नई दिल्ली: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ सैन्य तख्तापलट की अफवाहें शनिवार को सोशल मीडिया पर छाई रही – हैशटैग #chinacoup वीकेंड पर कई घंटों तक ट्रेंड करता रहा – चीन मामलों के विशेषज्ञों के साथ-साथ पत्रकारों ने भी इन खबरों को यह कहते हुए एक सिरे से नकार दिया कि इस बारे में कोई सबूत नहीं हैं.
दिप्रिंट के स्तंभकार और चीन मामलों के विशेषज्ञ आदिल बरार ने ट्वीट किया, ‘ऐसा लगता है कि भारत में काफी सारे ऑल्टरनेटिव-मीडिया ने इन अफवाहों को हवा दी है. कोई तख्तापलट नहीं हुआ है.’ बरार ने बताया कि हो सकता है कि चीनी कानून के मुताबिक शी अपने हालिया विदेशी शिखर सम्मेलन के बाद क्वारंटाइन में चले गए हों.
जर्मन अखबार डेर स्पीगेल के चीन संवाददाता ग्रेग फैनलॉन ने बीजिंग में सामान्य स्थिति की तस्वीरें पोस्ट करके तख्तापलट के दावों का मजाक उड़ाया. उन्होंने झोंगनानहाई राष्ट्रपति परिसर के बाहर से पोस्ट किया-‘कुलीन पैराट्रूप्स ने गेट पर नियंत्रण कर लिया है.’
बीजिंग में दि हिंदू के संवाददाता अनंत कृष्णन ने ट्वीट किया, ‘सोशल मीडिया की किसी भी अफवाह की पुष्टि करने के लिए मुझे आज बीजिंग में कोई सबूत नहीं मिला है.’
ट्विटर यूजर्स ने दावा किया था कि समरकंद से लौटने के बाद शक्तिशाली चीनी राष्ट्रपति को हटा दिया गया और उन्हें नजरबंद कर दिया गया. वह समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन 2022 में भाग लेने के लिए गए थे. जहां सोशल मीडिया पर शी के कथित उत्तराधिकारी, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जनरल ली किओमिंग की तस्वीरें व्यापक रूप से प्रसारित की गई. तो वहीं अन्य ने अपने दावे को सही ठहराने के लिए गश्त लगाती हुई चीनी सेना की वीडियो साझा किए.
ऐसा लगता है जैसे, भारतीय जनता पार्टी के सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से अफवाहों को हरी झंडी दिखाने वाला एक ट्वीट पोस्ट करने के बाद भारत में इन खबरों ने जोर पकड़ लिया. उधर ‘तख्तापलट’ के बारे में तेजी से ट्वीट करने वाले अन्य लोगों में मीडिया हस्ती सुहेल सेठ भी शामिल हैं.
चीन में मीडिया पर कड़े नियंत्रण और पुख्ता जानकारी के अभाव में सोशल मीडिया पर अकसर इस तरह की अफवाहों को हवा मिल जाती है. दस साल पहले, चीन की शीर्ष कम्युनिस्ट पार्टी के स्पष्टवादी बो शिलाई को बर्खास्त करने के बाद, शी के खिलाफ तख्तापलट की खबरें माइक्रोब्लॉगिंग साइटों पर फैल गईं थीं. तब चीनी अधिकारियों ने गलत सूचना फैलाने के आरोप में 12,00 से अधिक लोगों को गिरफ्तार करके इन अफवाहों को जवाब दिया था.
पश्चिमी मीडिया में फैली ये अफवाहें राष्ट्रपति शी के ‘आंतरिक विरोध’ के बड़े नैरेटिव को हवा दे रही हैं. विदेश मामलों में कम्युनिस्ट पार्टी स्कूल के पूर्व प्रोफेसर काई ज़िया ने इन पंक्तियों के साथ अपना तर्क दिया. उन्होंने कहा, अफवाह के जोर पकड़ने के पीछे यह एक कारण हो सकता है.
सिंगापुर के नेशनल यूनिवर्सिटी में ली कुआन यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में विजिटिंग सीनियर रिसर्च फेलो ड्रू थॉम्पसन को लगता है कि हालिया अफवाहें ‘कोरी कल्पना’ नजर आती हैं.
The involvement of the Central Guards Bureau in a coup adds to the authenticity of a rumor. @ELuttwak would agree that palace guards play important roles in the outcome of a coup.
Like every leader, Xi replaced his guards in 2015.https://t.co/QNrXmz8fYi
— Drew Thompson 唐安竹 (@TangAnZhu) September 23, 2022
अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने बड़े पैमाने पर इन अफवाह को लेकर रिपोर्ट नहीं की है लेकिन भारतीय मीडिया काफी आगे तक चली गईं.
फॉरेन पॉलिसी के उप संपादक जेम्स पामर ने ट्वीट किया ‘चीन तख्तापलट’ के दावों का कोई सोर्स नहीं है, जिसे भारतीय मीडिया लगातार चलाए जा रहा है और चीन पर बेकार साबित हो रही हैं.’
अमेरिकी पत्रकार लॉरी गैरेट ने ‘तख्तापलट’ के बारे में ट्वीट किया था लेकिन बाद में पुलित्जर विजेता ने ये भी साफ कर दिया कि यह झूठ हो सकता है.
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उड़ाने रद्द और तख्तापलट
जिन लोगों को ‘तख्तापलट’ की गंध आ रही थी, उन्होंने अपने दावे को साबित करने के लिए शनिवार से चीन में उड़ानों को रोकने की ओर इशारा किया. उन्होंने तर्क देते हुए कि घरेलू उड़ानों में भारी कमी आई है, खासतौर पर तिब्बत जाने वाली फ्लाइट की संख्या को काफी कम कर दिया गया है. यह देश के भीतर एक बड़ी राजनीतिक समस्या का संकेत है.
.@Swamy39 Liu Yuan 劉源 is the temporary Chairman. No international flights operating in and out of China. Even domestic flights, only 40%, according to reliable sources #China #XiJingping #CCP
— Sree Iyer (@SreeIyer1) September 25, 2022
ओपन सोर्स इंटेलिजेंस विशेषज्ञ ओलिवर अलेक्जेंडर ने उड़ानें रद्द करने के दावों को खारिज करते हुए कहा कि एक सप्ताह पहले की तुलना में चीन की उड़ानों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. सिकंदर ने यह भी बताया कि तिब्बत जाने वाली कमर्शियल फ्लाइट बमुश्किल ही चलती हैं.
Literal Pulitzer Prize winning journalists are now falling for this complete bullshit…
For the 300th time today. THERE IS NO CHANGE IN FLIGHTS OVER CHINA COMPARED TO 1 WEEK AGO. https://t.co/TxC2AabN1p pic.twitter.com/rCPiLFeJJN
— Oliver Alexander (@OAlexanderDK) September 24, 2022
चीन, मंगोलिया और ताइवान के लिए अमेरिकी रक्षा विभाग के एक पूर्व अधिकारी थॉमसन ने समझाया कि अगर तख्तापलट होता है तो इसके प्राथमिक कारकों में – राज्य-नियंत्रित मीडिया में तख्तापलट के बारे में बाते होना, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के नेतृत्व पर चर्चा करने वाली सेना के भीतर की आवाजें, बीजिंग में मार्शल लॉ की घोषणा और सीसीपी के राजनीतिक कैलेंडर में नाटकीय बदलाव- शामिल होंगे.
उन्होंने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में यह सब गायब प्रतीत होता है.
I suspect @niubi is going to be late tonight.
That is not an indicator of a coup either.
— Drew Thompson 唐安竹 (@TangAnZhu) September 23, 2022
बिना आग के धुआं नहीं उठता
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रो. एम. टेलर फ्रावेल ने इस तथ्य की ओर इशारा किया कि हालांकि अफवाहें झूठी थीं, लेकिन इसके फैलने की प्रकृति कुछ संभावनाओं की ओर इशारा हो सकती है.
Thread on the “China coup“ rumors circulating https://t.co/C1BProCHVk
— M. Taylor Fravel (@fravel) September 24, 2022
‘द कमिंग कोलैप्स ऑफ चाइना और द ग्रेट यूएस-चाइना टेक वॉर’ के लेखक गॉर्डन चांग ने तर्क दिया कि वरिष्ठ चीनी नेताओं की हालिया गिरफ्तारी सीसीपी नेतृत्व के भीतर बड़ी अशांति की ओर इशारा करती है. हालांकि उन्हें तख्तापलट को लेकर संदेह है. लेकिन चांग ने कहा कि बीजिंग से बाहर जाने वाली बस और रेल यातायात का बंद होना असामान्य है.
उन्होंने तर्क देते हुए कहा, ‘धुंआ काफी ज्यादा है, जिसका मतलब है कि कहीं न कहीं तो आग लगी है.’
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