायोजित किया गया था और भारत द्वारा 'धार्मिक भय' के खतरे को संयुक्त राष्ट्र में उठाए जाने के एक साल बाद आया है.

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नई दिल्ली: अमेरिकी राज्य जॉर्जिया शनिवार को देश में ‘हिंदूफोबिया’ और ‘हिंदू विरोधी कट्टरता’ की निंदा करने वाले प्रस्ताव को पारित करने वाला पहला अमेरिकी राज्य बन गया.

यह प्रस्ताव ‘सनातन धर्म (हिंदू धर्म) और हिंदुओं के प्रति विरोधी, विनाशकारी और अपमानजनक व्यवहार को खत्म करने में कारगार साबित होगा जो कभी-कभी पूर्वाग्रह या घृणा के रूप में प्रकट हो जाता है.

भारत द्वारा ‘धार्मिक भय’ के खतरे को उजागर करने और हिंदू-विरोधी, सिख-विरोधी तथा बौद्ध-विरोधी खतरों को स्वीकार करने के लिए भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र में बुलाए जाने के बैठक के एक साल बाद यह प्रस्ताव आया है.

इसने जॉर्जिया में हिंदू अमेरिकियों के योगदान को मान्यता दी और देश भर में ‘बढ़ते हिंदू फोबिया’ को खत्म करने का आह्वान किया. उत्तरी अमेरिका के हिंदुओं के एस संगठन (CoHNA) ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी.

यह 27 मार्च को अटलांटा के फोर्सिथ काउंटी द्वारा पारित किया गया, जो राज्य में सबसे बड़े हिंदू और भारतीय-अमेरिकी प्रवासी समुदायों में से एक है. प्रस्ताव में कहा गया है कि हिंदू समुदाय ने ‘विविध क्षेत्रों’ जैसे चिकित्सा, विज्ञान, इंजीनियरिंग, योग, ध्यान, संगीत, भोजन और कला के साथ-साथ अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में योगदान दिया है. 

इसमें कहा गया है, ‘हिंदूओं ने सांस्कृतिक रुप से हमें समृद्ध किया है, जिसे अमेरिकी समाज में व्यापक रूप से अपनाया गया है और लाखों लोगों के जीवन को एक नई दिशा मिली है.’

इसने आगे कहा कि देश के कई हिस्सों में पिछले कुछ दशकों में हिंदू अमेरिकियों के खिलाफ ‘घृणित अपराधों के कई उदाहरण’ हमारे सामने हैं.

रटगर्स विश्वविद्यालय की 2022 की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए, प्रस्ताव में तर्क दिया गया कि ‘हिंदूफोबिया शिक्षाविदों में कुछ लोगों द्वारा बढ़ाया गया और यह संस्थागत है जो हिंदू धर्म के विघटन का समर्थन करते हैं और इसपर पवित्र ग्रंथों, हिंसा और उत्पीड़न की सांस्कृतिक प्रथाओं का आरोप लगाते हैं’.

यह संकल्प रिपब्लिकन प्रतिनिधियों लॉरेन मैकडॉनल्ड, टॉड जोन्स, रिक जसपर्स, डेविड क्लार्क और ब्रेंट कॉक्स द्वारा लाया गया था और 22 मार्च को CoHNA द्वारा आयोजित अटलांटा चैप्टर में आयोजित पहले ‘हिंदू एडवोकेसी डे’ में इसकी वकालत की गई थी.

इस कार्यक्रम में लगभग 25 सांसदों ने भाग लिया था जिसमें रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स दोनों शामिल थे. इसमें हिंदू आवाजों को मजबूत करने और किसी भी प्रकार के भेदभाव के खिलाफ हिंदू समुदाय की रक्षा करने का संकल्प लिया गया था.

प्रस्ताव में कहा गया है, ‘प्रतिनिधि सभा द्वारा यह संकल्प लिया जाए कि जॉर्जिया राज्य विधानमंडल में फोर्सिथ काउंटी के प्रतिनिधि हिंदूफोबिया, हिंदू-विरोधी कट्टरता और असहिष्णुता की निंदा करते हैं और फोर्सिथ काउंटी को एक ऐसी जगह घोषित करते हैं जो हिंदू अमेरिकियों और उन सभी द्वारा लाई गई विविधता का स्वागत करती है. जो कड़ी मेहनत करते हैं, हमारे कानूनों का पालन करते हैं, पारिवारिक मूल्यों को कायम रखते हैं और हमारे आर्थिक और सामाजिक कल्याण में योगदान देते हैं.’ 

यह उपाय विशेष रूप से जातिगत भेदभाव को गैरकानूनी घोषित करने के सिएटल के एक हालिया फैसले की पृष्ठभूमि में भी आया है.

यहूदी विरोधी घटनाओं के 31.9 प्रतिशत की तुलना में अमेरिका में हिंदूफोबिया के मामलों की संख्या 1 प्रतिशत थी जबकि सिख विरोधी मामलों में 21.3 प्रतिशत हैं. यह 2021 में जारी किए गए यूएस फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के आंकड़ों के अनुसार है. इसमें कहा गया है कि अमेरिका में 9.5 प्रतिशत इस्लाम विरोधी घटनाएं और 6.1 प्रतिशत कैथोलिक विरोधी घटनाएं हुई है.

हिंदूज ऑफ ह्यूमन राइट के को फाउंडर ने स्कर राजू राजगोपाल ने लिखा, ‘हिंदुत्व की रणनीति प्रतीत होती है, अगर हम भारत में इस्लामोफोबिया की कुरूपता का बचाव नहीं कर सकते हैं, तो आइए अमेरिका में हिंदूफोबिया की धारणा को अमेरिकी सांसदों के लाभ के लिए एक रक्षात्मक सहारा के रूप में उसी स्तर तक बढ़ाएं.’

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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